राजधानी लखनऊ के खेल मैदानों में बेबसी के आंसू

कभी पांच बड़े स्पोर्ट्स सेंटरों में दी जाती थी खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय ट्रेनिंग
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
कभी खिलाड़ियों के उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए देश में अपनी अलग पहचान रखने वाला लखनऊ का केडीसिंह बाबू स्टेडियम, साई सेंटर, स्पोर्ट्स कॉलेज, उत्तर प्रदेश बैडमिंटन अकादमी और नवनिर्मित अटल बिहारी वाजपेयी इकाना इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम अब प्रशिक्षकों बिना अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहे हैं। खेलप्रेमियों की कही सच मानें तो शहर के इन पांचों बड़े स्पोर्ट्स सेंटरों में कभी खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब प्रशिक्षकों के अभाव में खिलाड़ी ही नहीं मैदान भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं।
कभी लखनऊ को खिलाड़ियों की जन्मस्थली नहीं बल्कि कर्मस्थली के रूप में जाना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। खेल विभाग का मुख्यालय होने के चलते लखनऊ में सबसे ज्यादा चार मल्टीपरपज स्टेडियम (के.डी. सिंह बाबू, चौक, विजयंत और विनय खंड) हैं। इन चारों सेंटरों में करीब एक हजार खिलाड़ी सुबह और शाम के सत्र में 20 खेलों की ट्रेनिंग लेते थे। के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में सबसे ज्यादा 15 खेलों की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहां क्रिकेट, फुटबॉल, हैंडबाल, बैडमिंटन आदि की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी हो चुकी हैं। ऐसे में के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम का राजधानी में सबसे ज्यादा महत्व है।
अब बात करते हैं पुराने शहर के ऐतिहासिक चौक स्टेडियम की, जहां पर एक इंडोर हाल तैयार हुआ है, जिसमें बॉक्सिंग, हैंडबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, जूडो, कराटे आदि की ट्रेनिंग की व्यवस्था है। खेल विभाग के विजयंत खंड मिनी स्टेडियम में पद्मश्री मोहम्मद शाहिद एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम तैयार हो चुका है, जहां जूनियर वर्ल्ड कप के अलावा भारत और फ्रांस की महिला हॉकी टीमों के बीच सीरीज का सफल आयोजन हो चुका है। विनय खंड मिनी स्टेडियम मुख्य रूप से इंडोर खेलों की ट्रेनिंग के लिए तैयार किया गया है साथ ही यहां टेनिस की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
साई सेंटर: ओलम्पिक और पैरालम्पिक के लिए खेल मंत्रालय द्वारा बनाए खेल सेंटरों में लखनऊ साई सेंटर का नाम भी शामिल रहा। यहां पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों के अलावा पैरा शटलरों ने लम्बे समय तक ट्रेनिंग करके अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया। सेंटर में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई) के तहत जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत पांच खेलों के चुनिंदा 150 खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार किया जा रहा है। सेंटर का हॉकी एस्ट्रोटर्फ, एथलेटिक्स सिंथेटिक ट्रैक और रेसलिंग हाल विश्वस्तरीय है, जहां नियमित तौर पर नेशनल कैंप लगाए जाते रहे हैं।
यहां आधुनिक बॉक्सिंग एरीना, ताइक्वांडो, जूडो हाल के अलावा स्पोर्ट्स मेडसिन सेंटर स्थापित है, जहां खिलाड़ियों के चोटिल होने पर उनके लिए रिहैब प्रोग्राम तैयार किया जाता है। तमाम खूबियां होने के बावजूद सेंटर में जगह की कमी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सेंटर 68 एकड़ जमीन में संचालित किया जा रहा है, लेकिन रीजनल सेंटर होने के कारण यहां जमीन सौ एकड़ होनी चाहिए।
बैडमिंटन अकादमी की चमक भी फीकी : दिवंगत डॉ. अखिलेश दास के भारतीय बैडमिंटन एसोसिएशन में अध्यक्ष रहते हुए लखनऊ की यूपी बैडमिंटन अकादमी ने अपने स्वर्णिम दिन देखे, जब यहां सैयद मोदी बैडमिंटन चैम्पियनशिप में साइना, पीवी सिंधू, पूर्व वर्ल्ड चैम्पियन कैरोलीना मारीन, तौफीक हिदायत, लिन दान जैसे दिग्गजों का जमावड़ा लगता था और यहां समय-समय पर पीबीएल समेत अन्य बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी हुईं लेकिन बाद में स्थितियां बदलीं और दास के निधन के बाद भारतीय बैडमिंटन हैदराबाद में शिफ्ट हो गया। हालांकि आज भी सैयद मोदी बैडमिंटन यहां प्रतिवर्ष आयोजित हो रहा है, लेकिन दिग्गज खिलाड़ियों के न आने से इस आयोजन का आकर्षण थोड़ा कम हो गया है। हालांकि, ट्रेनिंग और सुविधाओं के मामले में आज भी यूपी बैडमिंटन अकादमी बेजोड़ है। यही कारण है कि जूनियर स्तर पर देश के तमाम शटलर लखनऊ आकर ट्रेनिंग करना पसंद करते हैं।
इकाना स्पोर्ट्स सिटी का जलवा कायम: अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम केवल क्रिकेट के लिए ही नहीं बल्कि फुटबॉल, बैडमिंटन, स्क्वैश, टेनिस, टेबल टेनिस आदि खेलों की ट्रेनिंग के लिए भी जाना जाता है। दरअसल, यहां सालों से इकाना स्पोर्ट्स सिटी का काम निर्माणाधीन है, जहां क्रिकेट अकादमी के अलावा अन्य खेलों की ट्रेनिंग दी जाएगी। यहां खिलाड़ियों के रहने के अलावा प्रशिक्षकों के लिए फ्लैट तैयार किए गए हैं ताकि यहीं रहकर बेहतर ट्रेनिंग की जा सके। यहां पर इंडोर हाल, टेनिस कोर्ट और अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार करने की योजना है। स्टेडियम प्रबंधन की मानें तो इकाना स्पोर्ट्स सिटी देश में खेलों की सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग अकादमियों से बेहतर प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि यूपी का खेल भविष्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर बनाया जा सके।
देखा जाए तो कोरोना के प्रकोप ने अन्य क्षेत्रों के साथ ही खेलों के प्रोत्साहन को काफी नुकसान पहुंचाया। अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की भर्ती नहीं होने के कारण राजधानी में खेल विभाग के स्टेडियमों में प्रशिक्षण व्यवस्था बिखर चुकी है। 28 फरवरी से 166 प्रशिक्षकों की सेवाएं समाप्त होने से चौक स्टेडियम, विनय खंड और विजयंत खंड में तो पूरी तरह से ही खेल प्रशिक्षण बंद हो गया है। खेल विभाग के आलाधिकारी भी पूरे मामले पर चुप्पी साधे हैं। कहने को प्रदेश में साढ़े चार सौ अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की व्यवस्था है, लेकिन वर्तमान में एक भी प्रशिक्षक नहीं है। कोच न होने से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर खास असर पड़ रहा है।

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