अमन कांस्य पदक मुकाबला राज्यस्तरीय मैच की तरह खेले

पेरिस ओलम्पिक में पहलवान सहरावत ने दिखाया दम
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय पहलवान अमन सहरावत जब पेरिस ओलम्पिक में कांस्य पदक के प्ले-ऑफ मुकाबले के लिए मैट पर उतरे तो उन्होंने खुद पर किसी तरह का दबाव नहीं बनने दिया और इसे एक राज्यस्तरीय मैच की तरह लिया। पेरिस ओलम्पिक में भारत के सबसे कम उम्र के व्यक्तिगत पदक विजेता इस 21 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही अपनी मजबूत मानसिकता की एक झलक दिखाई।
अमन ने पेरिस से लौटने के बाद कहा, 'पहले मैंने सोचा, मैं सेमीफाइनल में हूं और मैंने छह अंक गंवा दिए हैं। फिर मुझे लगा कि मैंने ओलम्पिक मुकाबले में छह अंक गंवाए हैं, अब मुझे क्या करना चाहिए? मैंने खुद से कहा कि यह ओलम्पिक मुकाबला नहीं है और मैं अब भी राज्यस्तर पर खेल रहा हूं। इसलिए मैंने इसे ओलम्पिक कांस्य पदक मुकाबले की तरह नहीं लिया। मैंने खुद पर दबाव बनाने से बचने के लिए सोचा कि मैं किसी राज्यस्तरीय मैच में खेल रहा हूं। 
अमन (57 किलोग्राम) से पूछा गया कि वह अपने मुकाबलों से पहले वजन कैसे कम करने में कामयाब रहे, उन्होंने कहा, 'यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं था, हमने पहले से ही वजन कम करने की योजना बनाई थी और लगभग 3.5 किलोग्राम वजन बढ़ गया था। इसलिए मैंने रात भर वजन कम किया और फिर वजन कराने के लिए गया।' अमन का वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम कम था। 
महिला पहलवान विनेश फोगाट को 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। ओलम्पिक पदक जीतने वाला सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी बनने पर वह कैसा महसूस कर रहे हैं, अमन ने कहा, 'बहुत अच्छा लग रहा है। अब मेरा लक्ष्य अगले ओलम्पिक खेलों में पदक का रंग बदलना है। मैं इसके लिए कड़ी मेहनत करूंगा। मैं स्वर्ण पदक जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोडूंगा।'
अमन ने अपने करियर को संवारने में योगदान देने के लिए टोक्यो ओलम्पिक खेलों के कांस्य पदक विजेता रवि दहिया का भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'रवि दहिया ने मेरे करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम अभ्यास के दौरान उनके नक्शेकदम पर चलते और उनसे प्रेरणा लेते। मेरी यह यात्रा और मुश्किल होती लेकिन मेरे भाई सागर ने मेरी अच्छी तरह से देखभाल की और मुझे माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी।'

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