कभी कैप्टन रूप सिंह मैदान में खेली जाती थी हॉकी

ग्वालियर और हॉकी का पुराना नाता
खेलपथ संवाद
ग्वालियर।
हॉकी और ग्वालियर का पुराना याराना है। यहां एक से बढ़कर एक बेजोड़ हॉकी खिलाड़ी हुए हैं। 1932 और 1936 ओलम्पिक हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रूप सिंह को भला कौन नहीं जानता। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के छोटे भाई रूप सिंह ने अपने करिश्माई प्रदर्शन से जहां अतीत में धूम मचाई थी वहीं अब ग्वालियर की हॉकी बेटियां अपना जलवा दिखा रही हैं।
ग्वालियर में रेलवे हॉकी स्टेडियम बनने से पहले हॉकी के मैच कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में खेले जाते थे। वहां सामान्य घास का मैदान था। समय के साथ कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम को सिर्फ क्रिकेट का ग्राउंड बनाया गया, इसलिए हॉकी स्टेडियम की आवश्यकता पड़ी और रेलवे हॉकी स्टेडियम अस्तित्व में आया। रेलवे हॉकी स्टेडियम का शिलान्यास 11 अक्टूबर, 1986 को तत्कालीन रेल राज्यमंत्री माधवराव सिंधिया ने किया था। 13 अक्टूबर, 1987 को रेलवे हॉकी स्टेडियम का उद्घाटन किया गया था। टर्फ पर पहला बड़ा मैच वर्ष 1987 में भारत-पाकिस्तान टेस्ट सीरीज के दौरान खेला गया था। इस मैच को पाकिस्तान 5-3 से जीता था।
इस स्टेडियम के पहले केयर टेकर अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी शिवाजी पवार थे। स्टेडियम में पहला बड़ा टूर्नामेंट वर्ष 1988 में हुआ था। यहां हॉकी की सीनियर नेशनल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस प्रतियोगिता में मोहम्मद शाहिद, परगट सिंह, धनराज पिल्लै, सुजीत कुमार, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार सहित कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी खेलने आए थे। देश के पांच प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में से एक सिंधिया गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन इसी एस्ट्रोटर्फ पर किया जाता है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की अन्य प्रतियोगिताएं भी यहां आयोजित की जाती हैं। 
अब जिला खेल परिसर कम्पू और लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षण संस्थान भी हॉकी के नए आयोजन स्थल हो चुके हैं। जिला खेल परिसर कम्पू की तो कहना ही क्या, यहां देश की पहली सर्वसुविधायुक्त हॉकी एकेडमी संचालित हो रही है। हर उम्र की प्रतिभाएं और खिलाड़ी यहां अपना कौशल निखारती हैं।

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