यूपी में कैसे निखरेंगी खेल प्रतिभाएं

बिना कोच अभ्यास कर रहे खिलाड़ी
प्रशिक्षकों की भर्ती पर अदालत की रोक
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
प्रशिक्षकों के अभाव में उत्तर प्रदेश की खेल प्रतिभाएं निराश हैं। वे बिना प्रशिक्षकों के अभ्यास करने को मजबूर हैं। अदालत की रोक के चलते हाल फिलहाल खेल निदेशालय प्रशिक्षकों की भर्ती भी नहीं कर सकता। देखा जाए तो मार्च 2020 में निकाले गए 377 अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों के बाद से ही समूचे उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षकों का अभाव है। फिलवक्त 75 जिलों के इस प्रदेश में साढ़े चार सौ प्रशिक्षकों की जगह सिर्फ 156 प्रशिक्षक ही ठेकाप्रथा से प्रशिक्षण दे रहे हैं।
खिलाड़ी अपना भविष्य संवारने के लिए स्टेडियम में प्रैक्टिस करने तो जाते हैं लेकिन कई खेल ऐसे हैं, जिनमें खिलाड़ियों को उनके द्रोणाचार्य नहीं मिले हैं। बिजनौर के नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम में दो साल से हॉकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल का कोई कोच नहीं है। खिलाड़ी अपना भविष्य संवारने के लिए खुद ही अभ्यास कर रहे हैं।
कोरोना की वजह से सभी व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं ऊपर से खेल निदेशालय के हठधर्मी रवैये से भी प्रशिक्षकों का अभाव हुआ है। कोरोना काल में प्रदेश भर के खेल प्रशिक्षक नौकरी से निकाल दिए गए थे। खेल निदेशालय ने प्रशिक्षकों की तीन बार भर्ती प्रक्रिया भी चलाई लेकिन वह साढ़े चार सौ प्रशिक्षकों की भर्ती नहीं कर सका। अब कोरोना संक्रमण जैसी कोई बात नहीं है लेकिन खिलाड़ी प्रैक्टिस को स्टेडियम जाते हैं लेकिन प्रशिक्षकों के अभाव में जैसे-तैसे भागदौड़ कर वापस घरों को लौट जाते हैं। बिजनौर में अभी तक हॉकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल का स्टेडियम में कोई कोच नहीं है। हॉकी के जूनियर वर्ग में छह और सीनियर वर्ग में एक खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे हैं। जबकि वॉलीबॉल में जूनियर वर्ग में 15 खिलाड़ी और सीनियर वर्ग में छह खिलाड़ी तैयारी कर रहे हैं। वहीं फुटबॉल में जूनियर वर्ग में 22 खिलाड़ी और सीनियर वर्ग में 15 खिलाड़ी स्टेडियम में तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही बास्केटबॉल के जूनियर और सीनियर वर्ग में तीन-तीन खिलाड़ी तैयारी कर रहे हैं।
बिजनौर स्टेडियम में कोच न होने की वजह से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण में दिक्कतें आ रही हैं। लेकिन कभी-कभी पूर्व कोच अजित कुमार और चित्रा चौहान स्टेडियम में आकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अजित कुमार के सुपरविजन में खिलाड़ी वॉलीबॉल का अभ्यास कर रहे हैं जबकि चित्रा चौहान खिलाड़ियों को हॉकी के गुर सिखाती हैं।
चार बार भेजी जा चुकी है कोच की मांग: जयवीर सिंह
जिला क्रीड़ाधिकारी जयवीर सिंह ने बताया कि कोरोना काल के बाद से स्टेडियम में हॉकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल का कोई कोच नहीं है। जिसके चलते दो साल में करीब चार बार कोच के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है लेकिन अभी तक स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ियों को कोच का इंतजार है। हाल ही मथुरा का भी एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ जाकर खेल निदेशक डॉ. राम प्रकाश सिंह को प्रशिक्षकों की समस्या से अवगत करा चुका है। कानपुर में उप-निदेशक खेल मुद्रिका पाठक के प्रयासों से प्रशिक्षण चल रहा है क्योंकि उन्होंने खेल विकास समिति से प्रशिक्षकों की नियुक्ति की है। देखा जाए तो प्रशिक्षकों की समस्या के चलते ही उत्तर प्रदेश के अधिकांश क्रीड़ांगन खिलाड़ियों से सूने हैं। हरियाणा में अगले महीने खेलो इंडिया यूथ गेम्स होने हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षक ही नहीं हैं। स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया पर प्रतिबंध होने के चलते स्कूल शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षक भी निःसहाय हैं।
मेरठ शहर जिसे उत्तर प्रदेश का स्पोर्ट्स हब कहा जाता है, वहां भी चिराग तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है। यहां के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में खिलाड़ी बिना कोच के ही अपना कौशल निखारने को मजबूर हैं। कई वर्षों से स्थाई कोच को लेकर खिलाड़ी सरकार से मांग करते आ रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान होने की बजाय समस्या और गम्भीर हो गई है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में कुल 15 खेलों में खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं लेकिन यहां सिर्फ सात खेलों के ही कोच हैं जबकि आज भी तीरंदाजी,कबड्डी,बास्केटबॉल,क्रिकेट,बैडमिंटन,टेनिस सहित अन्य आठ खेलों में कोच उपलब्ध नहीं हैं।
सीनियर खिलाड़ी ही दे रहे प्रशिक्षण
तीरंदाजी और कबड्डी की बात की जाए तो सीनियर खिलाड़ी ही जूनियर खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराते हैं। कई बार खिलाड़ियों को सीखने में परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। तीरंदाजी कर रहे खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें टारगेट से लेकर अन्य प्रकार की सभी व्यवस्थाएं खुद करनी पड़ती हैं। उधर क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी गदाधर ने बताया कि शासन से अनुमति मिल गई है जल्द की कोचों की नियुक्ति की जाएगी। अब देखना यह है कि मेरठ शहर को कब कोच मिलते हैं। यही हाल प्रयागराज, उन्नाव, हरदोई, शाहजहांपुर यहां तक कि राजधानी लखनऊ का भी है।

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