शख्सियत,
शालिनी ने 64 साल की उम्र में टेबल टेनिस में बनाई पहचान

सेवानिवृत्ति के बाद खेल में रुचि जागी, पैडलर ने दिखाया दम
खेलपथ संवाद
बरेली। उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है। हम किसी भी उम्र में खेल को आत्मसात कर सफलता की कहानी लिख सकते हैं। जैसा कि बरेली की शालिनी ने कर दिखाया है। अक्सर लोग सेवानिवृत्ति के बाद आराम करना पसंद करते हैं, लेकिन बरेली की शालिनी ने इस धारणा को तोड़ते हुए टेबल टेनिस में नई पहचान बनाई है।
आशीष रॉयल पार्क निवासी शालिनी गोयल जनवरी 2021 में केंद्रीय विद्यालय से सेवानिवृत्त हुईं। इसके बाद अपने खाली समय का सदुपयोग करने, खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रखने के लिए उन्होंने टेबल टेनिस से खेल में कदम रखा। उन्होंने खेल के प्रति अपने रुझान को पहचाना और रिटायरमेंट के बाद इसे गंभीरता से अपनाया। रिटायरमेंट के बाद शालिनी ने टेबल टेनिस खेल की शुरुआत सोसाइटी के क्लब में खेलने से की।
शालिनी ने बिना किसी पेशेवर कोचिंग के टेबल टेनिस खेलना सीखा। उन्होंने अपनी लगन और आत्मविश्वास के दम पर कठिन अभ्यास किया और अपनी तकनीक को निखारा। धीरे-धीरे उन्होंने स्थानीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और सफलता हासिल की। उनकी मेहनत, समर्पण रंग लाई और उन्होंने खेलो मास्टर्स जैसी प्रतियोगिताओं में चैम्पियन का तमगा हासिल किया।
इससे पूर्व साल 2020 में हुई टेबल टेनिस (कर्मचारी) राष्ट्रीय खेल-कूद प्रतियोगिता में महिला ओपन एकल वर्ग प्रतियोगिता में रजत पदक अपने नाम किया। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने वर्ष 2022 में हुई उत्तर प्रदेश मास्टर्स टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने दिल्ली में हुई खेलो मास्टर्स प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया।
बैंकॉक में हुई एशिया पेसिफिक वेटरेन टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में भी प्रतिभाग किया। हाल ही में वह इंदौर में आयोजित हुई नेशनल टेबल टेनिस वेटरन चैम्पियनशिप में खेलकर आई हैं। शालिनी का कहना है कि जीवन में कुछ भी नया सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि उम्र बढ़ने के बाद कुछ नया सीखना संभव नहीं होता, लेकिन ऐसा नहीं है। रिटायरमेंट के बाद समय का सही उपयोग करना बहुत जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि टेबल टेनिस ने उन्हें फिट, सक्रिय बनाने के साथ-साथ एक नई पहचान भी दी।