किशोर जेना दो साल से नहीं गए अपने घर

आठ साल पहले वॉलीबॉल छोड़कर भाला फेंक में उतरे
19वें एशियाई खेलों में किसान के बेटे ने जीती चांदी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के भाला फेंक खिलाड़ी किशोर कुमार जेना ने एशियाई खेलों में कमाल कर दिया। उन्होंने बुधवार (चार अक्टूबर) को पुरुष भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीत लिया। किशोर  फाइनल में स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के बाद दूसरे स्थान पर रहे। नीरज चोपड़ा ने 88.88 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ स्वर्ण पर कब्जा जमाया। वहीं, किशोर जेना ने 87.54 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत हासिल किया। जापान के गेंकी डीन 82.68 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे। किशोर का एशियाई खेलों में यह पहला पदक है।
किशोर का एशियाई खेलों तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। आठ साल पहले वॉलीबॉल को छोड़कर भाला फेंक को अपनाने वाले किशोर की कहानी काफी प्रेरणादायी है।किशोर जेना का घर ओडिशा के पुरी जिले के कोथासाही गांव में है। छह बहनों के सबसे छोटे भाई किशोर जेना के पिता खेती करते हैं और सभी बेटियों की शादी के लिये आर्थिक अड़चनें झेलने के बावजूद बेटे के सपने पूरे करने में कभी पीछे नहीं हटे। किशोर जेना के मुताबिक, वह पहले वॉलीबॉल खेलते थे। 2015 में उन्होंने भाला फेंक को अपनाया था। उन्होंने भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल से अपनी शुरूआत की थी। अब वह पटियाला साई केंद्र का हिस्सा हैं। परिवार में कोई खेलों से जुड़ा नहीं है। उनका साधारण मध्यमवर्गीय परिवार है।
किशोर ने बताया था कि वह पिछले दो साल से तैयारियों के कारण घर ही नहीं गए हैं। पिछली बार 2021 में जेना घर गए थे। उसके बाद से वह पटियाला में तैयारियों और स्पर्धाओं में जुटे हैं। किशोर के मुताबिक, ब्रेक लेने पर लय टूट जाती है। किशोर कई दिनों तक माता-पिता का चेहरा नहीं देख पाते हैं। दोनों को स्मार्टफोन चलाने नहीं आता है। उनकी छोटी बहन जब घर आती हैं तो वह वीडियो कॉल पर बात करवाती हैं।
विश्व चैम्पियनशिप में पहली बार लिया था हिस्सा
किशोर जेना ने इस साल पहली बार विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भाग लिया था। तब वह पदक नहीं जीत पाए थे। जेना पांचवें पायदान पर रहे थे। अब उन्होंने एशियाई खेलों में उस कमी को पूरा कर लिया है। जेना का उच्चस्तर के टूर्नामेंट में यह पहला पदक है। उनकी नजर अब अगले साल पेरिस ओलम्पिक पर है।

 

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