दृष्टिबाधित सतीश इनानी ने जीता दोहरा स्वर्ण

नीरज यादव ने भी किया कमाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
महज तीन वर्ष की उम्र में दृष्टिबाधित होने के बावजूद तबला, हारमोनियम, शास्त्रीय संगीत में महारत और कराटे में येलो बेल्ट हासिल करने वाले शतरंज के खिलाड़ी बने चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) सतीश इनानी दर्पण ने पैरा एशियाई खेलों में भी सफलता के झंडे गाड़ दिए। दृष्टिबाधिता को कभी कमजोरी नहीं बनने देने वाले सुपर ह्यूमन सतीश ने शतरंज की 6, बी-1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। साथ ही इसी स्पर्धा का टीम इवेंट का स्वर्ण अपने नाम किया। 
इतना ही नहीं चार वर्ष की उम्र में दुर्घटना में अपना हाथ गंवा देने वाले 20 वर्षीय नासिक के दिलीप महादू गाविओत ने टी-47 वर्ग की 400 मीटर दौड़ का स्वर्ण जीता। सात वर्ष की उम्र में चलने-फिरने की शक्ति खो देने वाले गाजियाबाद के नीरज यादव ने इन एशियाई खेलों का दूसरा स्वर्ण पदक जीता। नीरज ने जकार्ता में भी स्वर्ण पदक जीता था।
आम बच्चों के साथ की पढ़ाई
29 वर्षीय वडोदरा के सतीश दृष्टिबाधित होने के बावजूद बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे। वह वडोदरा में आम बच्चों के स्कूल में पढ़े और हमेशा 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल कर शीर्ष तीन में रहे। कामर्स के छात्र सतीश ने 12वीं की परीक्षा 99.75 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। उन्होंने कैट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। आईआईएम अहमदाबाद को छोड़ उन्हें देश के सभी आईआईएम से एमबीए करने का प्रस्ताव आया, लेकिन उन्होंने आईआईएम के एडमीशन का प्रस्ताव ठुकराते हुए सीए और शतरंज में कॅरिअर बनाने का फैसला लिया। इन दोनों ही क्षेत्रों में सतीश सफलता की नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं। सतीश ने 2018 में आम शतरंज खिलाडिय़ों के क्रेओन शतरंज टूर्नामेंट में अपने रेटिंग वर्ग में पहला स्थान हासिल किया। वह इस वक्त देश के नंबर एक दृष्टिबाधित शतरंज खिलाड़ी हैं।
रोइंग में पहली बार मिला पदक
एफ-55 वर्ग के जेवलिन थ्रों का स्वर्ण नीरज यादव ने जीता तो कांस्य पदक टेकचंद को मिला। दिलीप गावित ने 400 मीटर रेस 49.48 सेकंड का समय निकालकर जीती। पूजा ने टी-20 वर्ग की 1500 मीटर रेस का कांस्य जीता रोइंग में पहली बार इन खेलों में पदक अनीता और कोंगनापल्ले नारायणा की जोड़ी ने पीआर-3 मिश्रित डबल स्कल्स में दिलाया। दोनों ने रजत पदक जीता। शतरंज में किशन गांगोली ने कांस्य जीता। किशन, सोमेंद्र, आर्यन बालचंद्रा ने टीम का कांस्य भी जीता। व्रुुथि जैन, हिमांशी राठी और संस्कृति मोरे की तिकड़ी ने वी1-बी1 टीम का कांस्य जीता।

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