प्रधानमंत्री जी सुनो पहलवानों के मन की बात

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अब चुप क्यों
महिला पहलवानों से यौन शोषण का सबूत मांगा जा रहा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पहलवानों ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि ‘‘आप हमारे मन की बात क्यों नहीं सुन रहे हैं?’’ साथ ही पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चर्चा के लिए पीएम मोदी से समय भी मांगा।
देश के शीर्ष पहलवानों ने गंभीर आरोपों की जांच के लिए निगरानी समिति के गठन के बाद अपना धरना समाप्त करने के तीन महीने बाद रविवार को कुश्ती महासंघ के प्रमुख के खिलाफ अपना विरोध फिर से शुरू कर दिया। खेल मंत्रालय ने छह सदस्यीय निगरानी पैनल के निष्कर्षों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है जिसने पांच अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। पहलवानों ने बुधवार को कहा कि वे हैरान हैं, जब वे पदक जीतते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी उनका सम्मान करते हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं, लेकिन अब जब वे न्याय मांग रहे हैं तो उन्होंने उनकी दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं।
रियो ओलम्पिक खेलों की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने मीडिया से कहा- प्रधानमंत्री मोदी जी ‘बेटी बचाओ’ और ‘बेटी पढ़ाओ’ के बारे में बात करते हैं और सबके ‘मन की बात’ सुनते हैं। क्या वे हमारे ‘मन की बात’ नहीं सुन सकते? जब हम पदक जीतते हैं तो वह हमें अपने घर आमंत्रित करते हैं और हमें बहुत सम्मान देते हैं और हमें अपनी बेटियां कहते हैं। आज हम उनसे अपील करते हैं कि वह हमारे ‘मन की बात’ सुनें।’’
साक्षी ने प्रधानमंत्री के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के साथ तुलना की जिसके 100 कार्यक्रम पूरे हो रहे हैं और इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साक्षी ने कहा- मैं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से पूछना चाहती हूं कि वह अब चुप क्यों हैं? चार दिन हो गए हैं, हम सड़क पर सो रहे हैं, मच्छरों के काटने को सह रहे हैं। हमें (दिल्ली पुलिस द्वारा) भोजन बनाने और ट्रेनिंग करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, आप चुप क्यों हैं? मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आप यहां आओ, हमारी बात सुनो और हमारा समर्थन करो।’’
साक्षी को लगता है कि शायद उनकी बात प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंच रही है। उन्होंने कहा- शायद हमारी सच्चाई उन तक नहीं पहुंच रही है इसलिए हम उनसे मिलना चाहते हैं और उन्हें हमारे मुद्दों से अवगत कराना चाहते हैं। विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता पहलवान विनेश फोगाट ने कहा- हमारे पास (संबंधित लोगों के टेलीफोन) नम्बर तक नहीं हैं जिससे कि हम उन तक पहुंच सकें। इसलिए हम मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से मुद्दों को उठाने की अपील कर रहे हैं। शायद तब वह हमारी पुकार सुनें। हमारी आत्मा लगभग मर चुकी है, शायद वह देख लें। उन्होंने कहा- शायद अधिकारियों को नहीं दिख रहा है इसलिए हम कुछ रोशनी देने के लिए कैंडल मार्च निकालेंगे। शायद वे देख सकें कि भारत की बेटियां जो सिर्फ पहलवान नहीं हैं, बल्कि कई महिलाओं की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, सड़कों पर हैं।
टोक्यो खेलों के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने भी प्रधानमंत्री से गुहार लगाई। उन्होंने कहा- ये भारत की बेटियां आपसे अपील कर रही हैं, कृपया इनके साथ न्याय करें। अभ्यास के लिए हम कुश्ती मैट लाए थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई, यहां तक कि हम यहां अपना खाना भी नहीं बना सकते क्योंकि अनुमति नहीं है। अब क्या हमें सांस लेने के लिए भी अनुमति लेनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कुश्ती संघ प्रमुख के लोगों द्वारा उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है। बजरंग ने कहा- कुछ लोग हमें हतोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं और कहानियां सुनाकर हमें डरा रहे हैं कि कैसे बृजभूषण ने एक विरोधी को मार डाला, लेकिन मैं आपको बता दूं कि हम डरने वाले नहीं हैं।
विनेश ने सभी खिलाड़ियों से अपील की कि वे उनके साथ एकजुट रहें। उन्होंने कहा- क्या हम लालच, भय और स्वार्थ को पीछे नहीं रख सकते? मैं देश के सभी खिलाड़ियों, ओलम्पिक पदक विजेताओं, राष्ट्रीय पदक विजेताओं और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं से एक साथ आने और एकजुट रहने की अपील करती हूं। अगर हम एकजुट होते हैं तो कोई कारण नहीं है कि हम एक दिन ओलंपिक में नंबर एक देश नहीं बन सकते।
