भारतीय दिव्यांगों को मिलेंगी और बेहतर सुविधाएं

लतिका और एचएबी फार्मास्यूटिकल्स की साझेदारी से मिशन होगा मजबूत
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत में करीब 40-90 मिलियन (चार से नौ करोड़) लोग किसी न किसी कारणवश दिव्यांग हैं। दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (Rights of Persons with Disabilities) यानी RPwD अधिनियम, 2016 में 21 प्रकार के दिव्यांगों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें बौद्धिक विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण हानि, चलने-फिरने में अक्षमता, बोलने की समस्या, सेरेब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) और बौनापन शामिल है। ये सभी स्थितियां क्वालिटी ऑफ लाइफ को प्रभावित करने वाली हो सकती हैं।
ऐसे लोगों को सशक्त बनाने और दिव्यांगों के जीवन को सुलभ बनाने के लिए गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) 'लतिका' निरंतर काम कर रही है। हाल ही में लतिका ने एचएबी फार्मास्यूटिकल्स के साथ साझेदारी की है ताकि दिव्यांगों के लिए और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
एचएबी फार्मास्यूटिकल्स ने लतिका एनजीओ के 'सेंटर ऑफ इंफ्लूयंस एंड इंक्ल्यूजन' के लिए पूरी तरह से सुसज्जित डॉक्टर्स रूम तैयार किया है।  इस बारे में लतिका के एक सदस्य ने कहा, हम इस समर्थन के लिए एचएबी फार्मास्यूटिकल्स के बहुत आभारी हैं। ये योगदान हमें दिव्यांगों को सुलभ वातावरण में आवश्यक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में काफी मदद करेगा। इसका दिव्यांगजनों और उनके परिवार के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
गौरतलब है कि लतिका का 'सेंटर ऑफ इंफ्लूयंस एंड इंक्ल्यूजन' विकलांग बच्चों और वयस्कों तथा उनके परिवारों को बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सेवाएं प्रदान करता है। एचएबी फार्मास्यूटिकल्स के इस सहयोग से मिशन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
एचएबी फार्मा एक अग्रणी दवा कंपनी है, जो देहरादून और वसई में स्थित है। ये जाइडस और एल्केम सहित कई प्रतिष्ठित कंपनियों के लिए दवा निर्माण करती है। एचएबी फार्मास्यूटिकल्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (डब्ल्यूएचओ जीएमपी) का प्रमाणपत्र भी प्राप्त है, जो कंपनी की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता की पुष्टि करती है।

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