कुछ प्रशिक्षकों ने बचाई डॉ. आर.पी. सिंह की कुर्सी
महिला प्रशिक्षक ने निभाई माहिल मामा की भूमिका
खेलपथ संवाद
लखनऊ। पिछले दो साल में एक समय ऐसा भी आया जब उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक डॉ. आर.पी. सिंह की कुर्सी खतरे में थी। वह अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों के एक धड़े से इतना परेशान हो गए थे कि उनकी रातों की नींद तक हराम हो गई थी। ऐसे संकट के समय में कुछ अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों जिनमें एक महिला भी शामिल थी, उसने खेल निदेशक को भरोसा दिया कि वह प्रशिक्षकों की एका को तार-तार करके ही दम लेगी और यही हुआ भी। इस महिला प्रशिक्षक को आर्थिक मदद दिए जाने की भी सूचना है।
खेल निदेशालय लखनऊ के एक विश्वस्त सूत्र का कहना है कि प्रशिक्षकों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खेल निदेशक को फटकार भी लगाई थी, ऐसे नाजुक समय में आनन-फानन में आउटसोर्सिंग से प्रशिक्षक नियुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया। यही वह समय था जब प्रशिक्षकों की एका महत्वपूर्ण मानी जा रही थी लेकिन ऐसे समय महिला प्रशिक्षक ने दोहरी भूमिका का निर्वहन कर लगभग 50 पुराने प्रशिक्षकों को जैम पोर्टल के माध्यम से अर्जी डलवाने का काम किया।
खेल निदेशालय का सूत्र बताता है कि यह महिला प्रशिक्षक और दूसरे धड़े के कुछ प्रशिक्षक आंदोलनरत प्रशिक्षकों की टोह लेकर उनकी सारी रणनीति खेल निदेशक को बताते रहे। यह महिला प्रशिक्षक अभी भी खेल निदेशक के सम्पर्क में है और वह आंदोलनरत प्रशिक्षकों से भी मिली हुई है। सूत्र का तो यहां तक कहना है कि कुछ खेल पदाधिकारियों ने भी अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की वापसी में रोड़ा डालने का काम किया है। दरअसल, ऐसे पदाधिकारी दोनों हाथों में लड्डू लेकर चल रहे हैं। कुछ मतलबपरस्त खेल पदाधिकारी आर.पी. सिंह की कुर्सी चली जाए, यह तो चाहते हैं लेकिन सामने आने और खेल निदेशालय के गड़बड़झाले बताने से डरते हैं। यह दबी जुबान कहते हैं कि पाप का घड़ा भर चुका है, किसी न किसी दिन तो फूटेगा ही।