एमपी में खेल शिक्षकों की कमी दूर करने का बेहूदा स्वांग
विषय शिक्षक पढ़ाएंगे या खेल खेलाएंगे जनाब
पांच दिन के प्रशिक्षण से क्या सीखेंगे और क्या सिखाएंगे गुरूजी?
खेलपथ संवाद
भोपाल। एमपी अजब है मध्यप्रदेश टूरिज्म की इसी पंक्ति को चरितार्थ कर रही है स्कूल शिक्षा विभाग की खेल शिक्षक भर्ती नीति। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग न केवल महामहिम राज्यपाल द्वारा जारी म.प्र. राजपत्र की अवहेलना कर रहा है बल्कि विषय शिक्षकों को मदारी बनाने का बेहूदा स्वांग भी रच रहा है। इन दिनों विषय शिक्षकों को पांच दिन का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है ताकि ये गुरूजी मध्य प्रदेश को खेलों में उत्कृष्ट राज्य बना सकें।
मध्य प्रदेश में हजारों युवा बीपीएड, एमपीएड तथा डीपीएड डिग्रियां लिए जहां भर्ती का इंतजार कर रहे हैं वहीं स्कूल शिक्षा विभाग ऐसा स्वांग रच रहा है जिससे खेलों का भला तो होना नहीं अलबत्ता शिक्षा की बाट लग जाना तय है। गौरतलब है कि 2018 में म.प्र. राजपत्र में शिक्षक भर्ती एवं उसकी नीति जारी हुई थी जिसके तहत प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षकों की चयन परीक्षा होकर भर्ती भी हो चुकी है लेकिन उसी राजपत्र में उल्लिखित खेल शिक्षकों की भर्ती के निर्देशों का आज तक पालन नहीं हुआ है।
दुखद तो यह भी कि अपनी गलती पर पछतावा करने की बजाय स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग के आलाधिकारी देश की अति महत्वाकांक्षी योजना फिट इंडिया का चीरहरण करते दिख रहे हैं। सभी को पता है कि विषय शिक्षकों पर पहले से ही काम का बोझ अधिक है। विषय शिक्षकों को पढ़ाने के साथ ही मध्याह्न भोजन, राज्य शिक्षा केन्द्र की योजनाओं, मां की बगिया, पुस्तक वितरण, ड्रेस वितरण, प्रौढ़ शिक्षा, बीएलओ का प्रभार आदि अनेकों जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है, ऐसे में उन पर खेलों का अतिरिक्त बोझ डालकर शिक्षा विभाग आखिर क्या जताना चाहता है?
अफसोस मध्य प्रदेश में तेली का काम तमोली से कराने का चलन लगातार बढ़ रहा है। विषय शिक्षकों को पांच दिन का प्रशिक्षण देकर उन पर खेलकूद गतिविधियों के प्रशिक्षण एवं आयोजन का बोझ डालना न केवल बेहूदा प्रयोग है बल्कि फिट इंडिया का झंडा बुलंद करने की भी नापाक कोशिश कही जा सकती है। शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री की मंशा को जमीनी आकार देने की बजाय सिर्फ औपचारिकतापूर्ण आंकड़े प्रसारित कर अपनी वाहवाही लूटना चाहता है।
मध्यप्रदेश में जिस तरह मदारी तैयार किए जा रहे हैं उसे देखते हुए स्कूली बच्चों को खेलों से जोड़ने की मंशा कुछ दिनों में ही ठंडे बस्ते में जाना तय है। इस संबंध में मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ की खेल प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नवजीत सिंह परिहार ने खेलपथ को बताया कि वर्ष 2009 से मध्यप्रदेश में खेल शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। भर्ती न होने से शारीरिक शिक्षा की डिग्री लिए अत्यंत उत्कृष्ट खेल प्रशिक्षित युवा या तो शासकीय सेवा भर्ती की उम्र पार कर किसी अन्य व्यवसाय में चले गए अथवा अशासकीय संस्थाओं में सेवा देकर अत्यंत कम वेतन पर शोषित हो रहे हैं।
श्री परिहार ने स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग से शीघ्र खेल शिक्षकों की भर्ती करने का आह्वान करते हुए कहा कि पांच दिन के प्रशिक्षण से शारीरिक शिक्षक बनाने की बजाय स्कूली बच्चों को उत्कृष्ट एवं प्रशिक्षित खेल शिक्षक मिलें, भारत सरकार की फिट इंडिया योजना को गति मिल सके, साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग की खेल नीति के निर्धारण एवं क्रियान्वयन का भी सही तरह से पालन हो, इसके लिए जरूरी है कि खेल में प्रशिक्षित खेल अधिकारियों तथा खेल कर्मचारियों को ही दायित्व सौंपा जाए। बिना सिर-पैर की योजनाएं बनाने से खेलों की बाट तो लगेगी ही शिक्षा का स्तर भी अर्श से फर्श पर आ जाएगा।