माता-पिता के प्रोत्साहन से एथलीट बनीं सोजन

चोट लगने पर भी नहीं मानी हार, लम्बी कूद में जीती चांदी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
हांगझोऊ एशियाई खेलों में एथलेटिक्स यानी ट्रैक एंड फील्ड में भारतीय एथलीट्स का जलवा जारी है। महिलाओं की लम्बी कूद में भारत की एनसी सोजन ने दूसरे स्थान पर रहते हुए रजत पदक अपने नाम किया है। उन्होंने फाइनल में 6.63 मीटर की सर्वश्रेष्ठ कूद के साथ रजत पदक जीता। पहले स्थान पर रहने वाली चीन की शिकि जियोंग से वह 0.10 मीटर पीछे रह गईं। 
सोजन का पहला प्रयास 6.13 मीटर का रहा। इसके बाद उन्होंने 6.49 मीटर का जम्प किया। तीसरे प्रयास में सोजन ने इसमें सुधार करते हुए 6.56 मीटर का जम्प किया। चौथे प्रयास में वह 6.30 मीटर का जम्प कर सकीं। पांचवें प्रयास में सोजन ने अपनी पूरी ऊर्जा लगाते हुए 6.63 मीटर का जंप किया और रजत पक्का कर लिया। वह अपने छठे प्रयास में स्वर्ण के लिए गईं, लेकिन उनका जंप फाउल रहा। वहीं, स्वर्ण जीतने वाली चीन की शिकि के छह प्रयास इस प्रकार रहे- 6.62 मीटर, 6.60 मीटर, 6.73 मीटर, 6.62 मीटर, 6.62 मीटर और 6.33 मीटर। भारत की एक और एथलीट शैली सिंह 6.48 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ इस स्पर्धा में पांचवें स्थान पर रहीं। हॉन्कॉन्ग की यान यूए एंगा ने 6.50 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ कांस्य जीता। 
यह महिलाओं की लम्बी कूद स्पर्धा में भारत का आठवां पदक है। अब तक इस स्पर्धा में भारत को सिर्फ एक स्वर्ण मिला है, जो 2002 बुसान एशियाई खेलों में अंजू बॉबी जॉर्ज ने जीता था। इसके अलावा सोजन के अलावा 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में नीना वराकिल ने रजत, 2006 दोहा एशियाई खेलों में अंजू बॉबी ने रजत, 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में मर्सी कुट्टन ने रजत और 1978 बैंकॉक एशियाई खेलों में एंजेल मैरी जोसेफ ने रजत पदक जीता था। 1966 बैंकॉक एशियाई खेलों में क्रिस्टीन फोराज ने कांस्य और 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में सिलविया ने कांस्य जीता था। 
कौन हैं एनसी सोजन?
6.63 मीटर की कूद सोजन का पर्सनल बेस्ट भी है। 22 साल की यह एथलीट केरल के थ्रिसुर की रहने वाली हैं। उनके पर्सनल कोच का नाम अनूप जोसेफ है। वह अभी भी पढ़ाई कर रही हैं। सातवीं क्लास में ही सोजन ने ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। शुरुआती दौर में उनके कोच कन्नान मैश थे। सोजन को उनके माता-पिता ने एथलीट बनने के लिए प्रेरित किया, वरना वह कुछ और बनतीं। सोजन बताती हैं- मैं अपने माता-पिता की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे खेलने के लिए और एथलीट बनने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं भाग्यशाली हूं कि वे दोनों अपने समय में एथलीट थे। इसी वजह से मैं भी एथलेटिक्स में उतर सकी। 
शुरुआत में सोजन स्प्रिंट स्पर्धाओं में हिस्सा लेती थीं। इसकी वजह से उन्हें कई बार चोट का भी सामना करना पड़ा। उनके पैर में तीन बार चोट लग चुकी है। पहली बार सोजन अक्तूबर 2018 में चोटिल हुई थीं। तब उनके दाहिने टखने में चोट लगी थी। इससे उबरने के बाद 2021 में उन्हें एड़ी में चोट लगी। इतना ही नहीं स्प्रिंट स्पर्धा में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें हैमस्ट्रिंग इंजरी भी हुई। हालांकि, इन सबके बावजूद सोजन ने कभी हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत करती रहीं। अब उन्होंने एशियाई खेलों में रजत जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट में भी लेती थीं हिस्सा
सोजन ने 2022 में स्प्रिंट से लंबी कूद पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट के लिए एक बहुत ही विशेष प्रकार की ट्रेनिंग और पोषण की आवश्यकता होती है। वह कहती हैं, 'अंडर-20 में मैं स्प्रिंट में प्रतिस्पर्धा कर सकती थी, मेरे पास जो भी संसाधन थे, उनका उपयोग कर रही हूं, लेकिन मेरे लिए भारत में शीर्ष पांच में पहुंचने के लिए अच्छे पोषण और ट्रेनिंग की कमी हो गई थी। इसके अलावा मेरी हैमस्ट्रिंग भी अक्सर चोटिल हो जाती थी। इसलिए अपने कोचों और माता-पिता के साथ चर्चा करने के बाद मैंने फैसला किया कि 2022 से मैं सिर्फ लंबी कूद में हिस्सा लूंगी। इससे मुझे अपना ध्यान और प्रशिक्षण एक ही उद्देश्य पर केंद्रित करने में मदद मिली है। पहले मैं बहुत तनाव में रहती थी, क्योंकि स्प्रिंट में मेरे परिणाम बहुत अनियमित हुआ करते थे। अब शुक्र है कि लंबी कूद में परिणाम अच्छे आए हैं सकारात्मक रहा और तब से मुझे कोई गंभीर चोट नहीं हुई है।
सात मीटर के आंकड़े को छूना है सपना
सोजन का सपना लॉन्ग जंप में सात मीटर के जादूई आंकड़े को छूना है। उनके लिए उनके माता-पिता और उनके कोच कन्नान मैश उनके जीवन के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति रहे हैं। सोजन के पसंदीदा एथलीट ब्राजील के फुटबॉल स्टार नेमार और जमैका के पूर्व दिग्गज एथलीट उसैन बोल्ट हैं। सोजन को 2019 में पंजाब के संगरूर में हुए नेशनल स्कूल मीट में लड़कियों में बेस्ट एथलीट चुना गया था। वह फिलहाल थ्रिसुर के सेंट थॉमस कॉलेज की छात्रा हैं। इस साल बैंकॉक में हुए एशियन चैंपियनशिप में वह लंबी कूद में 6.41 मीटर की कूद के साथ चौथे स्थान पर रही थीं।

 

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