मुजफ्फरनगर में प्रशिक्षकों बिना खिलाड़ियों में निराशा
चौधरी चरण सिंह स्पोर्ट्स स्टेडियम में हॉकी, क्रिकेट सहित कई खेलों में कोच नहीं
खेलपथ संवाद
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में खेल निदेशक की हठधर्मिता से खेलों का सत्यानाश हो रहा है। समूचे प्रदेश में प्रशिक्षकों की कमी के चलते खिलाड़ियों में निराशा व्याप्त है। प्रशिक्षकों की कमी को दूर करने की बजाय खेल निदेशक अपनी ढपली, अपना राग अलाप रहे हैं। मुजफ्फरनगर में हॉकी, क्रिकेट सहित कई खेलों में कोच नहीं होने से खेल गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। खिलाड़ी इसके लिए खेल निदेशालय को कसूरवार मान रहे हैं।
मुजफ्फरनगर में नए दौर में भी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन जरूरत उन्हें तराशने की है। सुविधाएं बढ़ाने और सही प्रशिक्षण देने की जरूरत है। चौधरी चरण सिंह स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रशिक्षकों की कमी के कारण खिलाड़ी बेहाल है। हॉकी, क्रिकेट और शूटिंग बॉल समेत कई खेल ऐसे है, जिनके कोच नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोच ही नहीं हैं तो खिलाड़ियों को कैसे तैयार किया जाएगा। यहां सिर्फ तीन खेलों के ही कोच हैं।
स्टेडियम में क्रिकेट, बैडमिंटन, जूडो, वेटलिफ्टिंग, एथलेटिक्स, कबड्डी, कुश्ती, वालीबाल, हैंडबॉल और शूटिंग बॉल के खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। कुल तीन खेलों के ही कोच स्टेडियम में उपलब्ध हैं, जबकि अन्य खेलों की तैयारी की जिम्मेदारी सीनियर खिलाड़ियों पर है। वे ही खिलाड़ियों को तैयार कर रहे हैं। जिला खेल अधिकारी हरफूल सिंह ने बताया कि चौधरी चरण सिंह स्पोर्ट स्टेडियम में कबड्डी, जूडो और वेटलिफ्टिंग के ही कोच हैं। यहां कबड्डी के 25, जूडो के 25 और वेटलिफ्टिंग के कुल 30 खिलाड़ी हैं। कबड्डी के कोच वह खुद हैं, जूडो के कोच किरण गौतम और वेटलिफ्टिंग की कोच रेणू रानी हैं। यह दोनों कोच संविदा पर हैं। इसके अलावा स्टेडियम में फिलहाल आर्मी की तैयारी करने वाले बच्चे ही आ रहे हैं।
जिला खेल अधिकारी हरफूल सिंह का कहना है कि यहां तीन खेलों के कोच उपलब्ध हैं। कोच के लिए डिमांड की गई है। अभी छह जनवरी को ट्रायल भी हुआ था, लेकिन सूची अभी तक नहीं आई है। यह सूची लखनऊ से ही जारी होती है। स्टेडियम में बाकी सभी सुविधाएं हैं, किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है।