कृष्णा को तानों से बचाने को पिता ने थमाया रैकेट

स्पोर्ट्स कप्तान थे फिर भी मिलते थे कम लम्बाई के ताने
अपना स्वर्ण कोरोना वॉरियर्स को समर्पित किया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
स्कूल में स्पोर्ट्स कप्तान और कॉलेज में क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स के माहिर खिलाड़ी होने के बावजूद चार फुट पांच इंच के कृष्णा नागर की कम लम्बाई उनकी दुश्मन बन गई थी। कॉलेज में जब कृष्णा को लड़के-लड़कियां उनकी लम्बाई को लेकर ताने मारने लगे तो उन्हें बुरा लगने लगा। 
उनके पिता सुनील नागर को इसका पता लगा तो उन्होंने कृष्णा से कहा तुम छोटे हो इसीलिए लोग तुम्हें छोटा बोल रहे हैं, इसमें दिल पर लेने वाली बात क्या है, लेकिन पिता दिमाग का बोझ हटाने के लिए उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में बैडमिंटन खिलाने ले गए। पिता ने कृष्णा से कहा अच्छा खेलोगो तो लोग सराहना करेंगे। इसी को कृष्णा ने ताकत बना बैडमिंटन को अपना लिया।
कृष्णा खुलासा करते हैं कि वह पहले आम इंसानों के साथ खेलते थे और उन्होंने जिला स्तर का टूर्नामेंट भी जीता। दिसंबर 2017 में उन्हें पैरा बैडमिंटन के बारे में पता लगा। 2018 में वह राष्ट्रीय चैम्पियन भी बन गए। वैसे तो कृष्णा ने अपना स्वर्ण कोरोना वॉरियर्स को समर्पित किया है, लेकिन वह अपने पिता के लिए स्वर्ण जीतना चाहते थे। उनके पिता उन्हें खिलाड़ी बनाने के लिए 24 घंटे में महज साढ़े तीन घंटे सोए। 
वह सुबह चार बजे से पैसे कमाने के लिए लोगों को फिटनेस की ट्रेनिंग देते थे। पिता चाहते थे कि वह स्वर्ण जीते। दरअसल जकार्ता एशियाई खेलों के सेमीफाइनल में हारने का कृष्णा को बेहद दुख था। वह किसी भी कीमत पर यह सेमीफाइनल हारना नहीं चाहते थे। उन्होंने इस कड़वी याद को धो दिया है। यही वजह है कि अंतिम अंक पर उन्होंने शटल को मुड़कर भी नहीं देखा और सीधे कोच गौरव खन्ना की गोद में छलांग लगा दी।
कृष्णा खिलाड़ियों के परिवार से हैं। उनके पिता जूडो, ताइक्वांडो, बेसबॉल, सॉफ्टबॉल के खिलाड़ी रहे हैं। उनके चाचा फुटबॉल और दोनों बुआ भी खिलाड़ी रहे हैं। पिता फिजिकल ट्रेनर हैं। यही कारण है कि उन्होंने बचपन से ही खेलों को अपना लिया। 10 साल की उम्र में उनके पिता घर के सामने मैदान में गड्ढा खुदवाकर उन्हें लम्बी, त्रिकूद और ऊंची कूद करवाने लगे। कृष्णा को लम्बी कूद में महारत हासिल है। यही कारण है कि बैडमिंटन कोर्ट पर उछलकर स्मैश मारना उन्हें अच्छा लगता है।

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