प्रशिक्षकों बिना बिजनौर की खिलाड़ी प्रतिभाएं मायूस
तेली का काम तमोली से करा रहा खेल निदेशालय
खेल निदेशक की कृपा से कनिष्ठ सहायक पूनम बिष्ट की बल्ले-बल्ले
खेलपथ संवाद
बिजनौर। प्रशिक्षकविहीन उत्तर प्रदेश में खेल प्रतिभाएं निराशा के भंवरजाल में फंसी हुई हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि वे खेलों को आत्मसात करें या फिर खेल छोड़ घर बैठ जाएं। ऐसा नहीं कि खेल निदेशालय के अधिकारियों को इस समस्या का भान नहीं है लेकिन उनकी मंशा में खोट है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश खेलों में उत्तम प्रदेश बने लेकिन अधिकारी नहीं चाहते।
खैर प्रशिक्षकों की समस्या को लेकर शनिवार 10 सितम्बर को वॉलीबॉल प्रशिक्षक अजीत सिंह तोमर के आवास में डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ के बैनर तले एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जिला बिजनौर के डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ पदाधिकारियों ने जिले की पंगु खेल गतिविधियों पर अपने-अपने विचार रखे।
जिला बिजनौर के डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ की सचिव चित्रा चौहान ने कहा कि मार्च 2020 से नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम बिजनौर में खेल प्रशिक्षण शिविर सलीके से संचालित नहीं हो रहे, ऐसे में खिलाड़ी अपने-अपने खेलों का अभ्यास कैसे करें। डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ की अध्यक्ष अंशु चौधरी ने कहा की जिला बिजनौर में जिन खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकलते रहे हैं और जो ग्रामीण खेल भी हैं। अफसोस की बात है कि मार्च 2020 से अब तक बिजनौर स्टेडियम में कबड्डी और कुश्ती खेलों के प्रशिक्षण शिविरों की व्यवस्था ही नहीं हो सकी।
अंशु बताती हैं कि राहुल चौधरी और रोहित चौधरी जैसे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर जिला बिजनौर के साथ-साथ हिन्दुस्तान का नाम रोशन किया है लेकिन उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय ऐसे खेलों की अनदेखी कर रहा है जोकि खिलाड़ियों के साथ घोर अन्याय है। जिला बिजनौर के डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ उपाध्यक्ष अजीत तोमर ने कहा कि नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम बिजनौर में उप क्रीड़ा अधिकारी जयवीर सिंह एथलेटिक्स प्रशिक्षक हैं। वही सारे स्टेडियम की व्यवस्था भी देखते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जयवीर प्रशिक्षण दें या फिर कागजी खानापूर्ति करें।
यहां खेलो इंडिया की तरफ से वेटलिफ्टिंग का शिविर भी संचालित है लेकिन वह भी प्रॉपर रूप में नहीं चल रहा है क्योंकि वेटलिफ्टिंग के उपकरण ही स्टेडियम में उपलब्ध नहीं हैं। तोमर ने बताया कि नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम बिजनौर में पिछले चार वर्ष से क्रीड़ा अधिकारी नहीं है जिससे जिला बिजनौर का नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम उप क्रीड़ा अधिकारी के सहारे ही चल रहा है।
डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ के पदाधिकारी कबड्डी प्रशिक्षक पुष्पेंद्र कुमार ने कहा उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक आर.पी. सिंह ने उत्तर प्रदेश में खेलों के साथ खेल कर दिया है तथा खेलों को हंसी का विषय बना दिया है। वह उत्तर प्रदेश में खेलों के भले की बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देशों के क्रम में उत्तर प्रदेश के कार्मिकों की सम्बद्धता अवधि अधिकतम एक वर्ष तय है लेकिव खेल विभाग उत्तर प्रदेश में जनपद बिजनौर में तैनात पूनम बिष्ट कनिष्ठ सहायक विगत 16 वर्षों से लखनऊ मुख्यालय में सम्बद्ध हैं जोकि शासन के निर्देशों की सरासर अवहेलना है।
यह कृत्य शासन के निर्देशों को धज्जियां उड़ाने के साथ ही खेल निदेशक की मनमानी का भी सूचक है। इस मामले को यदा-कदा उठाया भी गया लेकिन प्रशासनिक स्तर पर उसे दबा दिया गया। पूनम बिष्ट 2006 से खेल निदेशालय लखनऊ में सम्बद्ध हैं जबकि शासन एवं वित्त विभाग की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी कर्मी की अधिकतम एक वर्ष की सम्बद्धता ही पात्र है। यह सब खेल निदेशक की शह पर ही हो रहा है। ऐसे मामलों को देखकर लगता है के खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश में सिर्फ तानाशाही चल रही है, इसके अलावा कुछ नहीं।
जिला बिजनौर के डिप्लोमाधारी खेल प्रशिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी धर्मदेव सिंह भाटी ने कहा कि खेल निदेशालय लखनऊ द्वारा उत्तर प्रदेश के समस्त अंशकालिक प्रशिक्षकों पर जेम पोर्टल की व्यवस्था थोपी जा रही है। यदि सीधे शब्दों में कहा जाए तो ठेकेदारी प्रथा विभाग में लागू की जा रही है। यह व्यवस्था भ्रष्टाचार को जन्म देगी इसके अलावा कुछ भी नहीं। बड़े दुःख का विषय है कि नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम बिजनौर जिसकी अपनी साख है, उस साख को धूल-धूसरित किया जा रहा है। नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम बिजनौर में फिलवक्त एथलेटिक्स और वेटलिफ्टिंग को छोड़कर कोई भी प्रशिक्षक नहीं है। नेहरू स्टेडियम बिजनौर में कुछ प्रशिक्षक अपने प्रयासों से प्रशिक्षण दे रहे हैं जिसमें खेल विभाग का कोई रोल नहीं है।