आगरा में बढ़ रही सितोलिया खेल की लोकप्रियता

सितोलिया एसोसिएशन आफ इंडिया को मिली राष्ट्रीय खेल की मान्यता

खेलपथ संवाद

आगरा। भारत सरकार देसी खेलों को बढ़ावा देने के लगातार प्रयास कर रही है, इसी कड़ी में पुरातन समय से गांव के बच्चों में लोकप्रिय सितोलिया यानि पिट्ठू खेल ताजनगरी आगरा में भी अपनी पहचान बना रहा है। आगरा जनपद निवासी ब्रजमोहन शर्मा जोकि इस खेल के पदाधिकारी भी हैं, का कहना है कि सितोलिया, जिसे आपने अधिकतर गली-मोहल्लों में ज्यादा खेलते देखा होगा। अब इस खेल की प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं भी हो रही हैं।

9 से 12 जून तक जयपुर (राजस्थान) में इसकी पहली नेशनल चैम्पियनशिप हुई जिसमें उत्तर प्रदेश की बालिका टीम ने मध्य प्रदेश को पराजित कर अपनी जांबाजी सिद्ध की। उत्तर प्रदेश टीम में आगरा के बाह की मधु, नंदिनी, गविता तथा फतेहाबाद की संगीता का खेल सराहनीय रहा। इसका खिताब उत्तराखंड ने जीता तथा मेजबान राजस्थान उप-विजेता रहा।

श्री शर्मा बताते हैं कि सितोलिया (पिट्ठू) एसोसिएशन आफ इंडिया को इसी साल राष्ट्रीय खेल का दर्जा मिला है। पहली नेशनल चैम्पियनशिप में उत्तराखंड की बेटियों ने स्वर्ण, राजस्थान की बेटियों ने रजत तथा उत्तर प्रदेश की बेटियों ने कांस्य पदक जीता। सितोलिया खेल को गांव के बच्चे ज्यादा खेलते थे। सितोलिया बड़ा ही रोमांचक खेल है। दरअसल सितोलिया परंपरागत रूप से एक देसी खेल है, इसे खेलना बहुत ही आसान है इसलिए बच्चे इसे आसानी से समझ जाते हैं और खूब खेलते हैं।

सितोलिया क्या है?

यह एक ऐसा खेल है जिसे कई नामों से जाना जाता है जैसे कि पिट्ठू, सात पत्थर, सात सितोलिया, गिट्टी फोड़, लिंगोचा, ईझू, डिकोरी तथा लगोरी। इसका मतलब यह है कि जिस खेल को आप कभी सिर्फ मनोरंजन के लिए खेलते थे वह आपका भविष्य भी बना सकता है क्योंकि 2010 में सितोलिया के कुछ राष्ट्रीय स्तर पर नियम निर्धारित किए गए हैं। नियमों के अनुसार सितोलिया में अब पठारों का नहीं बल्कि लकड़ी से बनी सितोलिया का इस्तेमाल किया जाएगा। इस खेल को खेलने के लिए सिर्फ दो ही टीम हो सकती हैं और उस टीम में खेलने वाले सदस्य भी बराबर होने चाहिए तभी इस खेल की व्यवस्थित रूप से शुरुआत हो सकती है। सितोलिया में यदि गेंद आपकी बाउंड्री के बाहर चली जाती है तो आपका इसमें फाउल होगा यानि कि आपको इसमें अपना एक पॉइंट गंवाना पड़ेगा। सितोलिया तोड़ने के लिए आपको सिर्फ तीन ही मौके मिलते हैं।

जब एक टीम का सदस्य सितोलिया पर गेंद मार रहा है तो उस खिलाड़ी के ठीक विपरीत साइड दूसरी टीम का खिलाड़ी खड़ा होगा, जो गेंद को कैच कर सकता है। अगर वह खिलाड़ी एक हाथ से गेंद को कैच कर लेता है तो इससे वह खिलाड़ी आउट हो जाता है। सितोलिया पर गेंद मारने वाले खिलाड़ी और सितोलिया के बीच की दूरी 10.5 फीट तक होना ज़रुरी है। जब आप किसी को आउट करने वाली टीम में खेल रहे होते हैं तो आपको उस समय गेंद को एक दूसरे को पास करना होता है और आप 50 सेकेंड से ज्यादा देर तक गेंद को अपने हाथ में नहीं रख सकते। आपको जल्दी पास करना इस खेल का नियम है। फील्डिंग टीम के खिलाड़ी सिर्फ पैरों के नीचे ही गेंद मारकर दूसरी टीम को आउट कर सकते हैं। फील्डिंग टीम के खिलाड़ी अपने अनुसार सभी को सही पोजीशन देकर उनके स्थान पर दूरी दूरी से खड़े कर सकते हैं। इस तरह से जो टीम बार बार सितोलिया बनाने में कामयाब रहती है उसके उतने पॉइंट बनते जाते हैं। आखिर में सबसे ज्यादा सितोलिया बनाने वाली टीम जीत जाएगी। हर सितोलिया बनाने का एक पॉइंट दिया जाएगा।

सितोलिया खेल से मिलने वाले लाभ-

दोस्तों, यह सिर्फ एक खेल ही नहीं बल्कि आपको कई लाभ भी देगा। इस खेल से आपके बच्चे के हाथ-पैर चलते रहते हैं और मजबूत भी बनते हैं लिहाजा आप भी अपने बच्चों को सावधानी के साथ नियमों को ध्यान में रखते हुए सितोलिया खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जब बच्चा गेंद को पूरी ताकत के साथ फेंकता है तो उसकी मसल्स में खिंचाव आता है। मसल्स में खिंचाव लाने के लिए ही आप जिम जाते हो। तो इस खेल के माध्यम से अपनी शरीर की मसल्स को मजबूत बना सकते हैं। इससे आपकी फोकस करने की शक्ति भी बढ़ती है, जब खिलाड़ी अपने ध्यान को केन्द्रित करके सितोलिया पर निशाना साधने की कोशिश करता है तो इससे उसकी एकाग्रता बढ़ती है। आपके दिमाग को स्थिर रखने में मदद मिलती है, इससे आपका शरीर लचीला भी बनता है। भागने से भी आपका शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है।

 

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