स्वीटी मुक्केबाजी छोड़ कबड्डी खेलने लगी थीं

पति दीपक के कारण बदल गई जिंदगी
खेलपथ संवाद
रोहतक।
विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक दिलाने वाली हरियाणा की मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने एक समय हताश होकर मुक्केबाजी छोड़ दी थी और कबड्डी खेलना शुरू कर दिया। कबड्डी की राष्ट्रीय टीम में चयन भी हो गया, लेकिन पति और कबड्डी खिलाड़ी दीपक निवास हुड्डा के प्रोत्साहित करने पर दोबारा से ग्लव्स पहने और एशियन चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
सवाल- 2020 में आपने मुक्केबाजी को छोड़कर कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था?
स्‍वीटी- जी, यह सही है। 2016 रियो ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन दुर्भाग्य से चयन नहीं हो पाया। फिर सोचा 2020 ओलम्पिक में देश के लिए पदक हासिल करूंगी। लेकिन यहां भी किस्मत ने साथ नहीं दिया। इसी बीच कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू हो गया। सोचा अब मुक्केबाजी में करियर आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसलिए मुक्केबाजी छोड़ दी और कबड्डी में करियर बनाने का निर्णय लिया और नेशनल टीम के कैंप में पहुंच गई।
सवाल- मुक्केबाजी में वापसी के लिए किसको श्रेय जाता है?
स्‍वीटी- इसका श्रेय मेरे पति दीपक निवास हुड्डा को जाता है। उन्होंने ही एशियन मुक्केबाजी चैम्पियनशिप की ट्रायल देने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं ट्रायल देने गई और भारतीय टीम में चयन हो गया। मेहनत का फल मिलता है और इस टूर्नामेंट में ब्रांज मेडल आया। इससे आत्मविश्वास में काफी इजाफा हुआ।
सवाल- अब आगे का लक्ष्य क्या है और इसके लिए किस तरह खुद को तैयार करेंगी?
स्‍वीटी- विश्व चैम्पियन बनने के बाद हर खिलाड़ी का सपना ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना होता है। इसलिए अब ओलम्पिक में पदक जीतना है। इसके लिए पूरी ताकत लगा दूंगी। सबसे पहले ओलम्पिक कोटा हासिल करना है, जो सबसे जरूरी है। देश को कोटा मिलने के बाद पदक जीतने मैं कोई कसर नहीं छोडूंगी। युवा खिलाड़ियों को भी मेरा यही संदेश है कि आखिर तक हार नहीं माननी है। हारकर आगे बढ़ने से ही सफलता मिलती है। इसलिए मेहनत में सौ प्रतिशत करना है।

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