मुद्रिका पाठक बनीं लखनऊ स्पोर्ट्स कॉलेज की प्रभारी प्रधानाचार्य

जो जवाबदेही मिली है, उसका होगा पूरी ईमानदारी से निर्वहन 
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के बेपटरी हो चुके खेलों को पटरी पर लाने के प्रयास शुरू हो गये हैं। यह प्रयास खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव द्वारा किए जा रहे हैं। खेल मंत्री श्री यादव की दखल और वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उप निदेशक खेल कानपुर मुद्रिका पाठक को 19 मई, गुरुवार को गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ का प्रभारी प्रधानाचार्य बनाया गया। श्रीमती पाठक ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। 
देखा जाए तो स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में पिछले डेढ़ दशक से कोई स्थायी प्रधानाचार्य नहीं होने से खेल निदेशालय से ही प्रभारी प्रधानाचार्य बनाकर खेलों में खेल किया जाता रहा है। यह पहली दफा है जब इस मामले में खेल मंत्री के मंतव्य को प्रमुखता मिली है। खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव जिस तरह से खेलों के प्रत्येक पहलू पर गम्भीरता दिखा रहे हैं उससे प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों में भी खुशी का माहौल है।
गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में पिछले 15 वर्षों से कोई स्थायी प्रधानाचार्य नहीं है। खेल विभाग के अधिकारियों को ही अतिरिक्त कार्यभार देकर काम चलाया जाता रहा है। बीच में न्यायालय के आदेश पर विजय कुमार गुप्ता को प्रधानाचार्य बनाया गया था। उनके बर्खास्त होने के बाद जितेंद्र कुमार यादव और उसके बाद खेल विभाग के उप निदेशक खेल एसएस मिश्रा को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाया गया। 
एसएस मिश्रा ने खेल विभाग को लिखकर दिया था कि चूंकि स्पोर्ट्स कॉलेज आवासीय है। प्रधानाचार्य को स्पोर्ट्स कॉलेज में ही रहना होगा लिहाजा वह वह एक साथ दो जगह की इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पोर्ट्स कॉलेज के प्रधानाचार्य पद को छोड़ने की इच्छा जताई थी। इस पर शासन ने वरिष्ठता के आधार पर मुद्रिका पाठक को स्पोर्ट्स कॉलेज का अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर खेल निदेशालय को सकते में डाल दिया है। 
मुद्रिका पाठक का कहना है कि उन्हें जो जवाबदेही मिली है, उसका वह पूरी ईमानदारी से निर्वहन करेंगी। श्रीमती पाठक के प्रभारी प्रधानाचार्य बनने के बाद लोग चटकारे ले रहे हैं कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी दूसरे के हाथ में चली गई। दरअसल, गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए ही शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है। 

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