साक्षात्कार के दौरान रो पड़ीं राष्ट्रमंडल खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट

लॉन बॉल्स खिलाड़ी का छलका दर्द
बोला गया कि हमारा चेहरा देखकर सेलेक्शन हुआ
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक के साथ कुल 61 मेडल जीतकर इन खेलों में अपने अभियान का समापन किया। कुश्ती, टेबल टेनिस, वेटलिफ्टिंग जैसे कई गेम्स में पहले से ही पक्का था कि भारतीय एथलीट अच्छा दमखम दिखाएंगे और इनमें भारत को पदक जरूर मिलेगा। लेकिन कुछ गेम्स में भारतीय एथलीट्स ने पहली बार मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। ऐसा ही एक गेम है लॉन बॉल्स, जिसमें महिला लॉन बॉल्स टीम ने स्वर्ण पदक जीता। 
जब भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने महिला फोर्स (चार खिलाड़ियों की टीम) स्पर्धा का फाइनल जीता, तो कुछ हैरान थे और काफी लोग खुश थे। हैरान इस वजह से क्योंकि इससे पहले इस गेम में भारत को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी और खुश वो एथलीट भी थे, जिनके पास खोने के लिए कुछ बचा नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि लॉन बॉल्स में मेडल जीतने वाली खिलाड़ियों ने अपने गोल्ड मेडल जीतने से पहले के सफर के बारे में बताया है, जिसे सुनकर आप उनके हौसले को सलाम करेंगे।
लवली चौबे (लीड), पिंकी (सेकेंड), नयनमोनी सेकिया (थर्ड) और रूपा रानी टिर्की (स्किप) की भारतीय महिला फोर्स टीम ने स्वर्ण पदक मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 17-10 से हराया था। लवली चौबे और रूपा रानी टिर्की ने एक टॉक शो के दौरान बताया कि किस तरह उन्हें इस खेल में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। लोगों ने यहां तक कहा कि हमारा चेहरा देखकर सेलेक्शन हुआ है। इतना कुछ हमें सुनना पड़ा है कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। "हम बहुत डिप्रेस थे। हमारे बारे में बहुत सारी बातें हुईं। यह बहुत ही मनोबल गिराने वाला था।" इतना कहकर रूपा रानी टिर्की रोने लगीं। वह अपनी बातें रखने के लिए काफी हिम्मत जुटा रही थीं। 
उन्होंने आगे कहा, ''हम पर बहुत दबाव था। अगर हम खेलों से पदक के साथ नहीं लौटते, तो शायद अगले संस्करण में हमारे लिए लॉन बाउल का कोई भविष्य नहीं होता।'' शो के दौरान टीम की खिलाड़ी लवली पर अपने भावनाओं को रोक नहीं सकीं और कहा, ''हमें यहां तक बोल गया कि टीम में चयन हमारा चेहरा देखकर हुआ है।''

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