प्रशंसक के नाते दुखी हूं, पर पत्नी के नाते खुश
दिग्गज गोलकीपर श्रीजेश के संन्यास पर अनीश्या ने कहा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। लाखों भारतीयों की तरह पीआर श्रीजेश की प्रशंसक अनीश्या को मैदान पर भारतीय हॉकी की इस दीवार की कमी खलेगी, लेकिन पत्नी होने के नाते उन्हें खुशी है कि हमेशा घर से दूर रहने वाले पति का अधिक समय उन्हें अब मिल सकेगा। पेरिस ओलम्पिक में स्पेन को 2-1 से हराकर लगातार दूसरी बार ओलम्पिक कांस्य पदक जीतने के साथ ही महान गोलकीपर श्रीजेश ने हॉकी को अलविदा कह दिया।
उनकी पत्नी डॉक्टर अनीश्या का कहना है कि मैं उनकी पत्नी ही नहीं बल्कि प्रशंसक भी हूं। प्रशंसक होने के नाते दुखी हूं कि मैदान पर उन्हें नहीं देख सकूंगी लेकिन पत्नी को खुशी है कि अब पति का अधिक समय मिल सकेगा। तो खुशी और गम दोनों एक साथ हैं। गोलकीपर पीआर श्रीजेश की पत्नी डॉक्टर अनीश्या ने कहा, “शब्द उस गर्व और खुशी को व्यक्त नहीं कर सकते जो मैं अभी महसूस कर रही हूं। रिटायरमेंट मैच में भारत के लिए कांस्य पदक हासिल करना वास्तव में हॉकी के प्रति उनके जुनून और समर्पण का पुरस्कार है। हम सभी को उन पर गर्व है।
यह पूछने पर कि भारत के लिये दो ओलम्पिक पदक जीतने में सूत्रधार रहे श्रीजेश का स्वागत वह कैसे करेंगी, उन्होंने कहा कि वह उनके लिये केरल का पारंपरिक खाना बनायेंगी। उन्होंने कहा,‘‘ उसे केरल का पारंपरिक खाना बहुत पसंद है। शाकाहारी और मांसाहारी दोनों। उसे बहुत याद आ रहा होगा और यहां आते ही मैं सबसे पहले वही पकाऊंगी।” उन्होंने कहा,‘‘ हमने जश्न के बारे में अभी सोचा नहीं है लेकिन उनके भाई कनाडा से सपरिवार यहां आये हैं और पूरा परिवार एकत्र है। हमारे लिये यह बड़ा पल है और अब उनका इंतजार है।”
अनीश्या ने कहा ,‘‘ कांस्य पदक का मैच देखने पूरा घर भरा हुआ था। जश्न का माहौल है। हमारे लिये यह गर्व का पल है कि वह भारत के लिये लगातार दूसरा ओलम्पिक पदक जीतकर हॉकी से विदा हुए। दोनों बच्चे घर में इधर उधर दौड़ रहे हैं। इतने लोगों को देखकर उन्हें भी लग रहा है कि आज बहुत खास दिन है। मेरे आंसू निकलने ही वाले थे लेकिन मैंने खुद पर काबू रखा।” बहुत लोगों को पता नहीं है कि पेरिस ओलम्पिक के लिये श्रीजेश तीन खास स्टिक लेकर गए थे जिनमें से दो पर उनके बच्चों अनुश्री और श्रियांश का और एक पर पत्नी का नाम लिखा था।
अनीश्या ने बताया,‘‘ उन्होंने पेरिस ओलम्पिक के लिये ये तीन स्टिक रखी थीं। एक पेनल्टी शूटआउट के लिये जिस पर मेरा पसंदीदा रंग और नाम था और दो बाकी मैचों के लिये जिस पर बच्चों के नाम थे। ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में शूटआउट में उन्होंने मेरे नाम वाली स्टिक का इस्तेमाल किया था।” भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ अभी तक फोकस पेरिस ओलंपिक पर ही था लेकिन अब आगे के बारे में फैसला लेंगे।” भारतीय हॉकी की युवा ब्रिगेड के रोलमॉडल श्रीजेश से उन्होंने क्या सीखा, यह पूछने पर उन्होंने कहा,‘‘ मैंने उनसे सकारात्मकता सीखी है। वह हमेशा कहते हैं कि खेल में जीत-हार और जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन अतीत को भूलकर आगे बढ़ना ही समझदारी है और शायद यही उनकी सफलता का राज भी है।”