अपने दर्द को अंदर रख खेल रही तुर्की की मुक्केबाज राबिया

भूकम्प में घर उजड़ा, परिवार को टेंट में रहना पड़ रहा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
तुर्की की राबिया के दिलो-दिमाग में वह काली बर्फीली रात पूरी तरह घर कर चुकी है। मालात्या शहर स्थित उनके घर का कमरा हिला तो वह कुछ ही सेकेंड में बाहर निकल आईं। उनके पैर में जूते भी नहीं थे और बाहर कड़ाके की सर्दी के साथ बर्फ पड़ रही थी। चारों ओर चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। राबिया टोपुज बताती हैं कि उन्होंने और उनके परिवार ने किसी तरह जान तो बचा ली, लेकिन हालात मौत से भी बदतर थे। 10 दिन तक उन्हें कार में सोना पड़ा। तब जाकर उन्हें रहने के लिए टेंट नसीब हुआ। अभी भी वह और उनका परिवार टेंट में रह रहे हैं। वह टेंट में ही रहकर यहां खेलने पहुंची हैं। वह अपने देश के लिए यहां पदक जीतना चाहती हैं। उन्हें उनके देश का झंडा प्रेरणा देता है।
राबिया विश्व चैम्पियनशिप में 50 किलो भार वर्ग में खेल रही हैं। उन्हें विश्व चैम्पियनशिप के लिए सिर्फ 10 दिन तैयारियों का मौका मिला है। राबिया कहती हैं कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें अपना घर मिल जाएगा। टेंट में कठिन परिस्थितियों में रहने के बावजूद वह अपने को इस चैम्पियनशिप में खेलने से नहीं रोक पाई हैं। हालांकि ऐसी स्थितियों में खेलना काफी कठिन है। वह इस टूर्नामेंट के बाद एक बार फिर अपनी तैयारियां शुरू करेंगी।
तुर्किये के कोच टुंके वारोल का कहना है कि उनके मुक्केबाज यहां अपने दर्द को अंदर रखकर खेल रहे हैं। वे इसे जाहिर नहीं करना चाहते हैं। उनका लक्ष्य पेरिस ओलम्पिक में अच्छा प्रदर्शन करना है। यही कारण है कि इस चैम्पियनशिप में खेलना जरूरी था। उन्हें मालूम है कि स्थितियां बहुत खराब हैं, लेकिन उनकी टीम इस पर विजय पाना जानती है। हम इस चैम्पियनशिप में अपने देश तुर्की के लिए जान लगा देंगे। राबिया ने बमुश्किल भूकम्प के दौरान अपनी जान बचाई है, लेकिन वह फिर भी यहां हैं। तुर्की की टीम में सेमा और एलिफ दो ऐसी मुक्केबाज हैं जिन्होंने पिछले वर्ष उन्हीं के शहर इस्तांबुल में हुई विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीते थे।

 

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