निकहत सहित चार मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं

विश्व महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में पदक से एक कदम दूर
पांच साल पहले की कसक दूर करने से एक कदम दूर मनीषा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
गत विजेता निकहत जरीन विश्व महिला मुक्केबाजी के पदक से सिर्फ एक कदम दूर खड़ी हैं। सिर्फ निकहत (50 भार वर्ग) ही नहीं बल्कि दो बार की विश्व यूथ मुक्केबाजी चैंपियन हरियाणा की नीतू (48), पिछली विश्व चैंपियनशिप में कांस्य जीतने वाली मनीषा मौन (57) और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य जीतने वाली जैस्मिन (60 भार वर्ग) ने भी जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। चारों मुक्केबाज अगर सेमीफाइनल में प्रवेश करती हैं तो उनका पदक पक्का है। वहीं, 63 और 66 भार वर्ग के प्री क्वार्टर फाइनल में शशि चोपड़ा और मंजू बंबोरिया को जापान की माई कीतो और उज्बेकिस्तान की नवबााखोर खामिदोवा से हार का सामना करना पड़ा। निकहत, जैस्मिन 5-0 और नीतू, मनीषा आरएससी (रेफरी ने मुकाबला रोका) से जीतीं।
पहली बार छह बाउट का टूर्नामेंट खेल रहीं हैं निकहत
यह पहली बार है जब निकहत को उनके मुक्केबाजी कॅरिअर में एक टूर्नामेंट में छह बाउट खेलनी पड़ रही हैं। दूसरे राउंड में उन्होंने अल्जीरिया की टॉप सीड रोउमायसा को हराया, लेकिन निकहत बताती हैं कि उस बाउट की थकान अब तक नहीं उतरी है। रोउमायसा के कई पंच उनकी गर्दन में लगे, जिसका दर्द उन्हें अभी है। बावजूद इसके उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में मैक्सिको की फातिमा अल्वारेज हरेरा को आसानी से हराया। फातिमा को उन्होंने पिछली चैंपियनशिप में भी हराया था। क्वार्टर फाइनल में वह थाईलैंड की रक्सक से भिड़ेंगी।
दो बार की विश्व यूथ चैम्पियन और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की विजेता नीतू के लिए मुकाबला एक बार फिर आसान रहा। पहले मुकाबले की तरह यहां भी उन्होंने पहले ही दौर में ताजिकिस्तान की सुमाइया ओसिमोवा को परास्त कर दिया। उनके दाएं हाथ से सीधे पंच ओसिमोवा के लिए खतरनाक साबित हुए। रेफरी ने शुरुआत में ही ओसिमावा के खिलाफ गिनती गिनी, लेकिन जब पहला दौर खत्म होने में 52 सेकंड बचे थे तब रेफरी ने नीतू के जोरदार पंच पर मुकाबला रोक दिया। हालांकि ओसिमोवा खुश नहीं थीं। नीतू ने बाद में स्वीकार भी किया कि उन्हें दाएं हाथ से सीधा पंच लगाना पसंद है। दोनों ही मुकाबलों में उन्हें इसी पंच से जीत मिली। हालांकि नीतू यह सोचकर आई थीं कि यह मुकाबला तीन दौर तक खेलेंगी, लेकिन ओसिमोवा उनके सामने नहीं टिक पाईं।
2018 में इसी केडी जाधव इंडोर स्टेडियम में हुई विश्व चैंपियनशिप में मनीषा मौन पदक तो नहीं जीत पाई थीं, लेकिन उनके क्वार्टर फाइनल तक के धमाकेदार प्रदर्शन ने उनके भविष्य की नींव रख दी। मनीषा ने पिछले वर्ष विश्व चैंपियनशिप का पदक जीता और यहां भी वह पदक से सिर्फ एक कदम दूर खड़ी हैं। उन्होंने तुर्किए की नूर अलिफ तुरहान को मुकाबला खत्म होने से दो सेकंड पहले रेफरी को बाउट रोकने पर मजबूर कर दिया। तुरहान बेहद आक्रामक ढंग से खेल रही थीं। उनकी कोशिश मनीषा को नाकआउट करने की थी, लेकिन उनके सीधे पंचों ने चार बार रेफरी को काउंट करने (गिनती गिनने) पर मजबूर किया। 63 भार वर्ग में शशि चोपड़ा को जापान की माई कीतो के हाथों 0-4 हार मिली। पहला दौर हारने के बाद दूसरी और तीसरे दौर में कीतो ने जबरदस्त गार्ड रखा और मौके पर मुक्के जड़ अंक झटके।
जैस्मिन ने अंतिम दो राउंड में की वापसी
जैस्मिन ने ताजिकिस्तान की मिजगोना सामादोवा को 5-0 से पराजित किया। हालांकि पहले दौर में सामादोवा ने जैस्मिन को दबाव में रखा। वह यह दौर 2-3 से हार गईं, लेकिन बाद में उन्होंने जबरदस्त वापसी कर दोनों राउंड 5-0 से जीते। वहीं मंजू एशियाई चैंपियन खामिदोवा के सामने कोई चुनौती पेश नहीं कर पाईं और 0-5 से हार गईं।

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