पहलवानों के धरने में शामिल हुई दिल्ली ग्राम विकास पंचायत 
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों को अपना पूर्ण समर्थन देने बुधवार को दिल्ली ग्राम विकास पंचायत के सैकड़ों पदाधिकारी जंतर मंतर पहुंचे। पंचायत के लोगों ने धरना स्थल पर नारेबाजी कर बृजभूषण सिंह के खिलाफ जल्द कार्रवाई करने की आवाज उठाई। धरना स्थल पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली ग्राम विकास पंचायत के अध्यक्ष शांति स्वरूप ने कहा कि दिल्ली के तमाम गांव के निवासी आंदोलन कर रहे पहलवानों की मांगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े। उन्होंने कहा- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा उस वक्त खोखला साबित होता है जब प्रधानमंत्री और भाजपा के तमाम नेता सड़कों पर बैठे महिला पहलवानों की जायज मांगों को अनदेखा कर देते हैं।
शांति स्वरूप ने यह भी कहा कि किसानों की बेटियों ने कुश्ती में देश का मान सम्मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने भी कई कार्यक्रमों में उनकी सराहना करते हुए उनके साथ फोटो खिंचवाई। मगर सवाल यह है कि आज वही महिला पहलवान अपने साथ हुए शोषण व दुर्व्यवहार की शिकायत को लेकर सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं। शांति स्वरूप ने कहा कि दिल्ली ग्राम विकास पंचायत महिला पहलवानों के समर्थन में दिल्ली के प्रत्येक गांव में पंचायत कर उन्हें पूर्ण न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेगी। उन्होंने यह मांग भी रखी की केंद्र सरकार को जल्द ही बृजभूषण सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर महिला पहलवानों को न्याय दिलवाना चाहिए।
शांति स्वरूप ने कहा कि केंद्र सरकार में कई महिला मंत्री शामिल हैं मगर अफसोस की बात यह है कि महिला पहलवानों के साथ कोई भी महिला नेता खड़ी नजर नहीं आ रही हैं। इस मौके पर धर्मराज पवार, राजकुमार सांगवान (हेवीवेट बॉक्सर), सोनू अहलावत, दुष्यंत टोकस, नरवीर यादव, चौधरी मीर सिंह, अशोक सोलंकी, तिलोक पहलवान, हिरेण टोकस, मास्टर रामचंद्र, रामनिवास, ईश्वर सिंह, अरुण मलिक, शमीम, रमेश, नवीन, अशोक बसोया, राहुल शर्मा, परमानंद पम्मी, रामरतन सैनी और रामवीर आदि मौजूद रहे।
सत्यपाल मलिक का बयान आया सामने
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पहलवानों के दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर प्रतिक्रिया दी है। सत्यपाल मलिक ने बुधवार को कहा कि यह शर्म की बात है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता के लिए देश में सम्मानित होने वाले एथलीट अब सड़कों पर न्याय के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने मंगलवार रात ओलम्पिक पदक विजेता बजरंग पूनिया से बात की और उनसे विरोध स्थल पर आने का वादा किया।
सत्यपाल ने कहा- जब हमारी बेटियां मेडल जीतती हैं और तिरंगा फहराती हैं, उस समय बड़ी बेशर्मी से हम उन्हें चाय पर बुलाते हैं, उनका सम्मान करते हैं, उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं और आज वो सड़क पर हैं। हमें शर्म से डूब जाना चाहिए। मैं आप सभी लोगों से अपील करता हूं कि आप पहलवानों की लड़ाई खत्म होने तक उनका समर्थन करें और यह सभा और बड़ी होनी चाहिए।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिला पहलवानों से यौन शोषण का सबूत मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा- यह सिर्फ आपकी लड़ाई नहीं है, यह हमारी बेटियों की गरिमा की लड़ाई है। चौधरी चरण सिंह कहते थे कि अगर कोई महिला यौन शोषण की शिकायत कर रही है, तो उससे पूछताछ नहीं की जानी चाहिए और उससे कोई सबूत नहीं मांगा जाना चाहिए। हमें उनकी बातें स्वीकार करनी चाहिए और वह जो भी कह रहे हैं उन पर विश्वास करना चाहिए। सत्यपाल मलिक ने कहा- दिल्ली पुलिस को भारतीय कुश्ती संघ चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में एक मिनट से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए था। आप पहलवान विजयी होंगे, पूरा देश आपके साथ है।
दिल्ली पुलिस का सुप्रीम कोर्ट में बयान
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले किसी तरह की प्रारंभिक जांच की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के सामने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी है, तो ऐसा किया जा सकता है। तुषार मेहता ने कहा, "हम प्रथम दृष्टया महसूस करते हैं कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने की आवश्यकता थी।" मेहता ने कहा कि ऐसी धारणा न बनने दें कि अदालत के कहने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत होगी। कथित यौन उत्पीड़न को लेकर बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में पहलवानों द्वारा दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

 

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