खेल, चोट और फिजियोथैरेपी एक-दूसरे के पूरकः डॉ. गरिमा गर्ग

खेलों में लगने वाली चोटों के निदान में फिजियोथैरेपी वरदान
खेलपथ विशेष
ग्वालियर।
खेल, चोट और फिजियोथैरेपी यह तीनों शब्द एक दूसरे के पूरक हैं। खेलते समय चोट लगना एक खिलाड़ी के लिए आम बात है,पर क्या आप जानते हैं कुछ टेक्निक ऐसी होती हैं जिनके इस्तेमाल करने से न केवल चोटों से बचा जा सकता है बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन भी किया जा सकता है। डॉ. गरिमा गर्ग बताती हैं कि खिलाड़ियों को खेल के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए तथा शारीरिक परेशानी होने पर क्या करना चाहिए।
कोई भी खेल खेलते समय अलग-अलग तरीके से चोटें लग जाती हैं या शरीर को कोई नुकसान हो जाता है। बकौल डॉ. गर्ग एक झटका त्वचा में छोटे रक्तस्राव का कारण बन सकता है। सिर पर एक झटके से हल्की प्रतिवर्ती मस्तिष्क की चोट लग सकती है तो बहुत अधिक तरल पदार्थ खाने से हीट थकावट और हीट स्ट्रोक हो सकता है। इतना ही नहीं मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने वाली मांसपेशियों या ऊतक का खिंचाव या टूटना, मोच, दांतों का नुकसान, नाक की चोट, मांसपेशियों में अकड़न या कड़क मांसपेशियां इत्यादि से खिलाड़ियों को कभी न कभी सामना करना पड़ता है।
डॉ. गरिमा गर्ग बताती हैं कि स्पोर्ट्स इंजरी का इलाज फिजियोथैरेपी की मदद से बड़े ही आराम से किया जा सकता है, पर हम अगर बात करें ज्यादा चोट लगे ही न और अगर लगे तो बड़ा रूप न ले तो इसमें भी फिजियोथैरेपी personal assessment, strengthening,rehab and work of particular muscle  के रूप में तो कैसा रहेगा? जवाब होगा 'सर्वोत्तम'। गतिशीलता में सुधार के लिए व्यायाम किया जाता है। स्क्रीनिंग प्रक्रिया और व्यायाम के माध्यम से इस्थलिको के निवारक तरीके बताए जाते हैं। कमजोर कड़ी जिसकी वजह से आपके खेल में बाधा आ रही है या जैसा खेल सकते हैं वैसा नहीं हो पा रहा है उस कमजोरी का निवारण करना सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए। चोटें आ गई हैं,परेशानी बन चुकी है उसका इलाज करना महत्वपूर्ण कार्य होता ही है। 
जरूरी है विश्लेषणः- डॉ. गरिमा गर्ग बताती हैं कि हर खिलाड़ी के शरीर की संरचना, ताकत, डीलडॉल एक दूसरे से अलग होता है। संभवतः एक ही खेल में उनके शरीर का लगने वाला बल, शरीर में हो रही प्रक्रिया एक दूसरे से अलग-अलग असर डालता है। इसलिए हर गेम से पहले खिलाड़ी का पूर्ण निरीक्षण फिजियोथैरेपिस्ट के द्वारा अवश्य होना चाहिए। कहीं खिलाड़ी की मांसपेशियां शक्त तो  नहीं, किसी जोड़ में, अस्तिबंध (ligament) के आसपास दर्द तो नहीं, हर जोड़ का मूवमेंट आराम से और पूर्ण है या नहीं इसकी विवेचना जरूरी हैष
संतुलित एवं पौष्टिक आहार नियमित मात्रा और नियमित रूप से होः स्ट्रेचिंग हर मसल्स की खासतौर पर उन मसल्स की जो अत्यधिक इस्तेमाल होती हों किसी भी खेल प्रणाली में क्योंकि हर खेल का तरीका इस्तेमाल होने वाली मांसपेशी अलग होती है। खेल के दौरान जिस हिस्से में ज्यादा गिरावट, थकान,दर्द, ऐंठन महसूस होता है वह हिस्सा है खिलाड़ी की कमजोर कड़ी, इस पर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत है। अब हर खिलाड़ी के मन में सवाल उठेगा कि हम तो नियमित व्यायाम करते हैं,फिटनेस पर ध्यान देते हैं, आहार भी उसी हिसाब से लेते हैं, तब ऐसा क्यों हो रहा है? फिर कमी क्यों है? यही जरूरत है विश्लेषण की, पूर्ण जानकारी की, उस कमी पर काम करने की, उस हिस्से या मांसपेशी की स्ट्रेंथ बढ़ाने की, और मुमकिन इलाज लेने की।
डॉ. गरिमा गर्ग कहती हैं कि खिलाड़ी को छोटी सी परेशानी भी हो तो उसे एक्सपर्ट से मशविरा लेना चाहिए। खिलाड़ी की हर परेशानी का निदान एक कुश फिजियोथैरेपिस्ट ही कर सकता है।
अब हम बात करते हैं muscle spasm की। यह परेशानी हर व्यक्ति को हो सकती है। डॉ. गरिमा गर्ग बताती हैं कि इस परेशानी का मुख्य कारण गलत मुद्रा में बैठकर कार्य करना या खेलना, किसी एक मुद्रा का बार-बार लगातार इस्तेमाल होना जिससे उस मुद्रा को बनाने वाली जो मांसपेशियां कार्यग्रह हैं उनका लगातार काम करना, पानी की मात्रा कम पीना भी एक मुख्य कारण है, कई बार प्लेटलेट्स ज्यादा बढ़ने से भी ऐसा हो जाता है।
अब बात करते हैं फिटनेस में कमी आने की- इसके कारणों में पानी कम मात्रा में पीना, जल्दी थकान होना मतलब शरीर में प्रोटींस, विटामिंस, कार्बोहाइड्रेट की कमी होना, अंदरूनी चोटें पुरानी या नई, मांसपेशियों में अकड़न (muscle spasm) आदि। जब भी किसी एक स्थिति में लगातार काम कर रहे हैं तो उससे जुड़ी मांसपेशियों की बीच-बीच में स्ट्रैचिंग करना, रिलीज करना, रिलैक्स करना पहला कार्य होना चाहिए तीनों चीजें इसलिए बोल रही हूं क्योंकि आप किस स्थिति में हैं कहां पर हैं तो उसमें जो चीज पॉसिबल हो वह करें। पानी पिये और लम्बी सांसे लें। अगर ऐसा करते रहेंगे तो ज्यादा परेशानी बढ़ेगी ही नहीं। हां अगर परेशानी ऑलरेडी बढ़ चुकी है तो अब जरूरत है स्ट्रेंथ, रिहैब और ट्रीटमेंट की ओर बढ़ने की। इसके लिए मिलिए किसी जानकार से जो आपकी इन सब चीजों में सहायता कर सके। मित्रों एक स्वस्थ मांसपेशी ही स्वस्थ शरीर का आधार होती है, ताकत होती है इसका ख्याल रखना हर इंसान की नैतिक जिम्मेदारी है। 

रिलेटेड पोस्ट्स