तीरंदाजी में पहचान बनाता संस्कारधानी जबलपुर

मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी में हैं बेजोड़ तीरंदाज
खेलपथ संवाद
जबलपुर।
संस्कारधानी जबलपुर अब होनहार तीरंदाजों के बूते देश में अपनी अलग पहचान बना रही है। यहां के होनहार तीरंदाज राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर मध्य प्रदेश को गौरवान्वित कर रहे हैं। इसका श्रेय मध्य प्रदेश की दूरदर्शी खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को जाता है। उनके प्रयासों से ही जबलपुर में तीरंदाजी एकेडमी संचालित की गई।
जबलपुर एकेडमी के तीरंदाज लगातार पदकों पर निशाना साध रहे हैं। यहां के लगभग एक दर्जन तीरंदाज विश्वस्तरीय चैम्पियनशिप में अपनी प्रतिभा का लोहा मना चुके हैं। वर्तमान में इस सेंटर से प्रशिक्षण ले रही मुस्कान किरार, ऐश्वर्या चौधरी, अमित कुमार मध्य प्रदेश की तीरंदाजी में पहचान हैं। संस्कारधानी निवासी मुस्कान किरार ने वर्ल्ड कप से लेकर कई चैम्पियनशिपों में देश के लिए मेडल जीते हैं। गुरंदी बाजार की रहने वाली मुस्कान बेहद साधारण परिवार से आती हैं। पिता वीरेंद्र किरार साधारण सी मीट की दुकान चलाते हैं। माला किरार घर संभालती हैं। मुस्कान मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी में तीरंदाजी सीख रही हैं। बर्लिन में 2019 में मुस्कान विश्व चैम्पियनशिप में देश के लिए रजत पदक जीत चुकी हैं। मुस्कान ने 17 साल की उम्र में ही बैंकाक में हुई एशिया कप तीरंदाजी में गोल्ड जीतकर अपनी प्रतीभा का परिचय कराया था।
जबलपुर के अन्य होनहार तीरंदाजों में शिवांश अवस्थी, अमित यादव, यश्वी उपाध्याय, चिराग विद्यार्थी, आरसी चौधरी, सृष्टि सिंह, रागिनी मार्को, अनुराधा अहिरवार व अमित कुमार आदि हैं जोकि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं। पोलैंड में गोल्ड जीतने वाले अमित कुमार के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। डेंगू के चलते उनकी मां की मौत हो गई। बावजूद उन्होंने गोल्ड जीता। उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले अमित कुमार ने आर्थिक संकट से जूझते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। जबलपुर में चाचा के पास रहकर अकादमी से तीरंदाजी के गुर सीख रहे हैं।
जबलपुर में तीरंदाजी के अलावा कई ऐसी प्रतिभाएं भी हैं, जो शारीरिक परेशानियों के बावजूद अपने खेल से संस्कारधानी को गौरवान्वित कर रहे हैं। होमसाइंस निवासी रजनीश अग्रवाल ने 2016 में फ्रांस में आयोजित कम्प्यूटर वेब प्रेज प्रोग्रामिंग में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। इसके अलावा साउथ कोरिया में भी 2011 में स्पेशल मेडल जीत चुके हैं। दिव्यांग रजनीश अग्रवाल वर्तमान में मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर वाणिज्यकर विभाग में कम्प्यूटर प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत हैं। रजनीश के मुताबिक हम जैसे और अन्य खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलें तो संस्कारधानी कई क्षेत्रों में अच्छा खिलाड़ी देने का दम रखता है।
सेवा भारती चेतना के मानसिक रूप से कमजोर छात्र संदीप दुबे 2015 में लॉस एंजलिस (अमेरिका) में आयोजित स्पेशल ओलम्पिक वर्ल्ड समर में साइकिलिंग में 10 किलोमीटर की प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीते थे। सेवा भारती में ही पढ़ रही मानसिक रूप से कमजोर निशाद खान ने 2015 में ही लॉस एंजलिस में 800 मीटर एथलेटिक्स में रजत पदक जीता था।

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