बैडमिंटन में मेरा बचपन में कोई आदर्श नहीं थाः साइना नेहवाल

दिग्गज बोली- वह टेनिस में बैडमिंटन से बेहतर कर सकती थी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अपने करियर को लेकर बहुत सारी बातें कीं। उन्होंने बताया कि बैडमिंटन खेलने की बजाय अगर वह टेनिस खेलतीं तो ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकती थीं। साइना ने अपने कौशल के दम पर दुनिया में शीर्ष रैंकिंग हासिल की थी। ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला शटलर बनी थीं। वहीं, ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी भी बनी थीं।
राष्ट्रपति भवन में 'हर स्टोरी–माई स्टोरी' बातचीत के दौरान साइना ने कहा, "कभी-कभी मुझे लगता है कि अगर मेरे माता-पिता ने मुझे टेनिस में डाला होता तो अच्छा होता। इसमें ज्यादा पैसा है और मुझे लगता है कि मैं ज्यादा ताकतवर थी। मैं टेनिस में बैडमिंटन से बेहतर कर सकती थी।" 
साइना ने बताया कि उन्होंने कई युवाओं को बैडमिंटन खेलने के लिए प्रेरित किया, लेकिन जब उन्होंने आठ साल की उम्र में खेलना शुरू किया था तो उनके लिए कोई आदर्श नहीं था। उन्होंने कहा, "जब मैंने शुरूआत की थी तो मेरे लिए कोई आदर्श नहीं था। यह कहने के लिए कोई नहीं था, मैं दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी बनना चाहती हूं या ओलम्पिक पदक विजेता बनना चाहती हूं। मुझसे पहले मैंने किसी को बैडमिंटन में ऐसा करते नहीं देखा था।"
लंदन ओलम्पिक के कांस्य के अलावा साइना ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य और रजत पदक जीते तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भी कई स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने कहा, "मैं हमेशा बच्चों को खेलों पर ध्यान लगाने के लिए कहती हूं। चीन 60-70 पदक जीतता है और हमें सिर्फ तीन चार पदक मिलते हैं। इतने सारे डॉक्टर और इंजीनियर होते हैं और उनके नाम अखबारों में नहीं आते।"

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