भारतीय फुटबॉल का नायाब गोलंदाज सुनील छेत्री

दुनिया का तीसरा सबसे अधिक गोल दागने वाला खिलाड़ी 
मनोज दुबे
नई दिल्ली।
दुनिया भर में फुटबाल के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर रहे सुनील छेत्री ने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें एक पेशेवर फुटबालर बनना है, लेकिन वक्त के साथ उनके मन में इस खेल के प्रति दीवानगी बढ़ती गई, जिसने उन्हें नई पहचान दी। तीन अगस्त, 1984 को सिकंदराबाद (अब तेलंगाना में) में जन्मे सुनील छेत्री को फुटबाल स्वाभाविक रूप से मिला। उनके 'आर्मी मैन' पिता केबी छेत्री अपने शुरुआती दिनों में फुटबाल खेला करते थे। वहीं, मां सुशीला भी नेपाल की राष्ट्रीय फुटबाल टीम में खेल चुकी हैं। 
कहा जा सकता है कि फुटबाल के प्रति लगाव उनके जींस (वंशानुगत) में ही मौजूद है। साथ ही उन्हें जो माहौल मिला, वह भी इस खेल के प्रति सुनील की रुचि बढ़ाने में मददगार साबित हुआ। पिता के सेना में होने के कारण सुनील उनके साथ देशभर में घूमते रहे। अक्सर उनके स्कूल बदलते रहे, लेकिन जो नहीं बदला वो था फुटबाल के प्रति उनका जुनून। सुनील ने हर जगह अपने लिए फुटबाल के मैदान और कोच तलाश लिए।
सुनील छेत्री परिवार के साथ जब दिल्ली आए तो स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ फुटबाल में शानदार प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, लेकिन उनके मन में पेशेवर फुटबालर बनने का विचार नहीं था। वो फुटबाल इसलिए खेलते थे, ताकि किसी अच्छे कॉलेज में एडमीशन ले सकें और अपनी आगे की पढ़ाई कर सकें। हालांकि, सुनील छेत्री के लिए किस्मत ने कुछ और ही योजना बनाई थी। 
वर्ष 2001 में कुआलालंपुर में एशियन स्कूल चैंपियनशिप में खेलने के लिए जब सुनील को भारतीय टीम में बुलाया गया, उसी दौरान भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध फुटबाल क्लबों में से एक मोहन बागान ने टूर्नामेंट में सुनील छेत्री की प्रतिभा को देखा और उन्हें आगामी घरेलू सत्र के लिए अपनी टीम में शामिल किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सुनील छेत्री ने मोहन बागान, जेसीटी, ईस्ट बंगाल और डेम्पो के लिए आठ वर्षों तक खेला और अपनी फुटबाल क्षमता को दुनिया के सामने साबित किया।
फीफा ने रिलीज की डाक्यूमेंट्री सीरीज
भारत के सबसे बड़े फुटबालरों में से एक सुनील छेत्री देश के सर्वकालिक टाप गोल स्कोरर और सर्वाधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं। वह फुटबाल की दुनिया में सबसे ज्यादा गोल दागने वाले क्रिस्टियानो रोनाल्डो (117) और लियोनल मेसी (90) के बाद तीसरे पायदान पर काबिज हैं। 38 वर्षीय सुनील छेत्री अभी तक कुल 131 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं और इस दौरान 84 गोल दाग चुके हैं। सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल करने के मामले में फुटबाल के जादूगर के नाम से मशहूर पेले को पहले ही पीछे छोड़ चुके हैं। 
दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ी और भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान सुनील छेत्री के जीवन और उनके करियर को सम्मान देने के लिए हाल ही में विश्व फुटबाल को चलाने वाली संस्था फेडरेशन इंटरनेशनल आफ फुटबाल एसोसिएशन (फीफा) ने डाक्यूमेंट्री सीरीज रिलीज की है। तीन एपिसोड की बनाई गई इस शानदार सीरीज को ‘कैप्टन फैंटास्टिक’ के नाम से रिलीज किया गया है। वर्ष 2011 में सुनील को अर्जुन अवार्ड, 2019 में पद्मश्री और 2021 में खेल रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। अब फीफा के द्वारा दिया गया यह सम्मान भी देश के लिए गौरव की बात है।
विदेशी लीग में खेलने वाले तीसरे भारतीय फुटबालर बने
धीरे-धीरे सुनील के भीतर विदेशी क्लबों में खेलने के प्रति भी कुछ दिलचस्पी पैदा हुई और 2007 में उन्होंने इंग्लैंड में कोवेंट्री सिटी के लिए एक ट्रायल दिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके। हालांकि, वर्ष 2010 में सुनील छेत्री ने यूएसए के मेजर लीग साकर में कैनसस सिटी विजार्ड्स के लिए कान्ट्रैक्ट साइन किया और विदेशी लीग में खेलने वाले वो मोहम्मद सलीम और बाईचुंग भूटिया के बाद तीसरे भारतीय फुटबालर बने। सुनील छेत्री को पहली बार वर्ष 2005 में सीनियर भारतीय फुटबाल टीम में शामिल किया गया और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला गोल किया। वर्ष 2007 में हुए नेहरू कप में सुनील छेत्री के चार गोल ने टीम को वर्ष 1997 के बाद पहली बार ट्राफी जीतने में मदद की। 
सुनील ने वर्ष 2008 के एशियन फुलबाल चैलेंज कप में चार गोल दागे। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के कारण भारत ने टूर्नामेंट जीता था। इसके बाद उन्हें भारतीय फुटबाल के पोस्टर ब्वाय के रूप में देखा जाने लगा। उनके करियर का सबसे शानदार पल 2011 साउथ एशिया फुटबाल फेडरेशन चैंपियनशिप में देखने को मिला। इसमें सात गोल दागकर सुनील टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर बन गए। ये एक सीजन में किसी भी खिलाड़ी द्वारा किया गया सबसे अधिक गोल था।
मुंबई सिटी एफसी ने इंडियन सुपर लीग के सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी के रूप में खरीदा
2015 में भारत में एक नई लीग बनाई गई, जिसका नाम था इंडियन सुपर लीग। मुंबई सिटी एफसी ने उन्हें 2015 में इंडियन सुपर लीग के सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी के रूप में खरीदा। सुनील छेत्री ने स्कोर करना जारी रखा और 2016 में मुंबई सिटी एफसी को पहली बार प्लेआफ में पहुंचाने में अपना योगदान दिया और आइएसएल में हैट्रिक बनाने वाले पहले भारतीय बने। 2018 के इंटरकांटिनेंटल कप में सुनील छेत्री ने केन्या के खिलाफ भारतीय फुटबाल टीम के लिए अपना 100वां मैच खेला, जिसमें उन्होंने लगातार गोल किए और ट्राफी जीतने में टीम की मदद की। छह बार आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन (एआइएफएफ) प्लेयर आफ द ईयर रहे सुनील छेत्री युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं।
(साभार दैनिक जागरण)

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