मेरठ में खूब हुई ध्यानचंद के पुत्रों को न बुलाए जाने की चर्चा

बिना ट्रैकसूट लौटे बहुत से जिलों के खिलाड़ी
खेलपथ संवाद
मेरठ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन से पार्टी के वोट बैंक में लगी सेंध को पाटने की खातिर मेरठ के सरधना तहसील के सलावा में मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करके बेशक युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की हो लेकिन कार्यक्रम में मेजर ध्यानचंद के पुत्रों को न बुलाए जाने पर भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सुनी गईं।
कुछ खेलप्रेमियों ने तो यहां तक कहा कि खेल निदेशक राम प्रकाश सिंह अपने नम्बर बढ़ाने की खातिर ही दूसरे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को खेलों के कार्यक्रमों से दूर रखने की कोशिश करता है। यह चित्र भी खेलप्रेमियों के सच को उजागर करता है। मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के शिलान्यास अवसर पर मोदी जी ने मेरठ को हाकी के जादूगर की कर्मस्थली बताया तो ध्यानचंद के पुत्रों को कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर हैरानी भी जताई।
सूत्र बताते हैं कि खेल निदेशक राम प्रकाश सिंह एक बार फिर झूठ का सहारा लेते पाए गए। उन्होंने इस मामले में जो सफाई दी वह पूरी तरह मिथ्या है। उन्होंने बताया कि ध्यानचंद के पुत्रों को बुलाया गया लेकिन वे नहीं आए। खेलपथ ने जब इस बात की जानकारी अशोक ध्यानचंद और लखनऊ निवासी देवेन्द्र ध्यानचंद से की तो उन्होंने बताया कि खेल निदेशालय से उनके पास कोई आमंत्रण पत्र नहीं आया।
एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि जिन हजारों बटोरा खिलाड़ियों को मेरठ ले जाया गया था उन्हें बिना ट्रैकसूट ही मुंह लटकाए लौटना पड़ा। खिलाड़ियों ने गुस्से में यहां तक कहा कि खेल निदेशक उत्तर प्रदेश में खेलों का सत्यानाश करके ही दम लेगा। जो भी हो राम प्रकाश सिंह की करतूतों से उत्तर प्रदेश लगातार शर्मसार हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की उपेक्षा का यह पहला मामला भी तो नहीं है।

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