खेल दिवस से पहले भारतीय खिलाड़ियों का कमाल

एक हफ्ते में देश को मिले स्वर्ण, रजत और कांस्य
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के लिए खेलों में अगस्त का आखिरी हफ्ता यादगार रहा है। देश को तीन अलग-अलग खेलों के बड़े टूर्नामेंट में तीन अलग-अलग पदक मिले। इसने खेल दिवस को खास बना दिया। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती पर देश में हर साल 29 अगस्त को खेल दिवस मनाया जाता है। ध्यानचंद की 118वीं जयंती से पहले भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा, शतंरज के युवा स्टार प्रगनाननंदा और बैडमिंटन के अनुभवी खिलाड़ी एचएस प्रणय ने कमाल किया। तीनों ने एक हफ्ते में देश को जश्न मनाने के मौके दिए।
नीरज ने रच दिया इतिहास
भारत के गोल्डन ब्वॉय कहे जाने वाले नीरज चोपड़ा ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कमाल कर दिया। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में 27 अगस्त को उन्होंने इतिहास रच दिया। नीरज ने भालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सोना जीतने वाले देश के पहले खिलाड़ी बन गए। बुडापेस्ट नेशनल एथलेटिक्स सेंटर में नीरज ने जेवलिन थ्रो इवेंट में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक पर निशाना साधा। ओलंपिक, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और डायमंड लीग में चैंपियन बनने वाला यह खिलाड़ी इस टूर्नामेंट से पहले सिर्फ विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ही स्वर्ण नहीं जीत पाया था, लेकिन अब उनकी झोली में इसका स्वर्ण पदक भी है। पिछली बार नीरज ने विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया था। उन्होंने इस बार पदक के रंग को बदल दिया।
प्रगनाननंदा ने 18 साल की उम्र में ही रजत जीत लिया
24 अगस्त को 18 वर्षीय शतरंज के खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनाननंदा ने सबका दिल जीत लिया। उन्होंने शतरंज विश्व कप में रजत पदक अपने नाम किया। वह फाइनल में भले ही दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन के खिलाफ हार गए, लेकिन उन्होंने यह उम्मीद दे दी है कि वह भविष्य में इस टूर्नामेंट को कई बार जीत सकते हैं। शतरंज विश्व कप के फाइनल में खेलने के बाद प्रगनानंदा दिग्गज बॉबी फिशर और कार्लसन के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।
प्रगनाननंदा 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। उनका जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। वह तीन साल उम्र में ही शतरंज से जुड़ गए थे। प्रगनाननंदा के पिता रमेशबाबू बैंक में करते हैं। उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया। प्रगनाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रगनाननंदा ने शतरंज खेलना शुरू किया। उनकी मां हर दौरे पर साथ होती हैं। परिवार के साथ और प्यार ने आज उन्हें दुनिया भर में मशहूर बना दिया है।
एचएस प्रणय का विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहला पदक
भारत के अनुभवी बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप 2023 में एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। वह फाइनल में नहीं पहुंच पाए।  शनिवार (26 अगस्त) को खेले गए सेमीफाइनल में थाईलैंड के कुनलावत वितिदसर्न के खिलाफ कड़े मुकाबले में हार गए। इस हार के बाद भी प्रणय ने कांस्य अपने नाम किया। प्रणय पहली बार विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में कोई पदक जीतने में कामयाब हुए हैं।
प्रणय विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पांचवें भारतीय पुरुष एकल खिलाड़ी बन गए हैं। इससे पहले किदांबी श्रीकांत (रजत), लक्ष्य सेन (कांस्य), बी साई प्रणीत (कांस्य) और प्रकाश पादुकोण (कांस्य) पुरुष एकल में पदक जीत चुके हैं। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप के एकल में पांच पदक जीत थे जिसमें 2019 में स्वर्ण भी शामिल है। उनके अलावा साइना नेहवाल (रजत और कांस्य) ने दो पदक हासिल किए थे। वहीं, महिला युगल जोड़ी ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने 2011 में कांस्य और सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी व चिराग शेट्टी की जोड़ी ने पिछले साल कांस्य पदक जीता था।
 

रिलेटेड पोस्ट्स