पद्मश्री सुधा सिंह हैं रायबरेली की शान

सितारा बन चमक रहीं रायबरेली की खिलाड़ी बेटियां
खेलपथ संवाद
रायबरेली।
समाज बदल रहा है। इसी बदलते परिवेश में घर की दहलीज को पार कर बेटियां परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। राजबरेली की बेटियां राजनीति, प्रशासनिक, चिकित्सा, शिक्षा ही नहीं खेल के क्षेत्र में भी अपने कौशल से जनपद का गौरव बढ़ा रही हैं। उनकी सफलता की राह में समाज की बंदिशें तो कभी आर्थिक हालात बाधक बने पर उनके कदम नहीं थमे। हर मुश्किल को चुनौती मानकर निरंतर आगे बढ़ रहीं बेटियां खेल जगत का सितारा बन गई हैं। रायबरेली की पद्मश्री एथलीट सुधा सिंह को कौन नहीं जानता। रायबरेली की अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह अर्जुन पुरस्कार सहित राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान हासिल कर चुकी हैं।
सुधा सिंह एशियन गेम्स में तीन हजार मीटर की स्टीपल चेज दौड़ में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। इसके लिए उन्हें देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार अर्जुन अवॉर्ड भी दिया जा चुका है। वह ओलम्पिक गेम्स में भी प्रतिभाग कर चुकी हैं। सुधा सिंह खेल और खिलाड़ियों का रोल मॉडल हैं। 
सुधा की ही तरह दो और बेटियां भारत सरकार के खेलो इंडिया अभियान से जुड़कर अंतरराष्ट्रीय पटल पर चमकने को बेकरार हैं। वालीबाल में शाम्भवी को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने का मौका मिला तो हॉकी में नैना ने कमाल दिखाते हुए साईं में चयन के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के कैंप में पंजाब से खेलते हुए टीम को तीसरा स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
पांच बहन और दो भाइयों में छठे नम्बर की नैना आज भले ही सफलता के पथ पर हो, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए कांटों भरी राह पर चलना पड़ा। पिता वीरेंद्र सोनकर की पुलिस लाइंस चौराहे पर पंक्चर की दुकान है। पूरे परिवार का भरण-पोषण की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है। नैना की प्रतिभा को हॉकी कोच संतोष कुमार ने पहचाना और खेलने के लिए उत्साहित किया। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इस दौरान जरूरत पड़ने पर कोच ने खेल सामग्री भी मुहैया कराई। वर्तमान में वह (भारतीय खेल प्राधिकरण) साई हॉस्टल पटियाला में है। हाल ही में पंजाब टीम से खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। 
शाम्भवी ने पंचकुला हरियाणा में चौथे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिभाग किया। क्रिकेटर भाई उज्जवल की राह पर चलकर शाम्भवी पिता गौरव सिंह का सपना साकार कर रही है। इस सफलता पर मां गीता देवी और स्टेडियम में कोच रही लीना सिंह बेहद खुश हैं। मां कहती हैं कि बेटी ने जो कहा वह कर दिखाया। हम सभी को उस पर नाज है।

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