ग्रीनपार्क हॉस्टल में नहीं लौटी खिलाड़ियों की रौनक

खिलाड़ी नहीं दिखा रहे है हॉस्टल में रूचि
सिर्फ नौ खिलाड़ियों ने ही दर्ज कराई उपस्थिति 
खेलपथ संवाद
कानपुर।
उप-निदेशक खेल मुद्रिका पाठक ग्रीनपार्क की तरफ प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की आमद बढ़ाने को तरह-तरह के प्रयास कर रही हैं। उन्होंने 14 साल से कम के बालक-बालिकाओं को मुफ्त स्पोर्ट्स किट देने का भी ऐलान किया है बावजूद खिलाड़ियों की दिलचस्पी नहीं के बराबर दिख रही है। खैर, अभी पंजीयन प्रक्रिया ही चल रही है ऐसे में खिलाड़ियों की दिलचस्पी पैदा भी हो सकती है।
ग्रीनपार्क स्टेडियम में साल 1975 से चल रहे क्रिकेट हॉस्टल से कई इंटरनेशनल और नेशनल क्रिकेटरों को जन्म दिया है। कोरोना काल के बाद ग्रीनपार्क हॉस्टल की रौनक एक बार फिर से लौटाने की कोशिशें हो रही हैं। खेल निदेशालय ने दो साल बाद हॉस्टल में खिलाड़ियों के रहने और क्रिकेट सीखने के लिए सिलेक्शन प्रोसेस शुरू कर दी है। 25 स्टूडेंट्स वाले इस हॉस्टल में नए खिलाड़ी प्रवेश के लिए एड़ी और चोटी का जोर लगाए हैं वहीं पुराने खिलाड़ियों को भी अपना कार्यकाल पूरा करने का समय दिया जा रहा है। लेकिन इस बार शहर के खिलाड़ियों ने हॉस्टल में रूचि नहीं दिखाई है। इस बार गिने-चुने खिलाड़ी ही सिलेक्शन प्रोसेस का हिस्सा बने हैं।
ग्रीनपार्क हॉस्टल के लिए चल रहे कैंप में अब तक केवल नौ खिलाड़ियों ने ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह खिलाड़ी ग्रीनपार्क हॉस्टल के प्रशिक्षक अमित पाल से क्रिकेट की बारीकियों को समझने के लिए निरन्तर अभ्यास में जुटे हैं। कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन लगाए जाने से पहले ही ग्रीनपार्क के हॉस्टल को बंद कर खिलाड़ियों को उनके घर भेज दिया गया था।
ग्रीनपार्क हॉस्टल अब नए सिरे से स्थापित होने के मुहाने पर है। प्रदेश के सभी क्रिकेट खेल हॉस्टल की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू हो गई है बीते तीन दिनों में इनमें प्रवेश के लिए चयन प्रक्रिया का शुभारम्भ भी खेल निदेशक के निर्देश पर शुरू हो गया है। ग्रीनपार्क हॉस्टल का नाम क्रिकेटरों में बहुत ही मशहूर है। इस हॉस्टल में रहकर अपने क्रिकेट कैरियर को चार चांद लगाने वाले सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय मंच को सुशोभित करने वाले गोपाल शर्मा रहे। इसके बाद तो कई नामचीन खिलाड़ियों ने इस हॉस्टल का नाम रोशन किया है। जिसमें गोपाल शर्मा, ज्ञानेन्द्र पांडेय, ज्योति यादव और मोहम्मद कैफ के अलावा जूनियर इंडिया खेल चुके तन्मय श्रीवास्तव शामिल हैं। कोरोना काल में बंद हुए छात्रावास को अब खिलाड़ियों के लिए एक बार फिर से खोल दिया गया है।
ग्रीनपार्क हॉस्टल के खिलाड़ियों ने प्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम में सम्मिलित होकर खेल विभाग और निदेशालय खेल को कई बार गौरवान्वित किया है। लेकिन इसका अब दूसरा पहलू भी सामने आ गया है। साल 2007 के बाद से खेल विभाग और यूपीसीए के बीच बढ़े मनमुटाव के चलते अब प्रदेश की टीम में इस हॉस्टल का कोई भी खिलाडी प्रवेश नही कर पाया है।
खेल विभाग के प्रदेश में चार क्रिकेट हॉस्टल हैं। यह क्रिकेट हॉस्टल फतेहपुर, कानपुर, मेरठ और देवरिया में हैं। सभी हॉस्टलों में 25-25 खिलाड़ियों की क्षमता है। मूल्यांकन के आधार पर इन हॉस्टलों में खिलाड़ियों की छंटनी होती है तथा नए खिलाड़ियों को हॉस्टल में जगह मिलती है। इस आवासीय क्रिकेट हॉस्टल में उन्हीं खिलाड़ियों को जगह दी जाती है, जिन्होंने तीन साल में एक भी बोर्ड ट्रॉफी या नेशनल स्कूल टूर्नामेंट में भाग लिया हो। खिलाड़ी को पहले तीन साल में बोर्ड ट्रॉफी (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की अंडर-16, 19 व 25) या स्कूल नेशनल खेलना आवश्यक होता है, अन्यथा छात्रावास से बाहर कर दिया जाता है। यदि बोर्ड ट्रॉफी खेलता है तो दो साल का कार्यकाल बढ़ जाता है। रणजी ट्रॉफी खेलता है तो एक साल का कार्यकाल और बढ़ा दिया जाता है। भारतीय टीम में शामिल होता है तो एक साल और बढ़ा दिया जाता है। ग्रीनपार्क में अब 25 नए खिलाड़ियों के लिए रहने खाने और पढ़ने की व्यवस्था एक बार फिर से खेल विभाग की ओर से शुरू करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है।
उप-क्रीड़ाधिकारी, ग्रीनपार्क स्टेडियम अमित पाल ने खिलाड़ियों के सिलेक्शन को लेकर कहा कि इंडियन टीम में सिलेक्शन नहीं होने के पीछे सबसे बड़ी बात खिलाड़ियों का अपने करियर के प्रति दिलचस्पी नहीं लेना है। यही नहीं यूपीसीए भी अब यहां के खिलाड़ियों में रुचि नहीं दिखा रहा है। ठीक है कि हमने लम्बे समय से इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ी नहीं दिए, लेकिन नेशनल लेवल पर दिए हैं।

रिलेटेड पोस्ट्स