अब टीम इंडिया को गौतम गम्भीर सिखाएंगे आक्रामकता का पाठ
दिसम्बर 2027 तक रहेंगे भारतीय टीम के मुख्य प्रशिक्षक
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारत के नए मुख्य कोच का एलान हो गया है। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने मंगलवार को गौतम गंभीर के नाम की घोषणा की। गंभीर अब से लेकर दिसंबर 2027 तक भारतीय टीम के मुख्य कोच बने रहेंगे। हालांकि, उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। इनमें सीनियर खिलाड़ियों और युवा खिलाड़ियों के बीच बेहतर तालमेल बैठाने से लेकर टीम इंडिया को तीनों प्रारूप में विश्व चैंपियन बनाने तक की चुनौती शामिल है। हालांकि, गंभीर आईपीएल में और उससे पहले टीम इंडिया में मिली कप्तानी की जिम्मेदारी को बखूबी संभाल चुके हैं। इतना ही नहीं अपनी देखरेख में कोलकाता नाइट राइडर्स को इसी साल आईपीएल चैम्पियन भी बनाया है।
ऐसे में बीसीसीआई को उनसे काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, उन्होंने कोच बनने से पहले ही बोर्ड के सामने कुछ शर्तें रखी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया था कि गंभीर ने बोर्ड के सामने इंटरव्यू के समय कुछ शर्तें रखी थीं। इनमें भारतीय टीम पर उनका फुल कंट्रोल, अपने सपोर्ट स्टाफ को चुनना, सीनियर खिलाड़ियों के लिए चैम्पियंस ट्रॉफी आईसीसी ट्रॉफी जीतने का आखिरी मौका होना, टेस्ट के लिए बिल्कुल अलग टीम होना और 2027 वनडे विश्व कप के लिए अभी से ही रोडमैप तैयार करना शामिल था। गंभीर की नजर भारत को एक विश्व विजेता के तौर पर देखने की है, लेकिन उनके लिए यह चुनौती आसान नहीं रहने वाली है। उनकी कोचिंग में टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी 2025, विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (फाइनल में पहुंचने पर) 2025 और 2027, टी20 विश्व कप 2026 और वनडे विश्व कप 2027 खेलेगी। यानी गंभीर के सामने तीन सीमित ओवर विश्व कप और दो आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप जीतने की चुनौती है।
चुनौती नंबर 1: कप्तान के साथ किस तरह बैठाएंगे तालमेल
एक मुख्य कोच किसी भी टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन कप्तान भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। उन्हें टीम का पूरा नियंत्रण सौंपना कप्तान के साथ गंभीर अन्याय होगा, जो मैदान पर खिलाड़ियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। कप्तान को टीम और प्लेइंग-11 में कौन से खिलाड़ी चाहिए इस पर अपनी राय रखनी चाहिए। ऐसा सदियों से होता आ रहा है। यहां तक कि चयनकर्ता भी चयन बैठक में कप्तान की पसंद को प्राथमिकता देते हैं और उसे वह टीम प्रदान करते हैं जो वह चाहता है।
यह देखना होगा कि गंभीर किस प्रकार इस मांग के साथ न्याय करते हैं, क्योंकि रोहित टेस्ट और वनडे में कप्तान होंगे और इतने सीनियर खिलाड़ी के साथ गंभीर के सामने तालमेल बैठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। आईपीएल में हमने गंभीर को बतौर मेंटर मैदान के बाहर से चीजों को कंट्रोल करते देखा है, लेकिन रोहित काफी अनुभवी हैं और अब टीम इंडिया को टी20 चैंपियन बनाने के बाद उन्हें बीसीसीआई से पूरा समर्थन भी प्राप्त है। ऐसे में गंभीर किस तरह खुद को इन सीनियर खिलाड़ियों के साथ ढालते हैं, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, आईपीएल में गंभीर और रोहित को कई बार हंसी-मजाक करते हुए देखा गया है।
चुनौती नंबर-2: सीनियर खिलाड़ियों के साथ तालमेल बैठाना
कथित तौर पर गंभीर का 2025 चैंपियंस ट्रॉफी का अल्टीमेटम सीनियर खिलाड़ियों के लिए था। ऐसा कहा गया कि गंभीर ने मांग की थी कि चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में विफल रहने पर भारतीय टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। हालांकि, इस बात का कोई जिक्र नहीं था कि सीनियर खिलाड़ियों से उनका क्या मतलब है। रिपोर्ट में कहा गयाकि इससे रोहित शर्मा, विराट कोहली, रवींद्र जडेजा और मोहम्मद शमी जैसे सितारे शामिल थे। हालांकि, रोहित, कोहली और जडेजा ने टी20 विश्व कप 2024 जीतकर पहले ही खुद को प्रूव कर दिया। साथ ही इस प्रारूप से संन्यास भी ले लिया। अब इन तीनों सीनियर खिलाड़ियों का फोकस पूरी तरह से वनडे और टेस्ट पर होगा।
