मुश्किल में फंसे इटावा के जिला क्रीड़ाधिकारी नरेश चंद्र यादव
दो नाबालिग छात्राओं ने दर्ज करवाया यौन उत्पीड़न का मामला
धुंआ उठता रहा लेकिन खेल निदेशालय आग का पता ही नहीं लगा सका
खेलपथ संवाद
इटावा। उत्तर प्रदेश में खेलों के नाम पर कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा। प्रशिक्षकों की समस्या से जूझ रहे प्रदेश में खेल विभाग के अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। खेलों के प्रति उनका नजरिया ही नहीं नजर भी थू-थू करने वाली है। हाल ही उत्तर प्रदेश के ही इटावा जिले के क्रीड़ाधिकारी नरेश चंद्र यादव पर दो नाबालिग छात्राओं ने सिविल लाइन थाने में छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराकर विभाग की नींद उड़ा दी है। मामला दर्ज होने के बाद से जिला क्रीड़ाधिकारी लापता हैं। मामला दिसम्बर 2021 का है, ऐसे में सवाल उठता है कि खेल निदेशालय ने इस अधिकारी पर पहले ही कार्रवाई क्यों नहीं की?
ज्ञातव्य है कि दो नाबालिग छात्राओं ने जिला खेल अधिकारी नरेश चंद्र यादव के खिलाफ सिविल लाइन पुलिस थाने में यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया है। इटावा के एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने बताया कि बाल संरक्षण अधिकारी स्तर से मिले निर्देशों के क्रम में जिला खेल अधिकारी नरेश चंद्र यादव के खिलाफ सिविल लाइन पुलिस थाने में धारा 354 और पास्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यौन उत्पीड़न का मुकदमा 14 और 15 साल की दो स्कूली छात्राओं ने दर्ज कराया है। यौन उत्पीड़न की वारदात दिसम्बर, 2021 में जिला मुख्यालय के ही महात्मा ज्योतिबा फुले स्पोर्ट्स स्टेडियम के जिम्नेजियम हॉल में घटित होना बताई गई है।
दर्ज कराये गये मामले के तहत दोनों स्कूली छात्राओं ने इस बात को कहा है कि जिला खेल अधिकारी ने उनके साथ छेडछाड़ की है। जिला खेल अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज होने को लेकर कहा गया है कि पिछले साल दिसम्बर माह में हुई घटना की विभिन्न स्तर से जांच के बाद अब मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मामले की जांच उप निरीक्षक जयप्रकाश को सौंपी गई है।
यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद जिला खेल अधिकारी फरार है। विभाग से भी कोई सही और सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही। बताया गया है कि खेल अधिकारी बुधवार को अवकाश से वापस लौटने वाले थे, लेकिन यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद वह लापता हो गये। आरोपी नरेश चंद्र यादव ने अपने सभी मोबाइल फोन भी बंद कर लिए हैं।
इस मामले में बताया जा रहा है कि 16 दिसम्बर, 2021 को हुई घटना के बाद जिलास्तर पर पुलिस की जांच चल रही थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकरण में पीड़ित स्कूली छात्राओं को न्याय दिलाने के लिए तत्कालीन डीएम इटावा श्रुति सिंह ने जांच के आदेश दिये थे, जिसकी जांच के लिए नगर मजिस्ट्रेट राजेंद्र प्रसाद के अलावा जसवंतनगर एसडीएम, जिला पूर्ति अधिकारी सीमा त्रिपाठी की एक कमेटी बनाई गई थी। जांच में देरी होने पर बाल सरंक्षण विभाग ने इस प्रकरण को लेकर यह सवाल उठाया, इसके बाद जांच तेज हुई और मामला दर्ज कर लिया गया। अब सवाल यह उठता है कि लगभग साढ़े छह माह तक धुंआ उठता रहा लेकिन खेल निदेशालय आग का पता ही नहीं लगा सका।