शूटर बांधवी ने लगाए आठ स्वर्णिम निशाने

सीडीएस बिपिन रावत की शूटर भतीजी भोपाल में बनी नेशनल चैम्पियन
बुआ-फूफा को समर्पित किए अपने जीते मेडल
खेलपथ संवाद
भोपाल।
बेटियों को जो लोग कमजोर समझते हैं वे निरा बेवकूफ होते हैं। बेटियां भावुक जरूर होती हैं लेकिन उनके इरादे अटल होते हैं। इस बात को साबित किया सीडीएस बिपिन रावत की 21 वर्षीय भतीजी बांधवी सिंह ने भोपाल के बिसनखेड़ी शूटिंग रेंज में आठ स्वर्ण पदकों के साथ नेशनल चैम्पियन बनकर। बांधवी ने अपने बुआ-फूफा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद सभी मेडल उन्हें ही समर्पित कर दिए।
एक तरफ जब समूचा देश गम में डूबा था ऐसे समय में बिपिन रावत की भतीजी बांधवी सिंह अपने सटीक निशानों से शूटिंगप्रेमियों का दिल जीत रही थी। जैसा कि आप सभी को पता है कि तमिलनाडु की ओर जाता हुआ एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। जिसमें सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत सवार थे। जिसके बाद उनका निधन हो गया। जिसने पूरे देश की आंखें नम कर दीं क्योंकि यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
एक तरफ जहां पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ था वहीं, 64वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप खेल रही उनकी भतीजी बांधवी सिंह को गुरुवार तक इसकी खबर तक भी नहीं दी गई थी। चैम्पियनशिप खेल रहे खिलाड़ियों के पास तैयारी के दौरान कोई फोन नहीं होता है। गुरुवार तक इस बेटी ने चैम्पियनशिप में आठ गोल्ड मेडल जीते। बांधवी सिंह 64वीं राष्ट्रीय राइफल शूटिंग चैम्पियनशिप में आठ मेडल जीतने के बाद नेशनल चैम्पियन बनी है। उसने व्यक्तिगत स्पर्धा में जहां चार गोल्ड मेडल जीते वहीं टीम स्पर्धा में भी किसी को निराश नहीं किया। गेम खत्म होने के बाद बांधवी सिंह को घटना की जानकारी दी गई थी। खबर सुनते ही वह अफसोस में डूब गई, बहुत ज्यादा भावुक हो गई। 21 साल की बांधवी की आंखों से आंसू छलक पड़े।
चैम्पियनशिप जीतने के बाद बांधबी सिंह को मध्यप्रदेश के खेल विभाग और सेना की मदद से दिल्ली भेजा गया। वहां पर अंतिम संस्कार में वह शामिल हुई। जीत के बाद बांधवी ने यह मेडल अपने बुआ और फूफा को समर्पित कर दिए। वह सीनियर वर्ग में नेशनल चैम्पियन बनी है तो जूनियर में भी नेशनल रिकॉर्ड बनाया है। बांधवी सिंह भोपाल स्थित शूटिंग अकादमी की प्रशिक्षु शूटर है। वह मधुलिका रावत की सगी भतीजी है। बांधवी के पिता यशवर्द्धन सिंह पहले ही दिल्ली चले गए थे।

 


 

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