हरियाणा की पांच बेटियां फुटबाॅल में दिखाएंगी पैरों की जादूगरी
अंडर-17 महिला फीफा विश्व कप आज से
खेलपथ संवाद
भुवनेश्वर। आज से हमारे देश में पहली बार पुटबॉल विश्व कप का आयोजन हो रहा है। इस आयोजन में खेलों की नई ताकत बनकर उभरे हरियाणा राज्य की पांच लड़कियां भारतीय टीम से अपने पैरों की जादूगरी दिखाएंगी। इन बेटियों में निकिता, नेहा, काजल, वर्षिका और शैलजा शामिल हैं।
नेहा के पिता धर्मबीर मंगाली गांव में मनरेगा मजदूर हैं जबकि काजल हिसार जिले के इसी गांव के एक छोटे किसान की बेटी हैं। हालांकि, ये दोनों लड़कियां मंगलवार से शुरू हो रहे फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप में हिसार जिले के चुली बड़ियां गांव की निकिता और भिवानी जिले के अलखपुरा गांव की वर्षिका और शैलजा के साथ देश के लिए खेलेंगी।
हॉकी, बॉक्सिंग और कुश्ती में अपनी छाप छोड़ने के बाद हरियाणा की इन लड़कियों ने एक बार फिर खुद को साबित किया है। इस बार वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल का पावर हाउस कहे जाने वाले जर्मनी, स्पेन, अमेरिका, ब्राजील और जापान जैसे प्रतिद्वंदियों के खिलाफ मैच खेलेंगी, जो देश में 11 से 30 अक्टूबर तक आयोजित होंगे। हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय टीम में 23 खिलाड़ी शामिल हैं। हालांकि, हिसार और भिवानी जिले की पांच लड़कियां हैं, जोकि एक विशेष उपलब्धि है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के निम्न और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाली इन लड़कियों ने पूर्व में प्रतिष्ठित सुब्रतो कप जीता था। क्षेत्र के फुटबॉल प्रेमियों ने कहा कि बुनियादी ढांचे जैसे-बढ़िया मैदान और अन्य उपकरणों की कमी के बावजूद स्थानीय कोचों की मदद से इस स्तर तक पहुंची हैं। शिक्षा विभाग की कोच सुखविंदर ढिल्लन ने कहा कि लगभग 16 साल पहले जब उनकी पोस्टिंग मंगाली गांव में गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल में हुई थी तो उन्होंने लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि लड़कियां इतनी कुशल थीं कि वह थोड़े समय में उनकी एक अच्छी टीम बनाने में कामयाब रहीं।
बाद में, इस स्कूल की टीम तीन बार स्टेट चैम्पियन बनी और यहां तक कि 2015 में सुब्रतो कप भी जीता।'ढिल्लन ने बताया कि अलखपुरा के सरकारी बालिका विद्यालय की टीम ने भी कुछ साल पहले एक बार सुब्रतो कप जीता था। इसके अलावा, हिसार जिले के सदलपुर और चुली बगरिया गांव की लड़कियां भी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं।
फुटबॉल कोच ने कहा कि वर्तमान में, मंगाली गांव के आसपास के विभिन्न गांवों की लगभग 30 लड़कियां, जो मंगाली गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं, देश के विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल क्लबों के साथ खेल रही हैं। उन्होंने कहा कि ये लड़कियां गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और पौष्टिक आहार व उपकरणों आदि का खर्च वहन नहीं कर सकतीं। हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित किया है और उनमें से लगभग 20 को खेल कोटे में सरकारी नौकरी मिली है।'
भिवानी जिले के अलखपुरा गांव के पंचायत सदस्य संजय कुमार ने कहा कि गांव की लड़कियां फुटबॉल की दीवानी हैं। उन्होंने कहा कि खेल शिक्षक गोवर्धन ने लड़कियों को शुरू में केवल मनोरंजन के लिए फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया है। हालांकि बाद में लड़कियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और सुब्रतो कप जैसी कई प्रतिष्ठित ट्राफियां जीतीं।