पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह के तरानों पर झूमी तरुणाई
जीएल बजाज का वार्षिकोत्सव तूनव-2024 जय हो, जय हो से गूंजा
रात 10 बजे तक जमी रही सुर-संगीत की महफिल
मथुरा। अपनी जादुई आवाज से करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह बना चुके पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने शुक्रवार की शाम जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में अपनी सुर लहरियों से ऐसा समां बांधा कि हर कोई थिरकने को मजबूर हो गया। एक के बाद एक उन्होंने जय हो… आजा-आजा नीले आसमान के तले…, आज गुल्लक फोड़े…, होले-होले से दवा लगती है..,बीड़ी जलइले जिगर से पिया, जिगर में बड़ी आग है…, मरजानी-मरजानी…, चल छइयां-छइयां…, चली-चली फिर हवा चली…, इश्क चांदी है इश्क सोना है… गाने सुनाकर छात्र-छात्राओं को जोश से मदहोश कर दिया।
जीएल बजाज के वार्षिक आयोजन तूनव-2024 में शुक्रवार शाम संगीत की ऐसी महफिल सजी कि रंगमंच के सामने उपस्थित हजारों छात्र-छात्राएं सुपरहिट गायक सुखविंदर सिंह के साथ गाते तथा मस्ती में झूमते नजर आए। सुर-संगीत की इस महफिल में पार्श्व गायक सुखविन्दर सिंह ने हिन्दी गानों की एक के बाद एक दमदार प्रस्तुतियां पेश कीं। रंगमंच से सुरों के जादूगर सिंह ने रिमिक्स म्यूजिक के साथ 1998 की सुपरहिट फिल्म दिल से का गाना चल छइयां-छइयां तथा फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के गाने जय हो को जैसे ही सुनाया छात्र-छात्राएं मस्ती से झूम उठे।
हिन्दी गानों के बाद सुखविंदर सिंह ने पंजाबी गानों की तरफ रुख किया और चोरी चोरी मेरा दिल ले गया….सुनाकर माहौल को मस्ती से भर दिया। हर तरफ झूमते दर्शक तथा वन्स मोर, वन्स मोर का शोर, सुर-संगीत की महफिल को चार चांद लगा रहा था। आलम यह था कि कोई बैठे ही बैठे झूम रहा था तो हजारों छात्र-छात्राएं खड़े-खड़े थिरक रहे थे। पार्श्व गायक सुखविन्दर सिंह ने रंगमंच से मथुरा नगरी तथा जीएल बजाज के छात्र-छात्राओं की जमकर तारीफ की।
मंचीय कार्यक्रम के बाद संक्षिप्त बातचीत में पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह ने कहा कि संगीत की कोई धर्म-जाति नहीं होती। जब कोई भी गाना लिखा जाता है तो कलाकार या गायक देखकर नहीं लिखा जाता बल्कि फिल्म की कहानी और कलाकारों की मौजूदा अवस्था को देखकर गीत को तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि वह गाने का चुनाव करते समय इस बात का बहुत गंभीरता से ध्यान रखते हैं कि गीत के बोल में कोई अपशब्द तो नहीं है।
सुखविंदर सिंह की जहां तक बात है, इन्हें बचपन से ही गायकी का शौक रहा है। आठ साल की उम्र से ही यह स्टेज परफॉर्मेंस देने लगे थे। जब वह 13 साल के हुए, तब उन्होंने सिंगर मलकीत सिंह के लिए तूतक तूतक तूतिया गाना कम्पोज किया था। सुखविंदर सिंह न सिर्फ बेहतरीन सिंगर हैं बल्कि शानदार संगीतकार भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में अपना संगीत दिया है। सुखविंदर सिंह ने बॉलीवुड में पहला कदम फिल्म कर्मा से रखा था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज यह सफलता के शिखर पर हैं।
सुखविंदर सिंह स्टेज शो करने में भी माहिर हैं। स्टेज पर सबसे पहले उन्होंने लता मंगेशकर के साथ जुगलबंदी की थी। सुखविंदर अपने करियर में कई दिग्गज म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ भी काम कर चुके हैं, जिनमें देश के जाने-माने संगीतकार एआर रहमान भी शामिल हैं। दोनों ने कई सुपरहिट गाने अपने मुरीदों को दिए, जिनमें फिल्म दिल से का चल छइयां-छइयां गाना भी शामिल है। सुखविंदर सिंह और एआर रहमान की जोड़ी ने ही फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो तैयार किया था, जिसने पूरी दुनिया में धूम मचा दी। इस गाने को ऑस्कर अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
सुखविंदर सिंह अच्छे गायक ही नहीं नेकदिल इंसान भी हैं। उन्होंने मंच से उतर कर आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विनय अग्रवाल से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर डॉ. अग्रवाल ने उनकी जमकर तारीफ की। कार्यक्रम में आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, उनकी धर्मपत्नी अंशू अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, जीएल बजाज के सीईओ कार्तिकेय अग्रवाल, महाप्रबंधक अरुण अग्रवाल, जीएल बजाज मथुरा की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन डॉ. मनेष लाहौरी, बड़ी संख्या में प्राध्यापक, चिकित्सक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। गायक सुखविंदर सिंह का स्वागत आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ भेंटकर किया।