पूजा वस्त्राकर नीता अम्बानी की हुईं मुरीद
मुंबई इंडियंस का माहौल परिवार जैसा
खुद की एकेडमी खोलने की है ख्वाहिश
खेलपथ संवाद
मुम्बई। पहली महिला प्रीमियर लीग जीतने वाली मुंबई इंडियंस की तेज गेंदबाज पूजा वस्त्राकर का मानना है कि महिला प्रीमियर लीग के आने के बाद भारतीय टीम वर्ल्ड कप की ट्रॉफी से ज्यादा दूर नहीं है, क्योंकि इस लीग के आने से हमारी टीम दबाव में बिखरने और कम अनुभव जैसी समस्याओं से निजात पा लेगी।
मुंबई इंडियंस के माहौल के सवाल पर वे कहती हैं कि मुंबई इंडियंस का माहौल परिवार जैसा है, वहां सब एक साथ डिनर करते हैं और खूब फन करते हैं। कई बार नीता अंबानी भी खिलाड़ियों के साथ डांस करने लगती थीं। 3 दिन पहले लीग जीतने वाली मुंबई इंडियंस की टीम का हिस्सा रहीं पूजा ने लीग के अनुभव, गेम प्लान, अपनी इंजरी और अपने फ्यूचर प्लान पर बात की।
पूजा का कहना है कि विदेशी खिलाड़ियों का वे ऑफ ट्रेनिंग मैथड...वे खुद को बड़े मैचों के लिए कैसे प्रिपेयर करती हैं। बैक टु बैक गेम के दौरान जब रिकवरी का टाइम कम होता है, तो वे खुद को कैसे तैयार करती हैं। विदेशी कोचों की कोचिंग का तरीका भी, क्योंकि अभी तक भारतीय टीम के साथ देसी कोच ही रहते हैं और उनकी ट्रेनिंग का पहले से सेट मैथड होता था।
बड़े मैचों में भारतीय टीम के बिखरने पर वह कहती हैं ऐसी सिचुएशन में हमारी सेट बैटर मैच फिनिश नहीं कर पाती थीं और उनके आउट होते ही टीम बिखर जाती थी। मुंबई में नेटली सीवर ने फिनिशर का रोल बसूबी निभाया। सेट बैटर के लिए गेम फिनिश करना आसान होता है, क्योंकि वह अधिकांश बॉलर्स को खेल चुका होता है और उसे पता होता है कि आखिरी ओवर्स में किसे कब टारगेट करना है।
पूजा कहा कहना है कि इस लीग में बाउंड्रीज की संख्या बढ़ी है। स्कोर भी बड़े बने हैं। अभी 170-200 का स्कोर एवरेज था। कुल मिलाकर टैलेंट दिख रहा है, लड़कियों के प्रयास टीवी पर दिख रहे हैं, आप किसी भी क्षेत्र में देख लीजिए बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग यही प्रयास गेम को ऊपर लेकर जाते हैं। इस लीग के आने के बाद मैं कह सकती हूं कि हम वर्ल्ड कप ट्रॉफी से ज्यादा दूर नहीं। पिछले वर्ल्ड कप में हम ऑस्ट्रेलिया से बहुत क्लोज हारे हैं। अब हम आखिरी तक फाइट कर रहे हैं। उनके पास अनुभवी खिलाड़ी हैं, लीग से हमारा भी अनुभव बढ़ेगा।
महिला प्रीमियर लीग पर अपने बारे में वह बताती हैं कि दिल्ली के खिलाफ मुझे पहली ही बॉल पर साइड स्ट्रेन हो गया था, जो एमआरआई में ग्रेड-1 टियर आया था। आमतौर पर गेंदबाज को उससे उबरने में 2 महीने लगते हैं। ऐसे में फ्रेंचाइजी ने तय किया था कि मैं बतौर बल्लेबाज खेलूं, क्योंकि बैटिंग में डेप्थ कम थी और बेंच स्ट्रेंथ भी कमजोर थी। मेरा वर्कलोड बहुत ज्यादा हो रहा था। उसे कम करने के लिए ओवर नहीं किए। पिछले 6 महीने में मैंने एशिया कप खेला, वर्ल्ड कप भी। जहां तक वर्ल्ड कप की बात है तो मुझे सेमीफाइनल से पहले बुखार आ गया था।
