वाराणसी, मेरठ और कानपुर के तीरंदाजों ने दिखाया कमाल

राज्यस्तरीय तीरंदाजीः कानपुर मण्डल के तीरंदाजों ने जीते नौ मेडल

अपूर्व और भूमि के खाते में आए तीन-तीन स्वर्ण पदक

खेलपथ संवाद

प्रयागराज। एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज मैदान पर हुई तीन दिवसीय 66वीं प्रदेशीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में वाराणसी, मेरठ और कानपुर के तीरंदाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की टीम में अपना स्थान सुनिश्चित किया। इस प्रतियोगिता में वाराणसी मण्डल 21 स्वर्ण, 12 रजत, 21 कांस्य के साथ पहले, मेरठ मण्डल 8 स्वर्ण, 12 रजत तथा 8 कांस्य पदक के साथ दूसरे तथा कानपुर मण्डल 7 स्वर्ण, 2 रजत पदक के साथ तीसरे स्थान पर रहा। प्रतियोगिता में लखनऊ मण्डल एकमात्र स्वर्ण पदक के साथ 11वें स्थान पर रहा।  

ओईएफ इंटर कॉलेज कानपुर के क्रीड़ाध्यक्ष मोहित दुबे ने खेलपथ को बताया कि कानपुर मण्डल के तीरंदाजों ने सात स्वर्ण तथा दो रजत पदक जीते। पदकों के आधार पर कानपुर मण्डल टीम को ओवर आल तीसरा स्थान मिला। प्रतियोगिता में वाराणसी मण्डल पहले तथा मेरठ मण्डल दूसरे स्थान पर रहा। इस प्रतियोगिता में कानपुर के अपूर्व वशिष्ठ ने तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किए। अपूर्व ने इंडियन राउण्ड अण्डर-19 बालक वर्ग के 50 मीटर में स्वर्ण, 30 मीटर में स्वर्ण ओवर आल के स्वर्ण पदक से अपना गला सजाया और प्रदेश की टीम में जगह बनाई।

इसी प्रकार वैष्णवी अग्निहोत्री ने एक स्वर्ण और दो रजत पदक तथा भूमि सम्राट ने तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपनी बादशाहत सिद्ध की। भूमि ने रिकर्व राउण्ड अण्डर-14 बालिका वर्ग में 60 मीटर और 50 मीटर में स्वर्ण पदक जीतते हुए ओवर आल में भी स्वर्ण पदक जीता। अपूर्व, वैष्वणी तथा भूमि अब आगामी स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया की राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाएंगे। इन खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन पर कानपुर तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह यादव, सचिव वैभव गौड़ तथा एसएएफ ग्राउण्ड एकेडमी अर्मापुर के तीरंदाजी प्रशिक्षक अभिषेक कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

प्रतियोगिता के दूसरे दिन प्रयागराज के रवींद्र, सोनू कुशवाहा, अमृत कुमार और मोहम्मद इमरान ने शानदार प्रदर्शन किया। शुक्रवार को कंपाउंड अंडर-17 बालक वर्ग में वाराणसी के अरमान कुरैशी पहले, सहारनपुर के प्रियांशु बालियान दूसरे तथा मेरठ के दीपक तीसरे स्थान पर रहे। बालिका वर्ग में अलीगढ़ की विधि पहले और मेरठ की अंजली दूसरे स्थान पर रहीं। रिकर्व अंडर-17 बालक वर्ग में मेरठ के प्रियांश पहले, वाराणसी के अक्षत सिंह दूसरे और सहारनपुर के कपिल रघुवंशी तीसरे स्थान पर रहे।

बालिका वर्ग में मेरठ की निकिता पहले, आगरा की खुशी दूसरे और वाराणसी की आशु यादव तीसरे स्थान पर रहीं। इंडियन अंडर-17 बालक वर्ग में मेरठ के जय कुमार पहले, मेरठ के विशू दूसरे तथा वाराणसी के निशांत सिंह तीसरे स्थान पर रहे। बालिका वर्ग में विंध्या की प्राची श्रीवास्तव पहले, मेरठ की ज्योति दूसरे तथा मेरठ की शिखा तीसरे स्थान पर रहीं।

