पेरिस में करमपुर के लाल राजकुमार पाल ने किया कमाल
मां को पहनाया मेडल, कहा- देशवासियों की दुआएं काम आईं
खेलपथ संवाद
गाजीपुर। हॉकी की बात जुबान पर आते ही गाजीपुर के लोगों के मन में करमपुर गांव का नाम बरबस ही आ जाता है। यह वही गांव है जहां बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक में हॉकी के प्रति जुनून दिखाई देता है। इसी गांव के लाल राजकुमार पाल ने पेरिस ओलम्पिक में देश को कांस्य पदक दिलाकर हॉकी मुरीदों का दिल जीत लिया। राजकुमार पाल रविवार को अपने गृह जनपद गाजीपुर लौटे। घर पहुंचते ही उन्होंने अपनी मां को मेडल पहनाया और कहा कि पेरिस में देश की दुआएं काम आ गईं।
गृह जनपद लौटने पर राजकुमार पाल का जगह-जगह स्वागत किया गया। जिले के सैदपुर तहसील के करमपुर गांव निवासी राजकुमार पाल का मेधबरन सिंह स्टेडियम में भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान राजकुमार ने कांस्य पदक अपनी मां मनराजी पाल के गले में डालकर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान ओलम्पियन की मां अपने बेटे की सफलता पर आंसू नहीं रोक पाईं और भावुक हो गईं। राजकुमार ने कहा कि मां, परिजन और देशवासियों की दुआ से ही मेडल जीत सका।
गाजीपुर जिले के सैदपुर तहसील क्षेत्र में एक छोटा सा गांव करमपुर है। करीब दो दशक पहले तक जनपद क्या सैदपुर तहसील के लोग भी इस गांव के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते थे, लेकिन अब इस गांव का नाम आते ही हॉकी की उभरती प्रतिभाएं लोगों के जेहन में आने लगती हैं। करमपुर के मेधबरन स्टेडियम की नर्सरी में पले-बढ़े खिलाड़ियों ने अपने हॉकी करियर में एक ऊंचा मुकाम तो हासिल किया ही, साथ में जनपद के नाम को भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है।
करमपुर के रहने वाले राजकुमार पाल आज भारतीय टीम के सदस्य हैं। वे काबिल मिडफील्डर हैं। उनकी बदौलत टीम ने पेरिस में कांस्य पदक जीतने में सफलता हासिल की है। राजकुमार ने बीते फरवरी माह में ही ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित आठ देशों के बीच हुई एफआईएच प्रो लीग में सीनियर इंडिया टीम की ओर से प्रतिभाग किया था। इसके पहले भी बेल्जियम में 2018 में आयोजित नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में जूनियर इंडिया टीम के सदस्य के रूप में प्रतिभाग कर चुके हैं।
पेरिस से लौटने पर राजकुमार पाल की मां मनराजी पाल ने बेटे की जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि, मेरे बेटे ने देश के लिए मेडल जीता है। देशभर से बधाईयों का तांता लगा है। हर तरफ से शुभकामनाएं मिल रही हैं। राजकुमार की जीत की खुशी में पूजा पाठ किया गया, उनके पसंद के पकवान बनाए गए हैं। वहीं मनराजी पाल ने इस मौके पर सरकार से यह मांग भी की कि उनके बेटे को कोई बड़ी पोस्ट वाली सरकारी नौकरी मिले, जिससे आगे का उसका जीवन अच्छे से गुजर सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजकुमार के पिता जीवित होते तो उनकी खुशी दोगुनी हो जाती।
राजकुमार की बचपन की यादों को ताजा करते हुए मां ने कहा कि उनका बेटा बचपन से ही हॉकी का दीवाना था। पढ़ाई-लिखाई में उसका मन कम लगता था। वह दिन भर बांस की बनी हॉकी से ही खेलता रहता था, जबकि उसके बड़े भाई उसको खेलने से मना करते थे। उसके बाद भी वह भाईयों से छुपकर हॉकी खेला करता था।