मुम्बई इंडियंस की बैटिंग पर वह कहती हैं कि लीग में 8वें नंबर की बल्लेबाज की एक बार ही बैटिंग आई है। हमने 200 पार का स्कोर भी बनाया। टॉप ऑर्डर में अनुभवी और अच्छी बल्लेबाज थीं। हमारी गेंदबाजी भी मजबूत थीं। हमने प्रतिद्वंद्वी टीमों को 3-4 बार ऑलआउट किया, वो भी 150 के आसपास। जिसे चेज करना मुंबई के फ्लैट ट्रैक पर आसान था।
प्रतियोगिता में काफी पॉजिटिव माहौल था, क्योंकि हमें पता था कि हम प्लेऑफ में पहुंच चुके हैं। हम यूपी से हारे, उस दिन लोअर मिडिल ऑर्डर में मेरी भी कमी खली। ड्रेसिंग रूम में नीता मैम ने कहा था कि आप भूल जाओ कि उस 2 मैचों में कैसा खेले। उन 5 मैचों में कैसा खेले उसे याद रखो। बहुत अच्छी फीलिंग थी, माहौल भी अच्छा था। सब खुश थे, क्योंकि पहला सीजन था और पहला टाइटल जीतना सबका सपना होता है। सब चाहते हैं कि पहला संस्करण यादगार हो, जो हमारा रहा। हमने धमाकेदार शुरुआत की और फिनिश भी बहुत अच्छा हुआ।
हम खूब फन करते थे। जैसे ही मैच जीतते, तो हमारे अपने 3 प्लेयर ऑफ द मैच होते थे। जिन्हें बैच मिलता था। ये बैच उसे नहीं देते थे, जिसे मैच में प्लेयर ऑफ द मैच मिला हो। यह दूसरी खिलाड़ियों को दिया जाता था, ताकि उनका मनोबल बढ़े। इन खिलाड़ियों को टीम रूम में टॉस्क भी दिए जाते थे कि किसी को गाना होता था, तो किसी को डांस करना होता था। स्पीच को देना होता था। मुंबई इंडियंस का ऐसा ही पारिवारिक माहौल है, परिवार बनाने का। उदाहरण के तौर पर अन्य टीमों में अलग-अलग डिनर करने का कल्चर है, लेकिन मुंबई इंडियंस में एक साथ डिनर करना जरूरी है। सभी टीम 8 से 9 बजे के बीच रूम में एक साथ डिनर करते थे। जिसे जो खाना है, वह ऑर्डर कर सकता था। मुम्बई इंडियंस ऑफ द फील्ड बाउंडिंग पर भी फोकस करती है, जबकि अन्य टीमों में ऐसा नहीं है। नीता मैम भी खूब फन करती थीं, कई बार तो खुद डांस करती थीं या किसी खिलाड़ी से मजाक करने लगती थीं।
पूजा अपने बारे में बताती हैं कि मैं सिंपल ही रहना पसंद करती हूं। ज्यादा सपने नहीं हैं कि बड़ा घर हो या बड़ी कार हो। वह कहती हैं कि घर तो नहीं, अपने क्षेत्र में इनडोर विमेंस क्रिकेट अकादमी खोलने का प्लान है, क्योंकि मैं जहां से आती हूं, वह आदिवासी क्षेत्र है। वहां से किसी लड़की का निकलना ही बहुत बड़ी बात होती है, ऐसे में मैं विमेंस को प्रमोट करना चाहती हूं। मेरी अकादमी में सभी लड़कियों को फ्री ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे वहां रहकर पढ़ सकें-लिख सके और अपने पैरेंट्स और उस आदिवासी क्षेत्र का नाम रोशन कर सके।