शूटर अखिल ने विदेशी धरती पर फहराया परचम

किसान पिता ने बेटे को कर्ज लेकर राइफल दिलाई थी
खेलपथ संवाद
बागपत।
एशियन गेम्स में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाले अंगदपुर गांव के अखिल श्योराण ने उधार की राइफल से प्रैक्टिस शुरू की थी। इसलिए ही शुरूआत में अखिल का ट्रायल छूट गया था और तब किसान पिता रविंद्र श्योराण ने कर्ज लेकर बेटे को राइफल दिलाई। जिसके बाद अखिल ने सोने समेत अन्य तमगों की लाइन लगा दी।
अखिल श्योराण ने मेरठ के गॉडविन स्कूल में पढ़ाई करते हुए वर्ष 2007 में वहां से मिलने वाली राइफल से प्रैक्टिस शुरू की थी। उसके साथ पढ़ने वाला एक अन्य छात्र भी उसी राइफल से शूटिंग करता था। अखिल इंटर स्कूल के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली शूटिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुका था। इस बीच ही स्क्वायड ट्रायल होना था और एक ही राइफल होने के कारण वह ट्रायल नहीं दे सका। जिसके बाद दो हेक्टेयर जमीन से खेती करके परिवार का गुजारा करने वाले पेशे से किसान पिता रविंद्र ने करीब 85 हजार रुपये का कर्ज लिया और खेती से जोड़े हुए 80 हजार रुपये मिलाकर बेटे को राइफल दिलाई। जिसके बाद अखिल का ट्रायल व प्रतियोगिता नहीं छूटी और वह पदक जीतने में लगा है।
पहले वुशू खेलना शुरू किया, चोट लगी तो शूटिंग की शुरू
अखिल के पिता रविंद्र श्योराण बताते है कि स्कूल में अखिल की खेलों में रूचि को देखते हुए वुशू खिलाना शुरू कर दिया गया। जिसमें वह अच्छा खेलने लगा, लेकिन उसकी सीनियर खिलाड़ी से भिड़ंत करा दी गई, जिससे उसको चोट लग गई। उसके बाद उसने वुशू खेलने से मना कर दिया तो उसे राइफल शूटिंग शुरू कराई गई।
अखिल श्योराण ने वर्ष 2014 में आईएसएसएफ वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप स्पेन में कांस्य पदक, वर्ष 2015 में आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप जर्मनी में कांस्य पदक, एशियन शूटिंग चैंपियनशिप कुवैत में एक स्वर्ण, तीन रजत पदक, एयरगन शूटिंग चैंपियनशिप दिल्ली में एक रजत पदक जीता।
इसके अलावा वर्ष 2016 में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप पोलैंड में दो स्वर्ण पदक, वर्ष 2017 में अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग कंपटीशन में जर्मनी में कांस्य पदक, वर्ष 2018 में आईएसएसएफ वर्ल्ड कप मेक्सिको में स्वर्ण पदक, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी मलेशिया में एक कांस्य पदक, वर्ष 2019 में साउथ एशिया गेम्स काठमांडू नेपाल में रजत पदक, वर्ष 2022 में आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में कांस्य, वर्ष 2023 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और एक रजत जीते हैं।
पिता रविंद्र ने बताया कि अखिल ने 12वीं में 81 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। उसके बाद वह वर्ष 2012 में दिल्ली में हंसराज कालेज में बीए की पढ़ाई करने गया और उसके बाद जामिया इस्लामिया से एमबीए किया। वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहा है और उसने खेल के साथ पढ़ाई भी अच्छे से की।
पिता से किया था वादा, देश को मेडल दिलाएंगे
अखिल से पिता रविंद्र की एक दिन पहले ही बात हुई थी। तब अखिल ने पिता से वादा किया था कि वह एशियन गेम्स में देश को मेडल जरूर दिलाएंगे। अखिल ने पिता से किया वादा भी पूरा किया। अखिल के मेडल जीतने से जहां परिवार व गांव में खुशी का माहौल है, वहीं रेलवे के अधिकारी भी खुश है।

 

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