मनु भाकर ने किराए की पिस्टल से खेला था पहला नेशनल

दिया संदेश- खराब परिस्थितियों का डटकर सामना करो
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निशानेबाज मनु भाकर ने अपने जीवन के कई संस्मरण बताए। 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 70 से अधिक राष्ट्रीय पदक जीत चुकी मनु ने बताया कि उन्होंने पहला नेशनल किराए पर पिस्टल लेकर खेला था। इस दौरान उन्होंने बताया कि वह पिस्टल किसकी थी। 
मनु ने कहा, "शुरू-शुरू में जब आपके पास लाइसेंस नहीं होता है या फिर आर्थिक रूप से आप उतने सक्षम नहीं होते हो तो शूटर्स पिस्टल किराए पर ले लेते हैं। वैसे ही मैंने अपना पहला नेशनल खेला था किराए पर पिस्टल लेकर। वह पिस्टल विनीत सर की थी और वह अभी भी शूटिंग करते हैं। तो मैंने उनसे पिस्टल ली थी और नेशनल खेला था।" इस दौरान उन्होंने बताया कि पिस्टल का ट्रिगर कितना अंदर होता है, इस बात की भी जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि किराए पर ली गई पिस्टल में उन्हें ग्रिप बनाने में दिक्कत होती थी, इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और परिस्थितियों से जूझते हुए इस मुकाम तक पहुंची। 
मनु ने कहा, "मुझे बकायदा ग्रिप तो बहुत दूर की बात है ये पता भी नहीं था कि ट्रिगर कितना अंदर होता है 10 मीटर और 25 मीटर में कितना फर्क होता है। वैसे ही मैंने वहां से शुरू किया था। धीरे-धीरे जब तक अपनी खुद की पिस्टल नहीं आई तब तक मैं संघर्ष करती रही इसमें ग्रिप नहीं बनी या ये नहीं हुआ। लेकिन मैंने सोचा कि जैसे-तैसे करके मैं चला लूंगी। आपके अदंर एक भूख होनी चाहिए कि कोई भी परिस्थिति आए तो भी मुझे ये करना है। अगर आप उस चीज को जारी रखते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं।"
'मेरी मां ने बिना रोक-टोक के मुझे आगे बढ़ने दिया'
मनु ने बताया कि किसी खिलाड़ी का सफर उसकी मां से शुरू होता है। अगर माता-पिता बच्चों का समर्थन करते हैं तो उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलती है। मनु ने कहा, "मैं मानती हूं किसी खिलाड़ी का सफर उसके घर पर उसकी मां से शुरू होता है। अगर माता-पिता उसे मौके नहीं देंगे तो कैसे होगा। अगर कल को मैं अपने घर पर जाऊं और कहूं कि यह स्पोर्ट्स छोड़कर पढ़ाई करना चाहती हूं तो वो सोचेंगे कल ही तो मेडल जीता आज फिर क्यों। लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी ऐसा नहीं किया। उन्होंने मुझे मेरी मर्जी से चीजें करने दीं।"
इस दौरान मनु ने युवा खिलाड़ियों को अनुशासन का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "अगर कुछ हासिल करना है तो जिंदगी में अनुशासन होना चाहिए। कोई कल नहीं आता। आपको इस चीज को पकड़ कर रखना है कि कोई चीज करनी है तो करनी है। दृढ़ संकल्प लीजिए। आप अपने स्ट्रगल के बारे में निगेटिव मत सोचिए, बस अपने लक्ष्य के पीछे जाइए। ये सोचिए कि जो आप सफर कर रहे हैं वो आगे चलकर आपकी कहानी बनने वाली है। तो बस अपने लक्ष्य के पीछे लग जाएं।" मनु 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 70 से अधिक राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं। 2021 में हुए ओलम्पिक में वह सातवें स्थान पर रहीं। अब इस साल पेरिस में होने जा रही ओलम्पिक गेम्स में स्वर्ण पदक लाना उनका लक्ष्य है। 2023 में मनु ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।
मनु से ओलम्पिक से जुड़े पूछे गए कुछ सवाल:
सवाल: टोक्यो ओलम्पिक में आपकी शूटिंग इवेंट के दौरान पिस्टल खराब हो गया था। 14 मिनट ठीक होने में लग गए। ऐसे में आपको 36 मिनट में 44 शॉट लगाने थे। सवाल ये है कि आप उससे कैसे उबरीं?
मनु का जबाव: टोक्यो ओलम्पिक के बाद मैं दो महीने डिप्रेस थी। हर जगह मैं जानती थी जहां मैं गोल्ड जीतती हूं, सिल्वर-ब्रॉन्ज नहीं गोल्ड जीतती हूं, लेकिन मैं वहां पिस्टल की वजह से चूक गई। लेकिन लाइफ वहां खत्म थोड़ी हो गई। मैंने सोचा कि मैं फिर से वो मोमेंट क्रिएट कर लूंगी। ओलम्पिक के बाद एक महीने तक शूटिंग को देखा तक नहीं था। मोरल ये है कि अगर कभी कामयाबी न मिले तो इसको सोचकर हार नहीं मान लेनी चाहिए। आपको ये सोचना चाहिए कि मैं आगे भी कर सकती हूं। आपके लिए लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी होती है आपकी खुशी। अगर आप हार के बाद भी खुश होने की क्षमता रखते हैं तो आप वो मोमेंट आगे चलकर भी दोहरा सकते हैं।
सवाल: हार से कैसे उबरें? ऐसा क्या करें जिससे उबर सकें?
जवाब: आप बायोग्राफी पढ़िए। मैं अभी उसेन बोल्ट की बुक पढ़ रही हूं। मैंने देखा है कि वो हार कर जितनी प्रेरणी मिलती है वो जीत से नहीं मिलती। हारने की प्रेरणा बहुत मजबूत होती है। बोल्ट कितनी बार हारे लेकिन उन्होंने उससे प्रेरणा ली और आज देखिए कोई ऐसी प्रतियोगिता नहीं जिसने उन्होंने नहीं जीती हो।
सवाल: एक ओलम्पिक आप खेल कर आ चुकी हैं। वो माहौल जी चुकी हैं। अब एक और चुनौती है। आपकी तैयारी कितनी है? उस तैयारी की कोई इनसाइड स्टोरी शेयर कर सकें?
जबाव: अमर उजाला का बहुत बहुत शुक्रिया। ओलंपिक की जब बात आती है तो पूरा देश इकट्ठा हो जाता है। टोक्यो ओलंपिक मेरा पहला था। मैंने उस तरह का प्रेशर कभी नहीं झेला था। मैं बहुत ज्यादा नर्वस थी। मेंटल ट्रेनिंग योगा कर रही हूं। जो पिछली बार परेशानी हुई थी वो परेशानी इस बार न हो। उसकी पूरी तैयारी कर रही हूं। उम्मीद है कि इस बार आपकी आशाओं के साथ मैं तिरंगा लहरा सकूं।
2018 में मनु ने किया कमाल
मनु कभी कबड्डी के मैदान में उतरीं तो कभी कराटे में हाथ आजमाया। शूटिंग को प्राथमिक रूप से चुनने से पहले मनु ने स्केटिंग, मार्शल आर्ट्स, कराटे, कबड्डी सब खेला। 16 साल की उम्र में मनु ने 2018 में आईएसएसएफ विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और दो स्वर्ण पदक जीते। उसी साल मनु ने राष्ट्रमंडल खेलों और यूथ ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। दोनों प्रतियोगिताओं में मनु ने स्वर्ण पदक हासिल किया।

रिलेटेड पोस्ट्स