हालांकि, 2027 वनडे विश्व कप के लिए रोडमैप में ये सीनियर खिलाड़ी कितने सटीक बैठेंगे ये देखने वाली बात होगी, क्योंकि तब तक रोहित 40 साल के और विराट 38 साल के हो चुके होंगे। जडेजा भी 38 साल के और शमी 36 साल के हो चुके होंगे। भारत में कई टैलेंट अपने मौके का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में क्या वाकई चैंपियंस ट्रॉफी के बाद बड़ा बदलाव होगा या सीनियर खिलाड़ियों को आगे भी मौका दिया जाएगा? गंभीर कैसे इस स्थिति से निपटेंगे यह बड़ी चुनौती होगी।
चुनौती नंबर 3: भारत को टेस्ट में चैंपियन बनाना
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत 2019 में हुई थी और इसके बाद भारत इस टूर्नामेंट के दोनों फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा है। 2021 में टीम इंडिया को फाइनल में न्यूजीलैंड ने और 2023 में फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने हराया था। दोनों ही मौकों पर भारतीय टीम टेस्ट चैंपियन बनने से चूक गई। अब गंभीर चाहेंगे कि भारत 2025 में होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के न सिर्फ फाइनल में पहुंचे, बल्कि टेस्ट चैंपियन बनने का गदा भी हासिल करे। जो काम रवि शास्त्री और द्रविड़ अधूरा छोड़ गए, गंभीर उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं, गंभीर की नजर 2027 में भारत को टेस्ट चैंपियन बनाने पर भी होगी। गंभीर के कार्यकाल में भारत दो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेल सकता है।
चुनौती नंबर 4: 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतना और 2026 में टी20 खिताब बचाना
भारत को अगले साल रोहित शर्मा की कप्तानी में चैंपियंस ट्रॉफी खेलना है। गंभीर की नजर रोहित और विराट जैसे खिलाड़ियों के साथ सही तालमेल बैठाकर यह टूर्नामेंट जीतने पर होगी। भारत ने पिछली बार 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी। 2017 में टीम इंडिया चूक गई थी। अब गंभीर फिर से इसे जीतने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा 2026 में भारत और श्रीलंका की सह-मेजबानी में टी20 विश्व कप खेला जाना है। गंभीर के सामने खिताब बचाने की चुनौती होगी। गंभीर टी20 के महारथी माने जाते हैं और 2026 में टीम इंडिया एक बार फिर चैंपियन बने तो कोई हैरानी नहीं होगी।
चुनौती नंबर 5: 2027 में भारत को वनडे विश्व कप जिताना
गंभीर के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत को 2027 में वनडे चैम्पियन बनाने पर होगी। हर टीम इस प्रारूप में चैंपियन बनने पर नजरें गड़ाती हैं। टीम इंडिया 1983 में और 2011 में वनडे चैंपियन बन चुकी है और 2023 में फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारकर खिताब जीतने से चूक गई थी। अब 2027 में दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में गंभीर टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाना चाहेंगे। हालांकि, किस तरह वह टीम बिल्ड करते हैं और कैसे मैनेज करते हैं, यह असली चुनौती रहने वाली है।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि गंभीर यह पद तब संभाल रहे हैं जब भारतीय टीम टी20 विश्व कप जीतने के बाद मौज मस्ती के मूड में है। लेकिन अगर उनके कार्यकाल में शुरुआती नतीजे मनमुताबिक नहीं आए तो माहौल बदलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। यहीं पर मुख्य कोच को शांत रहने और टीम को अच्छी स्थिति में रखने की जरूरत होती है। रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ के बीच बहुत ही सूझबूझ का रिश्ता था, जिसमें द्रविड़ काफी हद तक पृष्ठभूमि में रहे और खिलाड़ियों को प्रशंसा लेने दी। ऐसी ही गंभीर को भी करने की जरूरत है।
सुपरस्टारों से भरी एक राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करना विभिन्न देशों के खिलाड़ियों से बनी फ्रेंचाइजी का प्रभारी होने से बहुत अलग है। राष्ट्रीय टीम में अहं और असुरक्षाओं को प्रबंधित करना खेल के तकनीकी और सामरिक पहलुओं जितना ही महत्वपूर्ण है। भारत को विश्व क्रिकेट में प्रमुख ताकत बनाने के लिए गंभीर को सभी को साथ लेकर चलना होगा।