जांबाज हाकम सिंह राजपुरोहित की भक्ति और शक्ति को सलाम

बाड़मेर से 1300 किलोमीटर पैदल चल किए श्रीरामलला के दर्शन

खेलपथ संवाद

बाड़मेर। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांव गिराब (बाड़मेर) के जांबाज मैराथन धावक हाकम सिंह राजपुरोहित ने अपनी भक्ति और शक्ति का समाज के सामने एक नया उदाहरण पेश किया है। हाकम सिंह ने लगभग 1300 किलोमीटर की लम्बी यात्रा अपने पैरों से नाप भगवान श्रीरामलला के दर्शन कर युवाओं को एक अनुकरणीय संदेश दिया है। राजस्थान के इस गरीब खिलाड़ी के हौसले को श्रीराम भक्त ही नहीं हर कोई सराह रहा है।

गुरबत के दौर से गुजरते इस युवा का सपना खेलों में राजस्थान का गौरव बढ़ाना है। बिना शासकीय मदद के हाकम सिंह राजपुरोहित उत्कृष्ट खिलाड़ी बनने के लिए जीतोड़ मेहनत भी कर रहा है। हाकम सिंह राजपुरोहित ने खेलपथ को बताया कि बहुत दिनों से उसके मन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के दर्शन की इच्छा थी। देश भर ही नहीं सात समंदर पार तक के लोगों को जब 22 जनवरी की तारीख का बेसब्री से इंतजार था, उसमें मैं भी शामिल था। जब मैं 22 जनवरी को श्रीरामलला के दर्शन की इच्छा नहीं पूरी कर सका तब मैंने पैदल ही अयोध्या जाने का निश्चय कर लिया।

आखिरकार हाकम सिंह एक दिन पैदल ही भगवान श्रीराम के दर्शन को निकल पड़ा। हाकम सिंह के हिम्मत और हौसले की दाद देनी होगी वह तकरीबन 1300 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर न केवल अयोध्या पहुंचा बल्कि भगवान श्रीराम के दर्शन कर अपने आपको धन्य माना। बाड़मेर के छोटे से गांव गिराब निवासी धावक हाकम सिंह राजपुरोहित के हौसले और जज्बे को देखकर 48 साल के मान सिंह राठौड़ गंगापुरा भी उसके साथ अयोध्या पहुंचे। राजस्थान के इन दोनों जांबाजों की भक्ति और शक्ति को हर किसी की सराहना मिल रही है। पाठकों को हम बता दें कि हाकम सिंह राजपुरोहित बहुत प्रतिभाशाली धावक है लेकिन उसकी प्रतिभा पर राजस्थान सरकार की अभी तक नजर नहीं पड़ी है। उम्मीद है कि हाकम सिंह राजपुरोहित की इस साहसिक यात्रा के बाद राजस्थान सरकार और बाड़मेर जिला प्रशासन उसकी जरूर मदद को आगे आएगा तथा वह खेलों में अपना करियर बनाने का सपना साकार कर सकेगा। 

 

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