खेल देवियों को हिन्दुस्तान का सलाम
विदेशों में लहराया तिरंगा, बढ़ाया देश का मान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। समूचे देश में इस समय नवरात्रि का पवित्र-पावन दौर चल रहा है। हर भारतीय देवी मां की भक्ति में लीन है। भक्तगण धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घरों के अलावा मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।दूसरी तरफ भारतीय खेल देवियां वैश्विक खेल मंचों में अपने कौशल और दमखम का नायाब उदाहरण पेश कर रही हैं।
आज हम यहां चर्चा कर रहे हैं खेल के क्षेत्र की उन देवियों की, जिन्होंने हाल-फिलहाल अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में मेडल जीत कर न केवल राष्ट्र का गौरव बढ़ाया अपितु इनकी तराशी गई खिलाड़ी भी विजय पताका फहरा रही हैं। द्रोणाचार्य एवं अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रहते 1998 एशियन गेम्स में सर्वाधिक गोल किये व सिल्वर मेडल जीता। 1999 के एशिया कप में फिर यही प्रदर्शन दोहरा कर देश को सिल्वर मेडल दिलाया। 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स में तो गोल्ड मेडल जीत लिया।
2002 में दक्षिण अफ्रीका में हुए चैम्पियन चैलेंज कप में प्रीतम के शानदार खेल के बूते भारत ने ब्रांज मेडल जीता। इनके नाम पदकों की एक लम्बी फेहरिस्त दर्ज है। उन्होंने सोनीपत में ट्रेनिंग देने की दूसरी पारी शुरू की। उनसे ट्रेनिंग पाकर 200 से अधिक लड़कियां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में नाम रोशन कर चुकी हैं। टोक्यो ओलम्पिक 2020 में उनके द्वारा तराशी गई नेहा गोयल, निशा वारसी व शर्मिला ने शानदार प्रदर्शन किया।
सीमा पूनिया ने एशियन गेम्स में जीता मेडल
सोनीपत के गांव खेवड़ा निवासी डिस्कस थ्रोअर अर्जुन अवार्डी सीमा पूनिया 4 कॉमनवेल्थ गेम्स में 3 सिल्वर व एक ब्रांज जीत चुकी हैं। इनके नाम 2004, 2012, 2016 और 2020 के ओलम्पिक खेलना भी एक अनूठा रिकॉर्ड है। हालांकि वह इनमेंं मेडल से चूक गई थीं। हांगझोऊ एशियन गेम्स में उन्होंने 58.62 मीटर का थ्रो लगाकर ब्रांज मेडल जीता। 40 प्लस की उम्र में किसी एथलीट द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीतना भी एक विशिष्ट उपलब्धि है। वह जूनियर एथलीट्स को प्रोत्साहित करती रहती हैं। बकौल सीमा उनमें अभी काफी खेल बचा है और उन्हें पूरा भरोसा है कि आगे भी देश के लिए मेडल जीतेंगी।
सरिता मोर मांगे ‘मोर’ विश्व नम्बर एक पहलवान
सोनीपत के गांव बरोदा की अर्जुन अवार्डी सरिता मोर कुश्ती में एक बड़ा नाम है। वह वर्ष 2022 में विश्व नम्बर वन रैंक से चर्चाओं में रहीं। अंतरराष्ट्रीय खेलों में पहला मेडल जीतने के बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2022 में मंगोलिया में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप तथा 2021 में नार्वे में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल, 2021 में कजाकिस्तान में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप तथा 2020 में नयी दिल्ली में हुई सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीते। वह 2017 सीनियर एशियन चैम्पियन तथा 2016 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीत चुकी हैं। सरिता और पदकों का लक्ष्य लेकर आजकल वह सोनीपत स्थित साई केंद्र में कड़ा अभ्यास कर रही हैं।
सोनम ने हांगझोऊ में पदक जीत जमायी धाक
सोनीपत के गांव मदीना की युवा पहलवान सोनम मलिक ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए हांगझोऊ एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल देश के नाम किया। इससे पहले वह सोफिया में आयोजित जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में सिल्वर, कजाकिस्तान में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं। छोटी उम्र में सोनम के नाम अनेक उपलब्धियां हैं। टोक्यो ओलम्पिक में मामूली सी गलती की वजह से मेडल से चूकने के बाद अब सोनम अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। सोनम बताती हैं कि अनुभव के साथ उनके खेल में निखार आ रहा है तथा अब उनका अगला लक्ष्य पेरिस ओलम्पिक 2024 का गोल्ड है।