रवि दहिया हार सकते हैं तो बजरंग-विनेश क्यों नहींः दीपक पूनिया

बजरंग-विनेश के विरोध में आया कॉमनवेल्थ चैम्पियन पहलवान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
ओलम्पिक मेडलिस्ट बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को बिना ट्रायल से एशियन गेम्स भेजने के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है। एडहॉक कमेटी के फैसले काे कोर्ट में चुनौती दे रहे जूनियर पहलवानों को कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट दीपक पूनिया का साथ मिला। ओपन ट्रायल्स में 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी के चैम्पियन अमन सहरावत ने भी कहा कि जब ओलम्पिक मेडलिस्ट रवि दहिया ट्रायल्स हार सकते हैं तो बजरंग और विनेश क्यों नहीं?
दोनों रेसलरों ने ओपन ट्रायल्स के बाद कहा- 'बिना ट्रायल किसी भी वेट कैटेगरी में चयन सही नहीं है। ट्रायल में टॉप करने वाले पहलवान ही एशियन गेम्स में जाने के हकदार हैं।' कॉमनवेल्थ गोल्ड जीतने वाले दीपक पूनिया ने रविवार को 86 किलोग्राम वेट कैटेगरी में क्वालीफाई किया। 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी में अमन सहरावत जीते। इसी कैटेगरी में ओलम्पिक के सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया को पहले ही राउंड में हार का सामना करना पड़ा।
दीपक पूनिया ने कहा, 'एडहॉक कमेटी ने मेरी वेट कैटेगरी (86 किलोग्राम) में ट्रायल में टॉप पर रहने वाले पहलवान को ही भेजने का फैसला किया था। इसलिए मैंने ट्रायल में भाग लिया। मेरा मानना है कि एशियन गेम्स में सभी वेट कैटेगरी में ट्रायल में टॉप पर रहने वाले पहलवान को ही एशियाड में भेजा जाना चाहिए। किसी पहलवान को स्पेशल छूट नहीं देना चाहिए। मैं विनेश-बजरंग की वेट कैटेगिरी के जूनियर पहलवानों की इस मांग से सहमत हूं कि ट्रायल में भाग लेने वाले ही सिलेक्शन के सही हकदार हैं।'
दीपक पूनिया 2019 में वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। साल 2019 में ही उन्होंने जूनियर वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप में गोल्ड भी जीता था। उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक में हिस्सा लिया था, लेकिन सफलता नहीं मिली। पूनिया ने फिर 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था।
57 किलोग्राम कैटेगरी में ओपन ट्रायल्स जीतने वाले 22 साल के युवा पहलवान अमन सहरावत एशियन गेम्स के लिए सिलेक्ट हुए। इस कैटेगरी के पहले राउंड में ओलम्पिक के सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया हारकर बाहर हो गए। सहरावत ने कहा, 'रवि दहिया और दीपक पूनिया दोनों ने भी ट्रायल में भाग लिया। रवि दहिया तो ओलम्पिक गेम्स में सिल्वर जीत चुके हैं, वे भी बड़े पहलवान हैं। अगर वे भी ट्रायल्स में जूनियर पहलवान से हार सकते हैं तो अन्य बड़े पहलवान क्यों नहीं हार सकते। मेरा मानना है कि एशियन गेम्स के लिए सभी वेट कैटेगरी में ट्रायल में भाग लेने वाले पहलवानों को ही इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भेजा जाना चाहिए।'
इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन ने रविवार देर रात तक एशियन गेम्स में भाग लेने वाले रेसलर्स और स्टैंड-बाय खिलाड़ियों के नाम भेज दिए। एशियन गेम्स आयोजित करने वाली कमेटी ने आईओसी को 23 जुलाई तक पहलवानों के नाम भेजने की छूट दी थी। जबकि बाकी गेम्स में खिलाड़ियों के नाम 15 जुलाई तक ही भेजे जाने थे।
हाईकोर्ट ने विनेश-बजरंग के खिलाफ याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने बजरंग-विनेश को बिना ट्रायल के एशियन गेम्स में भेजने के खिलाफ जूनियर पहलवानों की याचिका को खारिज कर दिया। ऐसे में जूनियर पहलवानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। बजरंग मेंस की 65 किलोग्राम और विनेश विमेंस की 53 किलोग्राम वेट कैटेगरी में हिस्सा लेंगी।

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