ओलम्पियाड को व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लियाः गुकेश
शतरंज के इस होनहार ने आठ बाजी जीतीं, व्यक्तिगत स्वर्ण पदक पर किया कब्जा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने हाल ही में सम्पन्न शतरंज ओलम्पियाड को व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लिया और नवम्बर में होने वाली बहुप्रतीक्षित विश्व चैम्पियनशिप से पहले अपने प्रदर्शन पर संतोष जताया। विश्व चैम्पियनशिप के चैलेंजर 18 वर्षीय गुकेश की भारत की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका रही जिससे पुरुष टीम ने टूर्नामेंट में पहली बार स्वर्ण पदक जीता।
बुडापेस्ट से मंगलवार सुबह चेन्नई पहुंचे गुकेश ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, 'ओलम्पियाड को मैंने व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लिया। मैं सिर्फ इस विशिष्ट टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था। मैं अपने प्रदर्शन और टीम के प्रदर्शन से बहुत खुश हूं।' गुकेश ने भारत के लिए शीर्ष बोर्ड पर शानदार प्रदर्शन किया और अपनी 10 बाजियों में नौ अंक हासिल किए। उन्होंने आठ बाजी जीतीं जबकि दो ड्रॉ रहीं। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता।
उन्होंने कहा, 'परिणाम इस बात का सबूत है कि हम कई चीजें सही कर रहे थे और हम सही भावना के साथ खेल रहे थे। बुडापेस्ट में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बेहद खुश हूं।' अब गुकेश का ध्यान नवंबर-दिसंबर में गत चैम्पियन चीन के ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन के खिलाफ होने वाले महत्वपूर्ण विश्व चैम्पियनशिप मुकाबले पर है। भारतीय खिलाड़ी ने अप्रैल में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीता था और 17 साल की उम्र में विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर बन गए थे। मई में वह 18 साल के हुए।
गुकेश और लिरेन 20 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक सिंगापुर में प्रतिष्ठित खिताब और 25 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि के लिए भिड़ेंगे। उन्होंने कहा, 'विश्व चैम्पियनशिप में जाने से पहले फॉर्म अच्छा है और अभी मैं काफी खुश हूं। अभी कुछ महीने बाकी हैं और मैं कड़ी मेहनत करूंगा और पूरी तरह से तैयार रहूंगा।' अगर यह किशोर सफल होता है तो वह दिग्गज विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाला पहला भारतीय बन जाएगा। आनंद ने अपने शानदार करियर में पांच बार विश्व खिताब जीता।