मालविका ने आदर्श दीदी साइना को हराया
डॉक्टर मां और पिता ने लगाए बेटी के सपनों को पर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। खिलाड़ी सरकारें नहीं, अभिभावक तैयार करते हैं। कल पूर्व चैम्पियन और 2012 ओलम्पिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साइना नेहवाल को इंडिया ओपन में हराने वाली मालविका बंसोड़ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मालविका की इस जीत में उनकी मां का बड़ा योगदान रहा है। मालविका को यहां तक पहुंचाने के लिए उनकी मां डॉक्टर तृप्ति ने अपने घर को छोड़ा, फिर अपने करियर को दांव पर लगाया। यही नहीं उन्होंने अपनी बेटी के लिए स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की।
खैर, साइना का इंडिया ओपन में सफर खत्म हो गया। उनका सफर 34 मिनट में दुनिया की 111वें रैंकिंग की खिलाड़ी मालविका बंसोड़ ने 21-17, 21-9 से हराकर खत्म किया। मालविका 10 साल में साइना को हराने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी हैं। इससे पहले पीवी सिंधु ने ऐसा कमाल किया था। मालविका ने इस जीत को अपने करियर की सबसे बड़ी जीत करार दिया है।
मालविका रायपुर में ट्रेनिंग करती है। 2011 से बैडमिंटन खेलने वाली युवा खिलाड़ी की ट्रेनिंग के लिए उनकी मां उनके साथ 2016 में नागपुर से रायपुर शिफ्ट हो गई थीं, जिससे उनकी प्रैक्टिस भी सीमित हो गई। यही नहीं डॉ. तृप्ति ने बेटी की खेल में मदद करने के लिए डेंटिस्ट की पढ़ाई करने के बाद स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर्स डिग्री भी ली। मालविका ने बैडमिंटन कोर्ट पर पहली बार कदम रखने के साथ ही तय लिया था कि वो अपनी पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने देगी। उन्होंने मेहनत भी काफी की और जिसका नतीजा 10वीं और 12वीं में दिखा। उसने दोनों में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए। इस बीच इस बेटी ने इंटरनेशनल स्तर पर सात मेडल भी जीते।
अपनी पराजय के बाद साइना ने कहा- खुश हूं कि तुम अपने खेल में अच्छा सुधार कर रही हो। लांग रैली को भी तुमने अच्छा फिनिश किया...। देश के तमाम युवाओं की रोल मॉडल साइना और उन्हें हराने वाली युवा सनसनी बेटी मालविका के बीच इस बातचीत के बारे में बताते हुए पिता डॉ. प्रबोध बंसोड़ के शब्दों में गर्व झलक रहा था। डॉ. प्रबोध बेटी की सफलता से खुश हैं। हों भी क्यों नहीं? महज 20 वर्ष की मालविका ने अपनी आदर्श साइना नेहवाल को हराया है। यह वही साइना नेहवाल हैं, जिनसे दुनिया की दिग्गज शटलर खौफ खाती हैं।
मालविका के पिता प्रबोध ने कहा, 'बहुत खुश हूं। खिलाड़ी जब हार्ड वर्क करती है और उसका फल मिलता है तो सफलता का स्वाद ही कुछ और होता है। हाल ही में उसने ऑल इंडिया रैंकिंग टूर्नामेंट भी जीती है, लेकिन यह जीत खास है। मैच के बाद मालविका से मेरी बात हुई है। साइना को हराना बड़ी सफलता है। यह अलग बात है कि साइना पहले वाली साइना नहीं हैं। उन्हें वह अपनी हीरो मानती है। उसने बताया कि मैच के बाद साइना ने उससे कहा कि तुम्हारे खेल में सुधार है। तुम लांग रैली भी अच्छा खेली।
साइना ने ऐसा क्यों कहा? इसके जवाब में प्रबोध बताते हैं, 'फरवरी 2019 में मालविका नेशनल्स खेलने के लिए गुवाहाटी में थी। वहां उसका मुकाबला पीवी सिंधु के साथ था। उस समय साइना ने उसे बहुत करीब से देखा था और मैच के बाद खेल पर बात भी की थी।' मालविका के बैडमिंटन सनसनी बनने की शुरुआत के बारे में उन्होंने बताया,' इसकी शुरुआत तब हुई जब वह लगभग नौ वर्ष की थी।' बता दें कि मालविका की सफलता का श्रेय उनके माता-पिता को जाता है। दोनों ही डॉक्टर हैं और बेटी के खेल के लिए हमेशा आगे रहे।
इन गुरुओं से सीख बनी स्टार
पेशे से डेंटिस्ट प्रबोध आगे बताते हैं- उन्होंने नागपुर डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन जॉइन किया था। उनकी पहली कोच प्रिया देशपांडे थीं। उन्होंने मालविका को अच्छा ग्रूम किया। ढाई वर्ष उनके साथ रहने के बाद कुछ वर्ष किरण माकोड़े (इंटरनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी) के साथ बिताया। जयेंद्र ढोले के साथ उन्होंने कुछ समय बिताया। 2018-19 से वह नेशनल कोच संजय मिश्रा (जूनियर टीम के कोच) के साथ हैं।
2013 रहा टर्निंग पॉइंट
वह बताते हैं, 'उसके लिए 2013 टर्निंग पॉइंट रहा। वह महाराष्ट्र स्टेट चैम्पियन बनी थी। उसके बाद से तो यह सफर जारी है। वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है।' उन्होंने 2019 में मालदीव इंटरनेशनल टूर्नामेंट अपने नाम करते हुए सीनियर कैटेगरी में धमाकेदार डेब्यू किया था। उसके बाद से वह नेपाल इंटरनेशनल (2019), युगांडा इंटरनेशनल (2021) और लिथुआनिया इंटरनेशनल (2021) का खिताब अपने नाम कर चुकी है। उन्हें साइना नेहवाल और पीवी सिंधु की तरह ही भविष्य का बड़ा सितारा माना जा रहा है।
बचपन से ही जबर्दस्त स्किल और फुटवर्क है: मंगेश काशीकर
नागपुर डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन के सेक्रेटरी मंगेश काशीकर ने मालविका को बचपन से ही देखा है। जब उन्होंने हमें जॉइन किया था तब भी वह हम उम्र के बच्चों में सबसे आगे थी। उसकी स्किल और फुटवर्क दमदार था। यह शुरुआत है। वह आगे चलकर और भी बड़ी स्टार बनेगी। नागपुर के लिए यह गौरव की बात है कि हमारे जिले की खिलाड़ी की नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर चर्चा हो रही है।
जीत के बाद मालविका ने क्या कहा
मालविका ने अपने करियर की सबसे खास जीत दर्ज करने के बाद कहा, ‘यह साइना दीदी से मेरा पहला मुकाबला था। मैंने जब से बैडमिंटन खेलना शुरू किया, वह मेरी आदर्श रही हैं। उनके खिलाफ इंडिया ओपन जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलना सपना सच होने जैसा था। यह मेरे करियर की सबसे बड़ी जीत में से है।’