संघर्षों से शिखर तक पहुंची मेरठ की चैम्पियन पारुल
कभी गांव से स्टेडियम तक जाती थी पैदल
छोटी बहन प्रीति भी उड़नपरी बनने की राह पर
खेलपथ संवाद
मेरठ। चैम्पियन बेटी पारुल चौधरी की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। एक किसान की बेटी पारुल चौधरी कभी अपने गांव से स्टेडियम की यात्रा पैदल किया करती थी। आठ साल पहले जो जुनून इस बिटिया के अंदर आया उसी का असर है कि आज वह देश की नम्बर एक धावक बन गई है। मेरठ की इस चैंम्पियन बेटी ने अब तक इतने मेडल जीते हैं कि एक पूरा कमरा ही मेडल से भर गया है।
बेटी की बात करते करते पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक जाते हैं। पिता किशनपाल कहते हैं कि उनकी दो बेटियां हैं और दोनों धावक हैं। पारुल चौधरी तो अब नेशनल रिकॉर्ड होल्डर बन गई है, जबकि दूसरी बेटी प्रीति भी उड़नपरी बनने की राह पर है। एथलीट पारुल चौधरी ने अमेरिका के लॉस एंजिल्स में महिलाओं की 3000 मीटर स्पर्धा में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था, तब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उसे बधाई दी थी। मेरठ के दौराला क्षेत्र के इकलौता गांव की रहने वाली पारुल चौधरी ने लॉस एंजिल्स में 3000 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। पारुल ने लॉस एंजिल्स में साउंड रनिंग सनसेट टूर वन के दौरान राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और महिला 3000 मीटर स्पर्धा में नौ मिनट से कम समय लेने वाली देश की पहली एथलीट बनी।
उस दिन पारुल पांचवें स्थान पर चल रही थी, लेकिन अंतिम दो लैप में जोरदार प्रदर्शन करते हुए पोडियम पर जगह बनाने में सफल रही। उसने तीसरा स्थान हासिल किया। पारुल की इस उपलब्धि पर मां बस यही कहती हैं कि मेरी बेटियों जैसा कोई नहीं। मेरठ की रहने वाली पारुल चौधरी ने महिलाओं की 3000 मीटर में सब-9 मिनट का समय पूरा करने वाली पहली भारतीय धावक बनी है। इसने 8:57.19 मिनट के समय के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। गुजरात में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों में पारुल चौधरी ने 5 हजार मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक झटक लिया था। पारुल ने 16:34:68 मिनट के साथ यह उपलब्धि हासिल की।