भारत के सम्मान से बढ़कर कुछ नहींः रिंकू सिंह

अंतराष्ट्रीय रेसलर वीर महान ने डब्ल्यूडब्ल्यूई को कहा अलविदा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में बड़े-बड़े विदेशी रेसलरों के छक्के छुड़ाने वाले गोपीगंज क्षेत्र के होलपुर निवासी रिंकू सिंह राजपूत 'वीर महान' का जलवा अब नहीं दिखेगा। अपनी विशिष्ट वेशभूषा और रिंग में दमदार उपस्थिति से अंतरराराष्ट्रीय फलक पर भारत का झंडा बुलंद करने वाले रिंकू सिंह राजपूत ने डब्ल्यूडब्ल्यूई को गुडबॉय कह दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। हालांकि, इसके पीछे के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पा रहा है।
माथे पर त्रिपुंड, गले में रूद्राक्ष की माला और विशिष्ट भारतीय वेशभूषा और लम्बे-चौड़े डीलडौल शरीर वाले वीर महान जब डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में उतरते थे तो विदेशी रेसलरों के पसीने छूट जाते थे। भदोही जिले के गोपीगंज क्षेत्र के एक छोटे से गांव होलपुर से निकलकर अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाने वाले रिंकू सिंह राजपूत के पिता ट्रक ड्राइवर थे। शुरू से ही जिद्दी और लक्ष्य के प्रति अडिग रहने वाले रिंकू ने पहले जेवलिन थ्रोअर के रूप में शुरूआत की।
बाद में उन्होंने बेसबॉल में नाम कमाया और फिर डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में उतरते ही देश-दुनिया में छा गए। रिंग में इन्हें वीर महान के नाम से जाना जाता था। अपने पिता के बेहद करीब रिंकू सिंह राजपूत बीते साल अप्रैल माह में भदोही जिले में आए थे। उन्होंने लिखा...'बात जब भारतवासियों के मान-सम्मान पे आ जाए तो त्याग सबसे पहले। गुडबॉय डब्ल्यूडब्ल्यूई...'। रिंकू सिंह राजपूत के इस फैसले को लेकर जब उनके परिवार से बात करने का प्रयास किया जाए तो परिजनों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उनके छोटे भाई राजन सिंह ने कहा कि ये उनका फैसला है। इसके बारे में वही बता सकते हैं।
रिंकू सिंह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम व भगवान शिव के भक्त और मां भगवती के उपासक हैं। रिंकू सिंह के बड़े भाई राजन सिंह बताते हैं कि वे मां के काफी करीब रहे हैं। अब भी सात समुंदर पार होने और इतना व्यस्त होने के बावजूद प्रतिदिन बाबूजी (पिता) को सुबह या शाम में जरूर समय देते हैं। फोन पर व्हाट्सएप कॉलिंग से ही बात होती है। बताते हैं कि बीते वर्ष सर्दी के मौसम में घर आए थे। राजन सिंह बताते हैं कि रिंकू जहां रहते हैं अपनी पूजन की सामग्री साथ रखते हैं। प्रतिदिन समय के अनुसार पूजा करना, चंदन लगाना उनकी दिनचर्या है। भक्ति की वजह से ही उन्होंने अपनी भुजा पर राम और सीने पर मां लिखवाया है। वह शुद्ध शाकाहारी हैं। 
भदोही जिले के गोपीगंज क्षेत्र में स्थित होलपुर गांव निवासी ब्रह्मदीन सिंह ट्रक ड्राइवर थे। उससे ही परिवार का खर्च चलता था। रिंकू की मां अन्तराजा सिंह का पांच नवंबर 2018 को निधन हो चुका है। ब्रह्मदीन बताते हैं कि उनकी कुल सात संतानें हैं। इसमें चार पुत्र रत्नेश सिंह उर्फ गोपाल बीएसएफ में, राजकुमार सिंह सेना में, राजन सिंह रेलवे में और रिंकू सिंह रेसलर हैं। तीन पुत्रियां कुसुम सिंह, सुसुम सिंह व रुसुम सिंह हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। रिंकू का जन्म आठ अगस्त 1988 को हुआ। उनके पिता बताते हैं कि रिंकू की मां भगवती की भक्त थीं। वह विंध्याचल दर्शन करने गईं थी, वहीं पर रिंकू का जन्म हुआ था।
रिंकू का कैसा रहा जीवन, किस तरह से बढ़े आगे
रिंकू के पिता बताते हैं कि वह बचपन से ही खेल में रुचि रखते थे। भाई राजन के मुताबिक, आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद भाला फेंकने का ट्रायल दिया। उसमें सफल होने पर गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ गए। वहां से खेलते रहे और जूनियर नेशनल में गोल्ड मेडल भी जीते। 2008 में द मिलियन डॉलर आर्म नाम के रियल्टी टीवी शो में हिस्सा लिया। इसमें तेज बेसबॉल फेंकने वाले खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
बेसबॉल के इस टैलेंट हंट शो में रिंकू को भाला फेंकने के अनुभव का लाभ मिला और मजबूत शरीर के कारण उन्होंने 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बेसबॉल फेंककर पहला स्थान हासिल किया। इसी पर एक फिल्म भी बनी। इसके बाद बेसबॉल में करियर बनाने अमेरिका गए। वहां पीटर्सबर्ग पायरेट्स से करार करने में कामयाब रहे कई लीग में हिस्सा लिया और जीते। 
रिंकू सिंह राजपूत ने जिस भी खेल में हाथ आजमाया उसमें बुलंदी तक पहुंचे। 2018 में बेसबॉल को अलविदा कहने के बाद पेशेवर रेसलिंग में करियर बनाना शुरू किया। उसी साल डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ करार किया। भारतीय रेसलर सौरव गुर्जर के साथ टीम बनाई। कुछ समय बाद इनकी टीम ‘द इंडस शेर’में जिंदर महाल का भी नाम जुड़ा। पहले रिंकू अपने असली नाम से ही खेलते थे बाद में इन्होंने वीर महान नाम धारण कर लिया। इनकी टीम ने लगातार कई मुकाबले जीते। 2021 में वीर महान अपनी इस टीम से अलग हो गए। स्वतंत्र रेसलर के रूप में डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ करार किया। बीते दिनों उन्होने रे और डोमिनिक मिस्टिरियो की पिता-पुत्र की जोड़ी को पछाड़कर चर्चा बटोरी है।

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