रवि कुमार ने ओलम्पिक सफलता में बताया प्रेरक वक्ता का हाथ

दीपक पूनिया ने बतौर मेंटल ट्रेनर प्रेरक वक्ता की मांग की
मिशन ओलम्पिक सेल ने ठुकराई पहलवानों की मांग
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पेरिस ओलम्पिक और एशियाई खेलों की तैयारियों के लिए टोक्यो ओलम्पिक में रजत जीतने पहलवान रवि कुमार और पांचवें स्थान पर रहने वाले दीपक पूनिया ने बतौर मेंटल ट्रेनर एक प्रेरक वक्ता को मांगा है। दोनों पहलवानों ने टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के तहत साई के समक्ष यह मांग रखी। मिशन ओलम्पिक सेल (एमओसी) के सामने कभी भी इस तरह का मामला सामने नहीं आया, जब एक प्रेरक वक्ता का अनुबंध बतौर मेंटल ट्रेनर ओलम्पिक की तैयारियों के लिए मांगा गया हो। एमओसी ने प्रेरक वक्ता के पास मेंटल ट्रेनर या मनोचिकित्सक की योग्यता नहीं होने के चलते इसे खारिज कर दिया।
पहलवानों ने 50 हजार के वेतन में मांगा अनुबंध
रवि कुमार और दीपक पूनिया ने टॉप्स को प्रस्ताव दिया कि उनकी सफलता में जम्मू के एक प्रेरक वक्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी बातों से उन्हें काफी प्रेरणा मिलती है। वे पिछले चार सालों से इस प्रेरक वक्ता से जुड़े हैं। वे उन्हें अब तक लगातार मुफ्त सेवाएं दे रहे थे, लेकिन अब वे उन्हें पेरिस ओलम्पिक तक नियमित रूप से अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें 50-50 हजार रुपये प्रतिमाह का वेतन देना होगा। प्रेरक वक्ता फोन और वीडियो कॉल के जरिए हर वक्त उनके लिए उपलब्ध होंगे। दोनों ने अगस्त, 2024 तक 18 माह के लिए प्रेरक वक्ता को 50-50 हजार रुपये के वेतन पर अनुबंधित करने को कहा।
एमओसी में शामिल हैं ओलम्पिक पदक विजेता
ओलम्पिक पदक विजेता गगन नारंग, योगेश्वर दत्त, अंजू बॉबी जॉर्ज, मोनालीसा मेहता, आदिल सुमारीवाला जैसे सदस्यों से युक्त एमओसी ने पहलवानों की ओर से सुझाए गए नाम पर गौर किया, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि इनके पास मेंटल ट्रेनर की कोई योग्यता नहीं है, इसलिए इस प्रस्ताव को खारिज किया जाता है। हालांकि सच्चाई यह भी है कि रवि कुमार ने टोक्यो ओलम्पिक में अपनी सफलता का बड़ा श्रेय इस प्रेरक वक्ता को दिया था। रवि ने सफलता का श्रेय देने के लिए प्रेरक वक्ता के घर जम्मू का दौरा भी किया था। रवि ने उस दौरान कहा भी कि उन्होंने टोक्यो में पदक जीतने के बाद सबसे पहला फोन प्रेरक वक्ता को किया था। उनकी बातों से उन्हें ओलम्पिक पदक जीतने में काफी प्रेरणा मिली थी।

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