इससे पहले जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया था। शुभारम्भ अवसर पर सह जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार सिंह, एलबी मौर्य, अनय प्रताप सिंह, संयोजक बृजेश चंद्र श्रीवास्तव, मंडलीय सचिव रंजना सिंह, सचिव प्रतिभा, संतोष कुमार सिंह, संदीप कुमार राठौर, स्वास्तिक बोस, प्रतिभा सिंह, अरविंद कुमार गौतम, मुकेश सिंह ,डॉ. अनूप कुमार श्रीवास्तव, डॉ. जय प्रकाश शर्मा, रवींद्र मिश्र, हसबीन अहमद, अरुण कुमार पांडेय, राकेश कुमार श्रीवास्तव, वीरेंद्र कुमार, शैलेंद्र कुमार, अंजना सिंह, सोनिका गुप्ता, श्वेता सिंह, सिल्विया शुक्ला आदि मौजूद रहे।

विजेता तीरंदाजों की ख्वाहिश

वाराणसी के संजय कुमार ने कहा कि मैंने अंडर-19 की ओपन राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीता है। मेरा सपना है कि मैं आर्मी में जाऊं और देश की सेवा करने के साथ-साथ तीरंदाजी में भी आर्मी का नाम रोशन करूं। मैं यहां की जीत से काफी उत्साहित हूं।

वाराणसी की अदिति सिंह ने कहा- मैंने इससे पहले जौनपुर में हुई सब जूनियर वर्ग की ओपन प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। यहां पर जीतने से मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। मैं फरवरी में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अभी से ही अभ्यास में जुट जाऊंगी। मेरा सपना है कि मैं तीरंदाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करूं।

मेरठ के जय कुमार ने कहा- एक साल पहले से ही तीरंदाजी सीखना शुरू किया है। मेरा भी सपना है कि मैं भारत का प्रतिनिधित्व करूं और देश के लिए मेडल जीतूं। मैं नियमित तौर पर रोजाना चार से छह घंटे अभ्यास करता हूं।

मेरठ की निकिता बताती हैं कि मैं तीन साल से अभ्यास कर रही हूं। तीन बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा बन चुकी हूं और हरिद्वार में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुकी हूं। अब ओलम्पिक तक का सफर तय करना चाहती हूं। इसके लिए मैं पूरी मेहनत करूंगी और सपने को पूरा करूंगी।

विंध्या की प्राची श्रीवास्तव कहती हैं कि वह चार साल पहले से तीरंदाजी का अभ्यास कर रही हैं। वर्ष 2020 में ओपन राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता था। मेरा सपना है कि मैं भी दीपिका कुमारी की तरह भारत का ओलम्पिक में प्रतिनिधित्व करूं। मेरे पिताजी शिक्षक हैं वह ही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

मंहगा है खेल, तीन प्रकार में है बंटा

तीरंदाजी का खेल इंडियन, रिकर्व और कंपाउंड राउंड में बंटा हुआ होता है। सबसे महंगा इक्विपमेंट रिकर्व के खेल का होता है। इसमें खिलाड़ियों का धनुष ओलम्पिक के स्तर का होता है जोकि 2.50 लाख से लेकर 3.75 लाख रुपये तक आता है। वहीं कंपाउंड का धनुष वर्ल्ड क्लास का होता है जोकि 1.75 लाख से लेकर 2.25 लाख रुपये तक का आता है। जबकि इंडियन जिसे आमतौर पर बिगनर भी बोला जाता है उसका धनुष 6 से 12 हजार रुपये तक का आता है। इसके अलावा निशाने के लक्ष्य के लिए जो टार्गेट, स्टैंड और फेसेस आते हैं उनकी कीमत तकरीबन 70 से 90 हजार रुपये होती है। तीरंदाजी सीखने के लिए खिलाड़ियों को अपने इक्विपमेंट खुद से खरीदने होते हैं। जबकि एकेडमी में तीरंदाजी के अभ्यास के लिए खिलाड़ियों को 500 से 1500 रुपये तक की फीस भी अदा करनी होती है।

तीरंदाजी से बढ़ती है एकाग्रता

तीरंदाजी से बच्चों का मानसिक विकास होता है क्योंकि यह एकाग्रता बढ़ाने वाला खेल है। इसका फायदा बच्चे को पढ़ाई में भी मिलता है। कहा जाता है कि अगर कोई बच्चा तीरंदाजी कर रहा है तो वह एक तरह से मेडिटेशन भी कर रहा है। बहुत मुमकिन है कि अगर आप ध्यान लगाकर पढ़ते हैं यानी पढ़ाई में अच्छे हैं तो तीरंदाजी में भी अच्छा कर जाएं।

राकेश कुमार सिंह, टेक्निकल चेयरमैन, तीरंदाजी प्रतियोगिता

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