शिविर में जो कुछ सीखा उसका अभ्यास जरूरीः डॉ. देवेन्द्र पाठक

राजीव इंटरनेशनल स्कूल में ग्रीष्मकालीन शिविर का समापन

खेलपथ संवाद

मथुरा। 24 से 31 मई तक राजीव इंटरनेशनल स्कूल के विभिन्न क्रीड़ांगनों में चले ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविरों का गुरुवार को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच समापन किया गया। समापन अवसर पर राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के निदेशक डॉ. देवेन्द्र पाठक ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि उन्होंने शिविरों में अपने प्रशिक्षकों और गुरुजनों से जो कुछ भी सीखा है, उसका अभ्यास जरूर करते रहें। डॉ. पाठक ने कहा कि खेल हो या कोई अन्य गतिविधि उसमें अभ्यास का विशेष महत्व है। यदि हम निरंतर सीखी बातों पर अमल करेंगे तो अपना लक्ष्य भी हासिल कर पाएंगे।    

समापन अवसर पर स्कूल की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने बताया कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल में 24 से 31 मई तक ग्रीष्मकालीन शिविरों में विद्यार्थियों की रुचि व क्षमता के आधार पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। आठ दिन तक चले विभिन्न शिविरों में कुकिंग क्लासेज में विद्यार्थियों ने तरह-तरह के व्यंजन बनाना सीखा तो दूसरी तरफ वेस्ट मटीरियल से अनेक शोपीस भी बनाये। इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं ने सुयोग्य प्रशिक्षकों से  भारतीय से लेकर पाश्चात्य नृत्य-संगीत में भी महारत हासिल की। ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविरों में छात्र-छात्राओं को स्केटिंग, बॉस्केटबॉल, टेनिस, क्रिकेट आदि खेलों की बारीकियां भी सिखाई गईं। समापन अवसर पर  छात्र-छात्राओं ने सीखी गई सभी कलाओं का प्रदर्शन किया।

आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से हम छिपी प्रतिभाएं खोज सकते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पूरी निष्ठा व लगन से सीखी गई विद्या तथा की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी कभी भी हार नहीं मानता, यही खिलाड़ी की विशेषता होती है।

प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल का कहना है कि आजकल बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बहुत अधिक रहता है। ऐसे समय में इस तरह के शिविर विद्यार्थियों को खेल-खेल में बहुत कुछ सीखने का अच्छा अवसर हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं को असफलता से घबराने की बजाय उससे सीख लेनी चाहिए। खेलों का जीवन में बहुत महत्व है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को प्रतिदिन कुछ समय खेलों के लिए निकालना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।

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