झांसवा के कार्तिकेय के हौसले को लगे पंख

खेल-खेल में बना डाले 3 लर्निंग एप
हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से बीएससी सीएस कर रहा 12 साल का होनहार
खेलपथ संवाद
झज्जर।
गांव झांसवा के 12 साल के कार्तिकेय ने मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय कोडिंग सीखकर तीन लर्निंग एप बना डाले। कार्तिकेय झज्जर के जवाहर नवोदय विद्यालय में 8वीं कक्षा का छात्र है और 8वीं की पढ़ाई के साथ-साथ वह हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से कम्पयूटर साइंस में बीएससी की ऑनलाइन पढ़ाई भी कर रहा है। कार्तिकेय के इसी हुनर को देखते हुए हॉवर्ड यूनिवर्सिटी इतनी कम उम्र में उसको बीएससी कम्पयूटर साइंस का एक साल का कोर्स करा रही है।
कार्तिकेय की इस उपलब्धि पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उसे इंडिया यंगेस्ट एप डेवलपर का अवॉर्ड दिया है। ग्रामीण परिवेश में जन्मे कार्तिकेय अपनी इस उपलब्धि पर काफी खुश हैं। कार्तिकेय की इस उपलब्धि का जब हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यन्त चौटाला को पता चला तो उन्होंने कार्तिकेय को फोन पर उसे व उसके पिता को बंधाई दी और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। वहीं होनहार बालक कार्तिकेय के स्कूल के अध्यापक और पड़ोसी भी उनकी इस उपलब्धि पर नाज़ करते हैं और उनके बेहतर भविष्य की कामना कर रहे हैं।
लॉकडाउन में सीखी कोडिंग
कार्तिकेय के पिता अजीत सिंह का कहना है कि कोरोना काल में लॉकडाऊन के दौरान कार्तिकेय के हाथ में मोबाइल रहा तो उसने यूट्यूब पर देखकर पहले कोडिंग फिर ग्राफिक्स बनाना सीखा। इसी तरह प्रयास करते हुए उसने शुरू में दो लर्निंग एप बनाए। बाद में वह तीसरे एप को बनाने की तैयारी में जुट गया। आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें अपने बेटे कार्तिकेय को जो फोन उपलब्ध कराया जाना चाहिए वह नहीं करा पा रहे हैं। जो फोन उसके पास है वह बार-बार हैंग हो जाता है। कार्तिकेय के पिता का कहना है कि अगर उच्च तकनीक वाला फोन कार्तिकेय को मिल जाये तो वह बेहतर कर सकता है।
डिजिटल इंडिया से प्रभावित है कार्तिकेय
कार्तिकेय का सपना है कि इस प्रकार के एप बनाकर वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में योगदान दे सके। कार्तिकेय कहते हैं कि उन द्वारा बनाए गए लर्निंग एप उन गरीब बच्चों के लिए निःशुल्क हैं जोकि आर्थिक कमजोरी की वजह से न तो अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं और न ही कोई कोचिंग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनका पहला एप कोडिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग सिखाने के लिए बनाया गया है जबकि दूसरा एप लुसेंट जीके हिंदी ऑफलाइन एप है। यह जीके के लिए है। कार्तिकेय ने बताया कि तीसरे एप की लांचिंग पिछले सप्ताह की 13 जुलाई को की गई है।

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